हसन चलो विरोध प्रदर्शन: यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ प्रदर्शन

हसन चलो विरोध प्रदर्शन: यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ प्रदर्शन

प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ 'हसन चलो' विरोध प्रदर्शन

कर्नाटक के हसन जिले में, यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे हुए सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ एक विशाल विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। यह 'हसन चलो' विरोध प्रदर्शन 143 जन-समर्थक संगठनों के 5,000 से भी अधिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया। इस विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य प्रज्वल रेवन्ना की तुरंत गिरफ्तारी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से यौन उत्पीड़न के वीडियो को हटाना था।

प्रदर्शन की शुरुआत हेमावती प्रतिमा के पास महाराजा पार्क से हुई और यह तालук ऑफिस रोड पर एक मेगा सम्मेलन में समाप्त हुआ। इस विरोध प्रदर्शन में कई प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, जिनमें पूर्व सांसद सुब्हाषिनी अली, लेखिका और निर्देशक प्रेरणा विकासा वेदिके प्रमुख थे। इसके अतिरिक्त, हजारों मिड-डे मील और आंगनवाड़ी कर्मियों ने भी इसमें भाग लिया।

प्रमुख कार्यकर्ताओं की उपस्थिति

इस विरोध का नेतृत्व भारतीय तटबंध संगठन के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने किया, जिनमें भारती राजशेखर, आर के वेंकटेशमूर्ति, एच के संदीश, इरशाद अहमद देसाई, राजशेखर मास्टर, एम सी डोंगरे, और राजू गोरूर प्रमुख रहे। विरोध प्रदर्शन में थिएटर कार्यकर्ता जन्नी द्वारा निर्देशित कलाकारों के समूह ने अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने इस दौरान गाने गाकर इस स्कैंडल की निंदा की और प्रदर्शन में आने वालों का हुज़ूम ज्यादा उत्साहित हो गया।

जिन अन्य संगठनों ने इस विरोध में भाग लिया, उनमें दलित संगठन, यौन अल्पसंख्यक संगठन और विभिन्न महिला संगठन प्रमुख थे। प्रदर्शनकारियों ने हसन के जिला आयुक्त सी. सथ्यभामा को एक ज्ञापन भी सौंपा जिसमें उनकी मांगों को रखा गया।

विरोध की आवश्यकता

प्रदर्शनकारी रेवन्ना की तुरंत गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे और यह भी चाहते थे कि सोशल मीडिया से उन सभी वीडियो को हटाया जाए जिनमें यौन उत्पीड़न के कर्मों को दर्शाया गया है। इन वीडियो का होना न केवल पीड़ितों की सुरक्षा को खतरे में डालता है, बल्कि इससे समाज में व्याप्त मानवाधिकारों का भी उल्लंघन होता है। अभियान का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना था।

रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न के यह आरोप गंभीर हैं और इसने समाज के व्यक्तित्व और नैतिकता पर सवाल खड़ा कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि जब तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाता और न्याय की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इस प्रकार के अधिकाधिक आंदोलन जारी रहेंगे।

पीड़ितों के लिए न्याय की मांग

पीड़ितों के लिए न्याय की मांग

प्रदर्शनकारी लगातार यही मांग कर रहे थे कि पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए और ऐसे गंभीर अपराधों के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। इससे समाज में एक स्पष्ट संदेश जाएगा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस विरोध प्रदर्शन के दौरान आयोजित सम्मेलन में उल्लेखनीय वक्ताओं ने जनता को जागरूक करने की कोशिश की और उन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ और सुरक्षित समाज के निर्माण के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति इन मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम करे और ऐसे अपराधों का विरोध करे।

बुद्धिजीवियों और कलाकारों का समर्थन

बुद्धिजीवियों और कलाकारों का समर्थन

विरोध प्रदर्शन और सम्मेलन में बुद्धिजीवियों और कलाकारों का भी व्यापक समर्थन मिला। लेखक और निर्देशक प्रेरणा विकासा वेदिके ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ एक व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है बल्कि यह समाज के समग्र हित में है। ऐसे मुद्दों पर लोगों का सशक्तिकरण और जागरूकता बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सभी वर्गों के लोग एकजुट होकर खड़े हों।

थिएटर कार्यकर्ता जन्नी द्वारा प्रस्तुत एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ने विरोध प्रदर्शन में एक नया उत्साह भर दिया। उनकी प्रस्तुति ने उन घटनाओं की कठोर वास्तविकता को दर्शाया जिससे महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। कलाकारों ने अपने गानों और नाटकों के माध्यम से इस कृत्य की निंदा करने और समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया।

इस आंदोलन में दलित संगठनों, यौन अल्पसंख्यकों और विभिन्न महिला संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया। इन्हें समाज में उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ लड़ने का एक मंच मिला और उन्होंने इसे आत्मसात कर आंदोलित होने का संकल्प लिया।

भविष्य का सही मार्ग

हसन चलो विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि समाज एकजुट होकर ऐसे गंभीर मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाने में सक्षम है। यह एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने दिखाया कि किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई में समाज का हर वर्ग साथ आ सकता है। यह आवश्यक है कि इस प्रकार के आंदोलनों से प्रेरणा ली जाए और समाज के सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जाएं।

इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन समाज को एक नया दृष्टिकोण देते हैं और हमें यह सिखाते हैं कि संगठित होकर हम किसी भी असमानता और अन्याय के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। हसन चलो आंदोलन सिर्फ एक शुरुआत है और यह हमें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है कि हम एक ऐसा समाज बनाएं जहां हर व्यक्ति सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे।

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