जब Jharkhand Bijli Vitran Nigam Limited (JBVNL) ने 12 अक्टूबर 2025 को आदित्यपुर के टेलीफोन एक्सचेंज फीडर क्षेत्र में 5‑घंटे की नियोजित बिजली कटौती की घोषणा की, तो कई घरवाले आश्चर्यचकित रह गए। कटौती सुबह 10:00 बजे शुरू होकर दोपहर 3:00 बजे समाप्त हुई, यानी ठीक पाँच घंटे का अंतराल। इस समय यह योजना आदित्यपुर विद्युत रखरखाव कार्यआदित्यपुर के तहत लागू की गई थी।
आदिष्यपुर, जो झारखंड के जेटली जिले में स्थित औद्योगिक हब है, पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से विस्तार कर रहा है। इस विकास के साथ ही बिजली नेटवर्क पर भार भी बढ़ा है। विशेष रूप से टेलीफोन एक्सचेंज फीडर के तहत कई उपभोक्ता जुड़े हैं: आनंदपुर, तेतुलडांगा, सापड़ा और उत्तमडीह। इन चारों मोहल्लों में कुल लगभग 4,200 घर बिजली सप्लाई के तहत आते हैं। पिछले वर्ष भी इसी फीडर पर कुछ झंझटों की खबरें आई थीं, खासकर वृक्षों की टहनियों के कारण बिजली गिरने के मामलों में।
रिकॉर्ड के अनुसार, JBVNL ने इस कटौती की योजना 5:25 सुबह स्थानीय समाचार एजेंसियों को दी, और 5:39 सुबह गम्भरिया दृष्टिकोण से भी वही सूचना जारी की गई। SDO (विद्युत उप‑प्रवर्ती अधिकारी) ने बताया कि इस बार मुख्य कारण पेड़ की टहनियों का विद्युत लाइनों में घुसना था, जिससे शॉर्ट सर्किट का जोखिम बढ़ रहा था। उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता सड़कों की सुरक्षा और बिजली की निरंतरता है, इसलिए इस प्रकार के रखरखाव को समय‑सही करना अनिवार्य है।"
कटौती के दौरान:
समग्र तौर पर, 5 घंटे के इस अंतराल में कुल 12,600 किलावाट‑घंटा की ऊर्जा कमी हुई, जो स्थानीय उद्योगों के लिये एक छोटा झटका था, पर सामान्य गृह उपयोगकर्ताओं के लिये असुविधा बनी रही।
स्थानीय निवासी रमेश प्रसाद (आनंदपुर) ने कहा, "सुबह की चीज़ें—दूध, चाय—बिना बिजली के नहीं बन पातीं। लेकिन हमें समझ है कि पेड़ की टहनियों को काटना ज़रूरी था।" दूसरी ओर, नीता कुमारी (तेतुलडांगा) ने आशा व्यक्त की कि अगली बार सूचना पहले से ही एक दिन पहले देनी चाहिए, ताकि लोग अपने बैक‑अप तैयार कर सकें।
एक ऊर्जा विशेषज्ञ, प्रो. अजय सिंह (जैविक ऊर्जा संस्थान, Ranchi) ने टिप्पणी की, "ऐसे नियोजित रखरखाव से दीर्घकालिक में फॉल्ट्स कम होते हैं, लेकिन अस्थायी असुविधा को कम करने के लिए मोबाइल जनरेटर या बैटरी बैक‑अप का नेटवर्क विकसित करना चाहिए।"
समय‑बद्ध रखरखाव निचले स्तर की विद्युत प्रणाली की विश्वसनीयता को बढ़ाता है, विशेषकर औद्योगिक क्षेत्रों में जहाँ लगातार सप्लाई आवश्यक है। हालांकि, यदि इस तरह की कटौतियों की संचार रणनीति में कमी रहे, तो सार्वजनिक भरोसा कम हो सकता है। इस संदर्भ में, JBVNL ने भविष्य में मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से रियल‑टाइम नोटिफिकेशन देने की योजना बताई है।
इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने कहा कि अगले दो साल में टेलीफोन एक्सचेंज फीडर के आसपास 150 मेटर का वृक्ष छंटाई कार्य क्रमिक रूप से किया जाएगा, जिससे फिर से ऐसी समस्याएँ नहीं उत्पन्न होंगी। यह आंकड़ा पिछले पाँच वर्षों में केवल 45 मेटर पर ही किया गया था, इसलिए यह एक बड़ा कदम है।
अगले महीने यानी नवंबर 2025 में पावर सबस्टेशन संख्या 04 के तहत एक और नियोजित रखरखाव कार्य तय है, जिसमें नई ट्रांसफॉर्मर इन्स्टॉल करना शामिल है। इस बार संभावित प्रभाव वाले क्षेत्रों को दो‑तीन घंटे पहले सूचना देने की कोशिश की जाएगी, जैसा कि SDO ने वादा किया है।
समुदाय में अब यह उम्मीद है कि प्रबंधन बेहतर संवाद स्थापित करेगा, और भविष्य में अचानक कटौतियों से बचा जा सकेगा। ऊर्जा की निरंतरता और सुरक्षा दोनों को संतुलित करना ही इस तरह के बड़े औद्योगिक क्षेत्रों की चुनौती है।
कटौती मुख्यतः आनंदपुर, तेतुलडांगा, सापड़ा और उत्तमडीह के लगभग 4,200 घरों को प्रभावित करती है। ये सब घर टेलीफोन एक्सचेंज फीडर से जुड़े हैं।
मुख्य कारण टहनी‑छंटाई था। बिजली लाइन में बढ़ती हुई पेड़ की टहनियों ने शॉर्ट सर्किट की संभावना पैदा कर दी थी, इसलिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इसे काटा गया।
भविष्य में JBVNL मोबाइल ऐप द्वारा रियल‑टाइम सूचना, मौसमी वृक्ष छंटाई और अनियमित जनरेटर सपोर्ट को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। इससे असुविधा कम होगी और नेटवर्क की स्थिरता बनी रहेगी।
ज्यादातर घरों ने बैक‑अप बैटरियां, सोलर पैनल या छोटे जनरेटर इस्तेमाल किए। कुछ स्थानीय दुकानों ने सामुदायिक तौर पर पोर्टेबल जनरेटर की व्यवस्था भी की, जिससे नींद‑दर्जा बचे रहे।
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Krish Solanki
जहरीली अक्षम्यता का यह प्रमाण है कि बिजली विभाग की योजना इतनी बेतुकी है कि वह साधारण जीवनयापन को बाधित कर देती है। इस शिथिलता को देखते हुए स्पष्ट हो जाता है कि प्रबंधन में बुनियादी दक्षता का अभाव है। ऐसी नियोजित कटौती का कारण बताने वाला आधिकारिक बयान केवल शब्दों की बेड़िया है, वास्तविक जिम्मेदारी हमेशा ऊपर के दमनकारी हाथों में रहती है।