क्या आपने कभी सोचा है कि विश्वकर्मा पूजा क्यों खास है? यह त्यौहार कारीगरों का अपना दिन है, जहाँ हम उन सभी हाथों की मेहनत को याद करते हैं जो हमारे घर‑आंगन में हर चीज़ बनाते‑बनाते हैं।
विश्वकर्मा जी को ‘देवता जो सब कुछ बनाता है’ कहा जाता है – पुल, इमारत, औज़ार, यहाँ तक कि छोटे‑छोटे खिलौने भी उनका काम माना जाता है। इस वजह से हर साल 17 सेप्टेम्बर (कभी-कभी कैलेंडर के हिसाब से दो दिन पहले) को लोग उनके पथ पर दीप जलाते हैं और नई चीज़ें बनवाते समय पूजा करते हैं।
सबसे पहले घर का साफ‑सफाई करना ज़रूरी है। धूल हटाएँ, पुरानी वस्तुओं को ठीक करें और नई चीज़ों की जगह बनाएं। फिर एक छोटा मंदिर या शेल्फ तैयार करें जहाँ आप विश्वकर्मा जी की मूर्ति रखेंगे।
पूजा में आमतौर पर तिल, चावल, हल्दी, गुड़, फल‑फूल और सरसों का तेल इस्तेमाल होता है। इनको साफ़ बर्तन में रख कर भगवान को अर्पित करें। अगर आपके पास नई औज़ार या मशीनें हैं तो उन्हें पूजा के बाद पहली बार चलाने से पहले थोड़ा पानी डालकर ‘शुभ आरम्भ’ मानते हैं।
भजनों का चयन भी सरल रखें – “विश्वकर्मा देव” वाले भजन, शास्त्रीय गान या स्थानीय लोकगीत बहुत चलेगा। बच्चे‑बच्चों को साथ लाएं, क्योंकि यह त्यौहार परिवारिक जुड़ाव बढ़ाने का भी मौका है।
आजकल कई लोग इसे सिर्फ़ एक ‘वर्कशॉप डे’ की तरह देखते हैं। ऑफिस में या कारखानों में छोटे‑छोटे कार्यक्रम होते हैं जहाँ कर्मचारियों को उनके काम के लिए सराहा जाता है। आप भी अपने कार्यस्थल पर इस दिन लंच बॉक्स में मिठाई रख सकते हैं या धन्यवाद कार्ड दे सकते हैं।
डिजिटल युग ने नई संभावनाएँ लाई हैं – ऑनलाइन पूजा मंच, वर्चुअल ट्यूर और इंस्टाग्राम स्टोरीज़ के ज़रिए लोग दूर‑दराज़ से भी जुड़ते हैं। अगर आप तकनीकी शौकीन हैं तो एक छोटा ऐप बना सकते हैं जो हर साल तिथि, समय और रिवाज़ों की जानकारी दे।
पर्यावरण को ध्यान में रखकर पूजा करने का ट्रेंड भी बढ़ रहा है। प्लास्टिक के बजाय मिट्टी या लकड़ी के बर्तन इस्तेमाल करें, और जल बचाने के लिए छोटे बरतन में ही अर्पण रखें। इस तरह से आप धार्मिक भावना के साथ-साथ धरती की रक्षा भी कर सकते हैं।
यदि आपके घर में कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करना है – चाहे वह किचन रीमॉडलिंग हो या नई मशीन खरीदना – तो विश्वकर्मा पूजा को शुभ शुरुआत मानें। ऐसा करने से न केवल काम सुगमता से चलता है, बल्कि मन भी शांत रहता है।
सवाल अक्सर आता है: “क्या इस दिन व्रत रखना चाहिए?” उत्तर सरल है – व्रत अनिवार्य नहीं, लेकिन शाकाहारी भोजन और सादा खाना बेहतर माना जाता है। इससे पूजा की पवित्रता बनी रहती है।
अंत में यह याद रखें कि विश्वकर्मा पूजा केवल रिवाज़ नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत करने वाले लोगों को सम्मान देने का एक तरीका है। इस दिन अपने आसपास के कार्पेंटर, मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन और हर उस व्यक्ति की सराहना करें जो हमारे जीवन को आसान बनाता है।
तो तैयार हो जाइए, सफ़ाई शुरू करिए और इस वर्ष की विश्वकर्मा पूजा को यादगार बनाइए। छोटे‑छोटे कदमों से बड़ी खुशी मिलती है – यही तो हमारा सन्देश है।
विश्वकर्मा पूजा, जिसे विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा दिवस भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह त्योहार विश्व के दिव्य वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। 2024 में यह पूजा 16 सितंबर को मनाई जाएगी, हालांकि 17 सितंबर को भी कुछ लोग इसे मनाते हैं। इस दिन लोग अपने वाहनों, मशीनों, औजारों और अन्य उपकरणों की पूजा करते हैं।
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