TDS छूट – कैसे पाएं अधिक आयकर बचत

जब हम TDS छूट, वित्तीय वर्ष में टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) में उपलब्ध विभिन्न रियायतों को कहा जाता है. टीडीएस रियायत की बात करते हैं, तो अक्सर आयकर अधिनियम, भारत में करों के नियमों को स्थापित करने वाला प्रमुख कानून सबसे पहला नाम आता है। ये अधिनियम कई सेक्शन निर्धारित करता है जिससे आप अपनी आय पर भुगतान किए जाने वाले टैक्स को घटा सकते हैं। साथ ही फॉर्म 16, नियोक्ता द्वारा प्रदान किया गया औपचारिक दस्तावेज़ जो वार्षिक वेतन और कटौती दिखाता है और फॉर्म 26AS, वित्तीय वर्ष में आपके सभी स्रोतों से कटे टैक्स की पूरी रिकॉर्ड भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं।

TDS छूट के प्रमुख तत्व और उनके लाभ

पहला महत्वपूर्ण घटक सेक्शन 80C है, जो जीवन बीमा, पीपीएफ, शिक्षा लोन आदि में निवेश को छूट देता है और इस तरह सीधे TDS की गणना को घटाता है। दूसरा, सेक्शन 80D, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर मिलने वाली टैक्स छूट भी TDS को कम करने में मदद करता है। जब आप फॉर्म 16 में इन सेक्शन के ब्यौरा भरते हैं, तो आयकर विभाग आपके कुल टैक्स बकाया को पुनः गणना कर देती है और अक्सर अतिरिक्त भुगतान किए गए TDS की वापसी कर देती है। फॉर्म 26AS में उपलब्ध जानकारी का उपयोग करके आप अपने सभी स्रोतों – जैसे फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, शेयर ट्रेडिंग, प्रोफ़ेशनल फीस – का सारांश देख सकते हैं और उनपर लागू छूट को ठीक से दावा कर सकते हैं। इस तरह एक ही वित्तीय वर्ष में कई स्रोतों से टोटल TDS घटाकर आप महँगी टैक्स रिफंड या सीमित देनदारी से बच सकते हैं।

अब जब आप जानते हैं कि कौन‑से दस्तावेज़ और सेक्शन TDS छूट में योगदान देते हैं, तो अगले कदम में सही समय पर फ़ाइलिंग और वैध दावे करना शामिल है। सबसे पहले, अपना आवधि‑समाप्ति रिपोर्ट, वित्तीय वर्ष के अंत में आय और कटौतियों की संपूर्ण सारांश रिपोर्ट तैयार रखें। फिर, फॉर्म 16 को सही तरीके से पढ़ें – उसमें आपका कुल वेतन, बोनस, और TDS की व्याख्या स्पष्ट रूप से बताई जाती है। फॉर्म 26AS को ऑनलाइन पोर्टल (आधार, आयकर e‑फ़ाइल) से डाउनलोड करें और सभी स्रोतों के TDS को मिलाकर देखें कि कहीं कोई अधिशेष तो नहीं है। अगर आप सेक्शन 80C‑80D तथा अन्य लागू छूट को नहीं जोड़ते, तो आपको अनावश्यक टैक्स भुगतान करना पड़ सकता है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई ऐप्स और ऑनलाइन कैलकुलेटर उपलब्ध हैं जो आपके इनपुट के आधार पर अनुमानित रिफंड या देयता दिखाते हैं।

इन सभी बिंदुओं को समझते हुए, आप नीचे दी गई लेखों की सूची में TDS छूट से संबंधित विस्तृत केस स्टडी, नवीनतम नियम परिवर्तन, और व्यावहारिक टिप्स पाएंगे। चाहे आप पहली बार कर रिटर्न भर रहे हों या अनुभवी टैक्सपायर हों, यह संग्रह आपके सवालों का जवाब देगा और आपको सही दस्तावेज़ तैयार करने में मदद करेगा। आइए, अब आगे की जानकारी में डुबकी लगाएँ और अपनी टैक्स बचत को अधिकतम करें।

CBDT ने दी बड़ी राहत: IFSC इकाइयों को TDS छूट, गिफ्ट सिटी को मिलेगी नई उड़ान

CBDT ने दी बड़ी राहत: IFSC इकाइयों को TDS छूट, गिफ्ट सिटी को मिलेगी नई उड़ान

CBDT ने 20 जून 2025 को जारी किए गए नोटिफिकेशन 67/2025 के तहत गिफ्ट सिटी IFSC इकाइयों को TDS छूट दी है। यह छूट 1 जुलाई 2025 से लागू होगी और सात वर्ग के पेमेन्टर्स को लाभ मिलेगा। शर्तों में Section 80LA के तहत कर राहत का चयन और वार्षिक Form 1 जमा करना अनिवार्य है। इस कदम से भारत का वित्तीय हब बनने का लक्ष्य तेज़ होगा। विदेशी निवेशकों और संस्थागत पूँजी के प्रवाह में भी आशा की नई रोशनी दिखेगी।

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