विश्वकर्मा पूजा, जिसे विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा दिवस भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा, जो संसार के दिव्य शिल्पकार और निर्माणकर्ता हैं, की पूजा की जाती है। मुख्य रूप से यह त्योहार कारीगरों, अभियंताओं और वास्तुकारों द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्यों में सफलता और प्रगति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
सन 2024 में विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन को कन्या संक्रांति के दिन के रूप में भी जाना जाता है, जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का विशेष पूजन और आराधना की जाती है, और बाजारों, कारखानों, और अन्य कार्यस्थलों में इस दिन का विशेष महत्व होता है। कुछ क्षेत्रों में, लोग इसे 17 सितंबर को भी मानते हैं, लेकिन पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर ही सही तिथि है।
विशेष शुभ मुहूर्त की जानकारी के अनुसार, पूजा के लिए 17 सितंबर को सुबह 6:07 से 11:44 बजे तक का समय शुभ माना गया है। यद्यपि मुख्य पूजा दिवस 16 सितंबर ही है, लोग 17 सितंबर को शुभ मुहूर्त में पूजा करना भी पसंद करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा की विधि अत्यंत विशेष और धार्मिक होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए। इसके बाद अपने कार्यस्थल पर जाकर वहां के सभी उपकरणों और मशीनों की साफ-सफाई करनी चाहिए।
इस दिन लोग अपने वाहनों, मशीनों, औजारों और अन्य उपायों की पूजा करते हैं। वे भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्यों में सफलता के लिए आशीर्वाद और माफी माँगते हैं। कारखानों में काम करने वाले लोग विशेष पूजा करके अपने कार्यस्थल पर भी शुभता लाने का प्रयास करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है। इस दिन कारीगर, अभियंता, और अन्य तकनीकी कार्यकर्ताओं का समाज में महत्व को स्वीकार किया जाता है। इस पूजा के माध्यम से वे समाज को यह संदेश देते हैं कि उन्होंने अपने कौशल और परिश्रम के माध्यम से समाज को बेहतर बनाया है।
पूरे वातावरण में भगवान विश्वकर्मा के प्रति भक्ति और श्रद्धा का माहौल होता है। विभिन्न उद्योगों और कारखानों में इस दिन को विशेष उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार श्रद्धालुओं के लिए एक ऐसा समय होता है जब वे अपने मेहनत की उपकरणों को देवत्व का अंश मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक होता है। इस दिन को शिल्प, निर्माण और तकनीकी कार्यों में लगे सभी लोगों के लिए विशेष महत्व के रूप में देखा जाता है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के माध्यम से लोग अपनी रोजमर्रा की मेहनत और परिश्रम को दिव्यता के साथ जोड़ते हैं।
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Neel Shah
ये सब बकवास है... विश्वकर्मा की पूजा? अगर मशीनें बंद हो गईं तो क्या तुम उन्हें दुआ देते हो? 😅🙏
shweta zingade
मैंने इस साल अपने वर्कशॉप में विश्वकर्मा जी की पूजा की... और जानो क्या हुआ? एक हफ्ते तक कोई मशीन खराब नहीं हुई! 🙌 भक्ति और तकनीक एक साथ चलते हैं।
Pooja Nagraj
इस प्राचीन रिति को आधुनिक युग में बरकरार रखना एक सांस्कृतिक अभिमान का प्रतीक है। लेकिन क्या यह वास्तविक उत्पादकता को बढ़ाता है? या केवल एक सामाजिक अभिनय है? 🤔
Anuja Kadam
mujhe lga 16 ko hai par 17 ko bhi puja krte h... kya yeh confusion hai ya phir koi aur reason?
Pradeep Yellumahanti
हर साल यही बातें... लेकिन क्या कोई यहाँ बताएगा कि विश्वकर्मा जी के लिए किसने डिज़ाइन किया था पूजा का फॉर्मेट? क्या वो खुद ने बताया था? 😏
Shalini Thakrar
विश्वकर्मा पूजा को एक सिंबोलिक रिटुअल ऑफ़ एंडोर्समेंट के रूप में देखा जा सकता है - जहाँ टेक्नोलॉजी और ट्रेडिशन का डायलॉग एक फिलोसोफिकल लेवल पर होता है। यह एक डिस्कर्शन ऑफ़ डिवाइन प्रोसेसेस है।
pk McVicker
बस एक दिन के लिए बंद करो और शुद्ध आराम करो।
Laura Balparamar
अगर आप वास्तव में विश्वकर्मा की पूजा करते हैं, तो आपको अपने टूल्स की देखभाल करनी चाहिए, न कि सिर्फ फूल चढ़ाना। यह एक बुद्धिमानी का सवाल है।
Shivam Singh
kya ye 16 ko hi hoga? maine to 17 ko hi kiya tha... phir bhi sab theek chal rha hai 😅
Piyush Raina
मैंने अपने गाँव में देखा कि लोग अपने ट्रैक्टरों की पूजा करते हैं। एक बूढ़े ने कहा - 'ये मेरे घोड़े हैं, बस अब डीजल से चलते हैं।' इसमें कोई बकवास नहीं है।
Srinath Mittapelli
बस यही बात है कि हम अपने काम के उपकरणों को सम्मान देते हैं। ये त्योहार एक याद दिलाता है कि हर चीज जिससे हम जीते हैं, उसकी देखभाल करना ज़रूरी है। चाहे वो एक बर्तन हो या एक रोबोट।
Kotni Sachin
हर साल यही आर्टिकल... क्या कोई इसे अपडेट करता है? क्या आज के डिजिटल वर्कशॉप्स में भी यही पूजा होती है? क्या लैपटॉप की पूजा करते हैं? 🤨
Nathan Allano
मैंने अपने कार्यशाला में एक छोटी सी पूजा की... फिर सभी मशीनों को ऑनलाइन डाटा से चेक किया। दोनों ने मिलकर काम किया। असली शक्ति तो यही है - भक्ति + तकनीक।
Guru s20
मैं एक इंजीनियर हूँ और मैं इस पूजा को बहुत पसंद करता हूँ। ये एक बात याद दिलाता है कि हम अपने काम से जुड़े हैं। ये बस एक रिटुअल नहीं, ये एक जुड़ाव है।
Raj Kamal
मैंने इस साल अपने बेटे को भी इस पूजा में शामिल किया... उसने मशीनों को चमकाया और फूल चढ़ाए... और फिर उसने एक ड्रॉइंग बनाई कि विश्वकर्मा जी एक रोबोट के साथ बैठे हैं... मुझे लगा कि वो समझ गया... ये पूजा बस एक रिटुअल नहीं... ये एक सीख है।
Rahul Raipurkar
यह सब एक नियंत्रित धार्मिक नैरेटिव है जो श्रमिकों को अपनी श्रमिकता के बारे में अहंकारी बनाता है। वास्तविक बदलाव तब होगा जब तक उन्हें वेतन और सुरक्षा के लिए नहीं लड़ा जाएगा।