विश्वकर्मा पूजा 2024: तारीख, समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा 2024: तारीख, समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

परिचय

विश्वकर्मा पूजा, जिसे विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा दिवस भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा, जो संसार के दिव्य शिल्पकार और निर्माणकर्ता हैं, की पूजा की जाती है। मुख्य रूप से यह त्योहार कारीगरों, अभियंताओं और वास्तुकारों द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्यों में सफलता और प्रगति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

2024 में पूजा का महत्व

सन 2024 में विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन को कन्या संक्रांति के दिन के रूप में भी जाना जाता है, जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का विशेष पूजन और आराधना की जाती है, और बाजारों, कारखानों, और अन्य कार्यस्थलों में इस दिन का विशेष महत्व होता है। कुछ क्षेत्रों में, लोग इसे 17 सितंबर को भी मानते हैं, लेकिन पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर ही सही तिथि है।

शुभ मुहूर्त

विशेष शुभ मुहूर्त की जानकारी के अनुसार, पूजा के लिए 17 सितंबर को सुबह 6:07 से 11:44 बजे तक का समय शुभ माना गया है। यद्यपि मुख्य पूजा दिवस 16 सितंबर ही है, लोग 17 सितंबर को शुभ मुहूर्त में पूजा करना भी पसंद करते हैं।

पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा की विधि अत्यंत विशेष और धार्मिक होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए। इसके बाद अपने कार्यस्थल पर जाकर वहां के सभी उपकरणों और मशीनों की साफ-सफाई करनी चाहिए।

  1. स्नान करने के बाद काम की जगह पर सफाई करना।
  2. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा की स्थापना करना।
  3. फूल, अक्षत और मिठाई अर्पित करना।
  4. देशी घी के दीपक जलाना।
  5. भगवान विश्वकर्मा से कार्यों में सफलता और समृद्धि की कामना करना।

इस दिन लोग अपने वाहनों, मशीनों, औजारों और अन्य उपायों की पूजा करते हैं। वे भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्यों में सफलता के लिए आशीर्वाद और माफी माँगते हैं। कारखानों में काम करने वाले लोग विशेष पूजा करके अपने कार्यस्थल पर भी शुभता लाने का प्रयास करते हैं।

त्योहार का सामाजिक महत्व

विश्वकर्मा पूजा का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है। इस दिन कारीगर, अभियंता, और अन्य तकनीकी कार्यकर्ताओं का समाज में महत्व को स्वीकार किया जाता है। इस पूजा के माध्यम से वे समाज को यह संदेश देते हैं कि उन्होंने अपने कौशल और परिश्रम के माध्यम से समाज को बेहतर बनाया है।

संपूर्ण वातावरण

पूरे वातावरण में भगवान विश्वकर्मा के प्रति भक्ति और श्रद्धा का माहौल होता है। विभिन्न उद्योगों और कारखानों में इस दिन को विशेष उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार श्रद्धालुओं के लिए एक ऐसा समय होता है जब वे अपने मेहनत की उपकरणों को देवत्व का अंश मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

उपसंहार

विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक होता है। इस दिन को शिल्प, निर्माण और तकनीकी कार्यों में लगे सभी लोगों के लिए विशेष महत्व के रूप में देखा जाता है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के माध्यम से लोग अपनी रोजमर्रा की मेहनत और परिश्रम को दिव्यता के साथ जोड़ते हैं।

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