यौन उत्पीड़न रोकें: तुरंत कदम, अधिकार और कानूनी मदद

क्या कभी ऐसे माहौल में महसूस किया कि आपकी मर्यादा या शरीर के साथ कोई गलत कर रहा है? ये सवाल कई लोगों के दिमाग में आता है, लेकिन अक्सर हम चुप रह जाते हैं। यौन उत्पीड़न सिर्फ शारीरिक हमला नहीं, बल्कि शब्दों, इशारों और अनचाहे स्पर्श से भी हो सकता है। इस लेख में हम बताएंगे कि कब समझें कि आप पीड़ित हैं, तुरंत क्या करें और कानूनी तौर पर कैसे मदद ले सकते हैं।

कब और कहाँ से शुरू करें?

पहली बात तो यह है कि अपने महसूस को नज़रअंदाज़ मत करो। अगर कोई लगातार आपको अजीब बातें कह रहा है, निजी फोटो माँग रहा है या अनचाहा स्पर्श कर रहा है, तो ये सब यौन उत्पीड़न के संकेत हैं। ऐसे समय में तुरंत जगह बदलें – अगर ऑफिस में हो तो अपने डेस्क से दूर बैठें, यदि सार्वजनिक स्थल पर हो तो किसी भरोसेमंद व्यक्ति के पास जाएँ।

सुरक्षा के लिए हमेशा दो या तीन लोगों के साथ रहें, खासकर रात को या एकाकी स्थानों पर। मोबाइल फोन को हाथ में रखें और अगर संभव हो तो मदद के लिये कॉल बटन सेट कर लें। कई स्मार्टफ़ोन में ‘पैनिक मोड’ होता है जो तुरंत भरोसेमंद संपर्कों को लोकेशन भेज देता है।

भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें – दोस्त, परिवार या सहकर्मी। अपने अनुभव को शब्दों में बताने से तनाव कम होगा और आपको आगे की योजना बनाने में मदद मिलेगी। याद रखें, आपकी भावना सही है; आप जो महसूस कर रहे हैं वह वैध है।

कानूनी मदद और सहायता

भारत में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कई कानून मौजूद हैं। सबसे प्रमुख है महिलाओं के लिए भेदभाव विरोधी (विवेक) अधिनियम, 2013, जो कार्यस्थल में उत्पीड़न को दंडनीय बनाता है। पुरुषों और बच्चों के लिये भी समान अधिकार मिलते हैं, क्योंकि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (IPC) के तहत धारा 354 जैसे प्रावधान हैं।

शिकायत दर्ज करने के दो मुख्य रास्ते हैं: स्थानीय पुलिस स्टेशन में FIR (पहली सूचना रिपोर्ट) और नजदीकी महिला हेल्पलाइन (181) या बाल अधिकार केंद्र। फ़ोन पर शिकायत देते समय घटना का दिन, समय, स्थान, प्रतिवादी का विवरण और गवाहों की जानकारी तैयार रखें। यह आपके केस को तेज़ी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

अगर आप कार्यस्थल में उत्पीड़न झेल रहे हैं तो कंपनी के एचआर या ग्रievance कमेटी को लिखित शिकायत भेजें। कई कंपनियों में ‘ऑफ़िस ऑफ़ द ग्रिवेंस रेड्रेसल’ होता है, जहाँ आपको स्वतंत्र रूप से बात करने का मौका मिलता है। अगर जवाब नहीं मिलता या प्रक्रिया अनियमित लगती है तो आप लैबोरेटरी (लोक) के पास भी जा सकते हैं।

सहायता समूहों की मदद लेना भी फायदेमंद रहता है। NGOs जैसे ‘जेंडर अलर्ट’, ‘सेफ स्पेस’ और स्थानीय महिला अधिकार संगठनों में काउंसलिंग, कानूनी सलाह और कोर्ट के लिये दस्तावेज़ तैयार करने में सहायता मिलती है। अक्सर वे मुफ्त या कम शुल्क पर सेवा देते हैं।

अंत में ये याद रखें – आप अकेले नहीं हैं। कई लोग इसी तरह की स्थिति से गुजरते हैं, और न्याय प्रणाली आपके अधिकारों की रक्षा के लिए बनी है। सही कदम उठाएँ, मदद माँगें और अपने जीवन को सुरक्षित बनायें।

हसन चलो विरोध प्रदर्शन: यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ प्रदर्शन

हसन चलो विरोध प्रदर्शन: यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ प्रदर्शन

कर्नाटक के हसन जिले में 143 जन-समर्थक संगठनों के 5,000 से अधिक कार्यकर्ताओं ने सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ 'हसन चलो' विरोध प्रदर्शन किया। रेवन्ना पर कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप है। प्रदर्शनकारी उनके तुरंत गिरफ्तारी और सोशल मीडिया से यौन उत्पीड़न के वीडियो हटाने की मांग कर रहे थे।

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