टेलीफोन एक्सचेंज फीडर क्या है?

जब बात टेलीफोन एक्सचेंज फीडर, टेलीफोन एक्सचेंज के अंदर सिग्नल को अलग‑अलग लाइनों में विभाजित करने वाला उपकरण. इसे अक्सर फीडर मोड्यूल कहा जाता है, तो आप तुरंत समझेंगे कि यह उपकरण किस काम आता है। इसके बिना किसी भी स्थानीय एक्सचेंज ( टेलीफोन एक्सचेंज, केंद्रीय स्विचिंग हब जहाँ सभी कॉल रूट होती हैं ) की क्षमता सीमित रह जाती है। साथ ही सर्किट स्विच, एक इलेक्ट्रॉनिक या मैकेनिकल घटक जो कॉल को सही पथ पर ले जाता है और टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, देश भर में फैला संचार नेटवर्क के बीच घनिष्ठ संबंध है। सरल शब्दों में, टेलीफोन एक्सचेंज फीडर वह कनेक्टर है जो घर‑घर या ऑफिस‑ऑफिस के लाइनों को मुख्य स्विच से जोड़ता है, जिससे आवाज़ या डेटा का प्रवाह बिना रुकावट के हो सके। टेलीफोन एक्सचेंज फीडर को समझना अब आपके लिए आसान हो गया है, है न?

आइए देखें कि फीडर के कौन‑कौन से प्रमुख प्रकार मौजूद हैं। सबसे पुराना मॉडल है प्लग‑इन फीडर, जिसे अक्सर छोटे ग्रामीण एक्सचेंज में देखा जाता है। यह स्लॉट‑आधारित कनेक्टर है, आसानी से बदलने योग्य और रख‑रखाव में कम खर्चीला। बड़े शहरी एक्सचेंज में ब्लॉक फीडर लागू होते हैं; ये अधिक पोर्ट वाले होते हैं और उच्च बैंडविड्थ को सपोर्ट करते हैं। दोनों ही प्रकार सिग्नल लॉस को न्यूनतम रखने और इम्पीडेंस मैचे़र को स्थिर रखने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। जब फीडर की ग्रेड (जैसे‑ग्रेस, 2‑हॉट, 4‑हॉट) अलग‑अलग होती है, तो यह सीधे सिग्नल क्वालिटी को प्रभावित करता है। इस कारण ऑपरेटर्स अक्सर फीडर को ट्रांसफॉर्मर‑फीडर के साथ जोड़ते हैं, जिससे वोल्टेज लेवल को स्थिर किया जा सके। इस तरह की जटिलता भी बताती है कि टेलीफोन एक्सचेंज फीडर सिर्फ एक साधारण प्लग नहीं, बल्कि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के भीतर एक महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु है।

अब बात करते हैं फीडर की इंस्टॉलेशन और रख‑रखाव की। पहली बार फीडर लगाते समय सही पिन‑आउट चार्ट देखना ज़रूरी है; गलत कनेक्शन से शोर या पूरी लाइन की डाउनटाइम हो सकती है। आधुनिक एक्सचेंज में अक्सर पैनेल‑मॉनिटरिंग सिस्टम होते हैं, जो फीडर की स्थिति (ऑनलाइन/ऑफलाइन, लोड) को रियल‑टाइम में दिखाते हैं। यदि फीडर में ढीले कनेक्शन या क्षति का पता चलता है, तो तकनीशियन तुरंत रिप्लेसमेंट कर सकते हैं, जिससे ग्राहक पर असर कम से कम हो। नियमित जांच में कंडक्टिविटी टेस्टर, टाइम‑डोमेन रिफ्लेक्टोमी (TDR) और फिजिकल क्लीनिंग शामिल होते हैं। इसके अलावा, फीडर की लाइफ साइकल 5‑10 साल होती है; इसलिए 3‑4 साल में प्लान्ड रीप्लेसमेंट करना सर्विस निरंतरता के लिए अच्छा रहता है। यह देख कर आप समझेंगे कि टेलीफोन एक्सचेंज फीडर का प्रबंधन केवल एक तकनीकी कार्य नहीं, बल्कि एक प्रॉएक्टिव सर्विस स्ट्रेटेजी है।

भविष्य के बारे में सोचें तो टेलीफोन एक्सचेंज फीडर भी डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन से जुड़ रहा है। 5G और फाइबर‑ऑप्टिक नेटवर्क के विस्तार के साथ, कई पुराने तांबे के फीडर को फ़ाइबर‑टू‑द‑हैंड्स (FTTH) में बदलना पड़ रहा है। इस प्रक्रिया में डेटा‑कन्वर्टर और ऑप्टिकल सस्पेंशन जैसी नई तकनीकें शामिल हैं, जो पहले के फीडर की जगह ले रही हैं। साथ ही, सॉफ़्टवेयर‑डिफ़ाइंड नेटवर्क (SDN) के आने से फीडर की मॉनिटरिंग अब क्लाउड‑बेस्ड डैशबोर्ड से संभव है। इन सभी बदलावों को समझकर आप अपने नेटवर्क को भविष्य‑प्रूफ बना सकते हैं। अब नीचे आप इस टैग से जुड़ी विभिन्न ख़बरें, विश्लेषण और गाइड देखेंगे, जो टेलीफोन एक्सचेंज फीडर के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से कवर करती हैं।

आदित्यपुर में टेलीफोन फीडर पर 5‑घंटे की नियोजित बिजली कटौती - 12 अक्टूबर

आदित्यपुर में टेलीफोन फीडर पर 5‑घंटे की नियोजित बिजली कटौती - 12 अक्टूबर

12 अक्टूबर को आदित्यपुर के टेलीफोन एक्सचेंज फीडर में JBVNL ने 5‑घंटे की नियोजित बिजली कटौती की, जो पेड़ की टहनियों की छंटाई के लिए आवश्यक थी।

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