जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 2 अक्टूबर, 2025 को दक्षिण छत्तीसगढ़ पर भारी वर्षा अलर्ट जारी किया, तो राज्यभर में घबराहट फैली। विभाग के प्रेस रिलीज़ के अनुसार, पश्चिम‑केन्द्र और बंगाल की उत्तरी सीमा के पास एक गहरा depressi (घट्टा) बना हुआ है, जिससे दक्षिणी हिस्से में अत्यधिक बारिश की संभावना है। यह अलर्ट सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि उन लोगों की ज़िंदगी को सीधे प्रभावित करेगा जो बस्तर‑के ट्रैक्ट में कच्ची जमीन पर खेती करते हैं।
इंस्टिट्यूट के आंकड़े बताते हैं कि 2 अक्टूबर को शाम‑से‑रात तक रायपुर, कोरबा और बस्तर क्षेत्रों में आँसुओं के साथ तेज़ हवाओं की संभावना है। विशेष रूप से बस्तर में "अत्यधिक भारी बारिश" की चेतावनी दोहराई गई है। भारी वर्षा अलर्टदक्षिण छत्तीसगढ़ के तहत, बाढ़‑रोधी उपाय तुरंत अपनाने के निर्देश दिए गए हैं।
एक ही समय में, विभाग ने दक्षिण-पश्चिमी मानसून की वापसीपश्चिमी भारत का भी उल्लेख किया, जिससे गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में बारिश की संभावना कम हो गई है। इस हटाव की रेखा 20°N/69°E से 30°N/81°E तक फैली, जिसमें वरावल, भरुच, उज्जैन, झांसी, शहजाहन्पुर शामिल थे।
2025 के दक्षिण‑पश्चिमी मानसून ने देश भर में 108% बारिश दर्ज कर ली, जो दीर्घकालिक औसत (LPA) से 8% ऊपर है। लेकिन छत्तीसगढ़ में औसत से नीचे की स्थिति रही – जून‑जुलाई के पहले दस दिनों में देश को 77 mm बारिश मिली, जबकि औसत 92.8 mm होना चाहिए था। यह 17% की कमी, विशेषकर कृषि‑क्षेत्र में चिंता का विषय है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस असंतुलन का मुख्य कारण "डिप प्रेसर" का असामान्य रूप से जल्दी विकास और फिर तेज़ी से गिरावट है। डॉ. चंद्रा, जो कि भारत मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, ने कहा: "मानव निर्मित मीटियोरोलॉजी मॉडल में हवा की ताकत और दिशा अभी भी सबसे बड़ी अनिश्चितता बनती है। लगातार तेज़ हवा के साथ हम जल्दी मानसून देख सकते हैं, जबकि धीमी गति से देरी भी हो सकती है।"
छत्तीसगढ़ की सामान्य मानसून‑आगमन की अवधि — दक्षिणी भाग में 13 जून, मध्य भाग में 16 जून और अंबिकापुर में 21 जून — को लेकर इस वर्ष पहले सप्ताह में एक हल्का आगे बढ़ने का संकेत मिला था। इस अनुमान का आधार केरल में 24 मई, 2025 को शुरुआती बारिश का आगमन था।
बस्तर के कई गाँवों में नदी‑तट पर बसे किसान पहले से ही पानी‑स्तर बढ़ने की खबर से चिंतित हैं। कई स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी ने तुरंत चेतावनी जारी की: "बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों को ऊँचे स्थलों पर रहने के लिए निर्देशित किया जाता है।" इस के साथ ही, रायपुर के जल आपूर्ति विभाग ने बताया कि नगर में अगले दो दिनों में पानी की कमी हो सकती है, क्योंकि कई वितरण टैंक भरने की प्रक्रिया में बाधा आएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने भी संकेत दिया कि नमी भरे मौसम में डेंगु और मलेरिया के केस बढ़ सकते हैं, इसलिए एंटी‑मलेरियाक्सियों की आपूर्ति को बढ़ाने का आदेश दिया गया है। स्थानीय टीमें पिछले कुछ हफ्तों में दो‑तीन बाढ़‑पीड़ित गांवों का सर्वेक्षण कर चुकी हैं और मदद के लिए राहत‑सामान तैयार किया है।
क्लाइमेट विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अजय सिंह (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ क्लाइमेट रिसर्च) ने कहा: "गर्मियों में असामान्य गड़बड़ी हमें यह सिखाती है कि जल‑संकट, जल‑संग्रहण और जल‑संरक्षण के उपायों में नयापन लाना ज़रूरी है।" उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य को जल‑भंडारण के लिए छोटे‑छोटे जल‑सेविंग टैंक और टेर्रा‑फॉर्मिंग तकनीक अपनानी चाहिए।
सीविएर (छत्तीसगढ़ जल एवं पर्यावरण विभाग) ने घोषणा की है कि 2025‑26 के जल‑परिचालन योजना में 25 बिलियन रुपए का बजट निर्धारित है, जिसका लक्ष्य बाढ़‑प्रबंधन की क्षमताओं को बढ़ाना है। इसमें हाई‑टेक सेंसर, रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग और मोबाइल एप्प के ज़रिए किसान‑सुनवाई को आसान बनाना शामिल है।
अब तक के आंकड़े बताते हैं कि अगले 48 घंटे में दक्षिणी छत्तीसगढ़ में दिलचस्प बदलाव आने वाले हैं। विभाग ने कहा कि 3‑4 घंटे में दोहरी चेतावनी जारी की जा सकती है, यदि depressi की तीव्रता बढ़ती रही। इसलिए, नागरिकों को एटीएम, मोबाइल नेटवर्क और स्थानीय रिडियो पर अपडेट़ सुनते रहना चाहिए।
फॉलो‑अप में, राइफल इंटेलिजेंस सेंटर्स ने बताया कि अगले सप्ताह तक दक्षिण‑पूर्वी भारत में और दो-तीन depressi विकसित हो सकते हैं, जिससे उत्तरी भारत में संभावित ठंडा और वर्षा के संकेत मिल सकते हैं। इस तरह, मानसून का "हिलचाल" पूरे भारत में एक चक्रवात‑जैसें प्रभाव डाल रहा है।
बस्तर के कई खेत पानी‑जमा हो जाने की स्थिति में हैं, जिससे फसल के विकास में बाधा आएगी। स्थानीय प्रशासन ने बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों को खाली करने और फसल‑सुरक्षा योजना को लागू करने की सलाह दी है।
26 सितंबर, 2025 को दक्षिण‑पश्चिमी मानसून ने गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र से अपनी सीमा खींची, जिससे इन क्षेत्रों में बरसात घटेगी और जल‑संकट का खतरा बढ़ेगा।
डॉ. चंद्रा के अनुसार, सतत और तेज़ हवाओं की गति जल्दी मानसून लाती है, जबकि कमजोर हवा देरी का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि अभी भी हवा के पैटर्न की भविष्यवाणी में अनिश्चितता मौजूद है।
आगामी 48 घंटे में दक्षिणी भाग में भारी बारिश की संभावना है, जबकि उत्तर में हल्की से मध्यम आँधी-बारिश रहेगी। अधिकारियों ने बताया कि यदि depressi की तीव्रता बढ़ती है, तो फिर से चेतावनी जारी की जा सकती है।
स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करना, ऊँचे क्षेत्र में रहना, जल‑संग्रहण का उचित उपयोग और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी किए गए एंटी‑मलेरिया उपायों को अपनाना आवश्यक है।
© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|
Mohammed Azharuddin Sayed
छत्तीसगढ़ में आज रात तक भारी बारिश की संभावना है, विशेषकर बस्तर जिले में जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत ऊँचे स्थानों पर शरण लेने का निर्देश दिया है।
Avadh Kakkad
इंस्टिट्यूट के डेटा के अनुसार, इस डिप्रेसर के निर्माण में सामान्य से 20 % अधिक नमी शामिल है, जिससे वर्षा की तीव्रता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस मॉडल को ऐतिहासिक रिकॉर्ड के साथ तुलना करने पर स्पष्ट रूप से अधिक संभावित बाढ़ जोखिम सामने आया है।
KRISHNAMURTHY R
ध्यान देने वाली बात ये है कि कई गाँवों में पहले से ही जल निकासी की व्यवस्था खराब है, इसलिए इस अचानक बरसात से जल जमाव बढ़ सकता है 😊। यदि स्थानीय अधिकारियों को तुरंत निकासी के लिए पंप और टैंकर की व्यवस्था करवाई जाए तो नुकसान कम हो सकता है।
priyanka k
आह, यह तो बड़ी उम्मीद थी! जैसे‑ही मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया, वैसे‑ही लोगों ने अपनी कूड़ेदान संभाल ली। 🙄 अब देखते हैं, क्या वास्तविक बारिश से बचाव के उपाय भी उतने ही जलद होते हैं।
aparna apu
बस्तर की सरसराती रातों में जब वह घना बादल छा जाता है, तो दिल की धड़कनें भी तेज़ हो जाती हैं, मानो प्रकृति स्वयं हमारे साहस को परख रही हो। इस गहरे डिप्रेसर के कारण हवा में एक अनजाना रक्तस्राव सा है, जो हर घर की खिड़ड़ी को झकझोर देता है। किसान भाईयों की आँखों में आशा का दीपक जलता है, पर वही दीपक आज बारिश की तीव्रता से बुझने का खतरा झेल रहा है। गाँव के बुजुर्गों ने कहा, "हमने पहले भी कई बाढ़ देखी है, पर इस बार मौसम ने नई ताल में तालाब बना दिया है।" जल निकासी के खुले मार्ग अब रेत और पत्थर से भरे हैं, जिससे पानी का बहाव रुकता है और बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। जब बारिश शुरू होती है, तो छोटे-छोटे पानी के धाराएँ नदियों में मिलकर जल थल होकर बहते हैं, और हर गली में गड्ढे बनने लगते हैं। रक्षा बल की टीम ने कहा कि वे रात भर कार्य करेंगे, पर ऐतिहासिक आंकड़े दिखाते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में अक्सर देर हो जाती है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है कि नमी से संक्रमित रोगों में उछाल आ सकता है, खासकर मलेरिया और डींगू के मामलों में। इस बीच, कुछ युवा लोग सोशल मीडिया पर #RainReady टैग के साथ अपने संस्करण के जाँच-पड़ताल के शॉट्स शेयर कर रहे हैं, जो स्थिति को हल्का बनाता है। बाढ़ के अलार्म की आवाज़ सुनते ही, हर घर में एक त्वरित योजना बनानी चाहिए, जहाँ सभी परिवारिक सदस्य एकत्र हों। पानी के पेडे की आवाज़ सुनाई देती है, और आशंका के साथ यह भी लगता है कि यह आवाज़ हमारे मन के अंदर घुस गई है। स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक ने कहा कि बच्चों को अस्थायी रूप से घर में ही पढ़ाया जाएगा, जिससे उनके सुरक्षा की गारंटी होगी। कई NGOs ने आपातकालीन मदद की पुकार की है, और आशा है कि उनका समर्थन जल्द ही पहुंचेगा। अर्थात्, इस पूरे संकट में हम सबको एकजुट होकर, अपने-अपने क्षेत्र में जलरोधक उपायों को लागू करना होगा। अंत में, यह कहना उचित है कि प्रकृति की शक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, पर इंसान की सहनशीलता और तत्परता से इस आपदा को नियंत्रित किया जा सकता है। चलिए, मिलकर इस तूफ़ान को पार करें और सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ।