नया TDS राहत नियम क्या है?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाल ही में नोटिफिकेशन नंबर 67/2025 जारी किया, जिसमें कहा गया कि 1 जुलाई 2025 से गिफ्ट सिटी के इंटरनैशनल फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ सेंटर (IFSC) में कार्यरत योग्य इकाइयों को कई प्रकार के भुगतान पर TDS छूट मिलेगी। यह कदम भारत को एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक वित्तीय हब बनाने के बड़े मिशन का हिस्सा है। अब मुख्यधारा के भारतीय इकाइयों को IFSC इकाइयों को करने वाले पेमेंट्स पर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) रोकने की जरूरत नहीं रहेगी, बशर्ते कुछ शर्तें पूरी हों।
यह पहल विशेष रूप से गिफ्ट सिटी, गुजरात के एकमात्र कार्यशील IFSC यूनिट को लक्षित करती है। सरकार का मकसद यहाँ दो चीज़ें है: विस्तृत ‘इज़ी डू इट’ वातावरण बनाना और विदेशी पूँजी को आकर्षित करना। जब भुगतान पर टैक्स रोकने की जटिलता घटेगी, तो वित्तीय संस्थाएँ और प्रॉजेक्ट मैनेजर्स इस नये वित्तीय क्षेत्र में अधिक सहजता से काम करेंगे।
IFSC इकाइयों के लिए क्या-क्या शर्तें?
छूट प्राप्त करने के लिये IFSC इकाई को दो मुख्य मानदंडों को पूरा करना होगा। पहला, वह इकाई Section 80LA के तहत 10‑साल की कर‑छूट अवधि का विकल्प चुन ले। दूसरा, प्रत्येक भुगतानकर्ता को हर साल Form 1 नामक एक स्टेटमेंट‑क्यूम‑डिक्लेरेशन जमा करना आवश्यक है, जिसमें यह पुष्टि की जाती है कि इकाई ने कर‑छूट का चयन किया है और वह नियमों के अनुसार काम कर रही है। यह फॉर्म हर वर्ष सत्यापित होना चाहिए, जिससे पूरी 10‑साल की अवधि में छूट बनी रहे।
अब बात करते हैं उन सात वर्गों की, जिनको इस नए नियम से विशेष लाभ मिलेगा:
- BATF सेवा प्रदाता – प्रोफ़ेशनल, कंसल्टिंग और एडवाइज़री फीस पर TDS नहीं लगेगा।
- ब्रोकर‑डीलर – मान्य स्टॉक एक्सचेंज द्वारा किए गए भुगतान, साथ ही कमीशन‑इनसेंटिव पर रिहा।
- फ़ाइनेंस कंपनियाँ – लीज़ अकाउंट पर ब्याज, फ्रेट चार्जेज और हायर चार्जेज से जुड़ी पेमेंट्स पर छूट।
- फ़ंड मैनेजमेंट एंटिटीज़ – पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट फ़ी, इन्वेस्टमेंट एडवाइज़री फ़ी, मैनेजमेंट फ़ी और परफॉर्मेंस फ़ी पर कोई टैक्स नहीं।
- मान्य क्लियरिंग कॉरपोरेशन – प्रोफ़ेशनल या टेक्निकल सर्विसेज़ फ़ी और क्लियरिंग मेंबर्स पर इंटरेस्ट इनकम पेनाल्टी से छूट।
- मान्य डिपॉज़िटरी – प्रोफ़ेशनल, टेक्निकल या कॉन्ट्रैक्टुअल फ़ी पर TDS नहीं।
- मान्य स्टॉक एक्सचेंज – प्रोफ़ेशनल या टेक्निकल सर्विसेज़ फ़ी, डेटा‑सेंटर किराया, इंटरेस्ट इनकम और मेंबर्स पर लगा पेनाल्टी भी मुक्त।
इन वर्गों के अलावा, यह नियम केवल उन व्यवसायी आयों पर लागू होता है जो IFSC इकाई के लिए स्पष्ट रूप से मंज़ूरशुदा गतिविधियों से आती हैं। यदि किसी इकाई ने इन शर्तों को पूरा किया, तो उसे प्रति वर्ष कई बार फ़ॉर्म‑फिलिंग की झंझट से मुक्त रहकर अपने फोकस को व्यापार विस्तार पर लगा सकता है।
कानूनी ढाँचा Section 197A (Income‑Tax Act, 1961) पर आधारित है, जो CBDT को कुछ आय वर्गों को TDS से मुक्त करने का अधिकार देता है। इसके अतिरिक्त, IFSCA Act‑2019 के तहत IFSC के संचालन को नियंत्रित किया जाता है, जिससे यह कदम वैध और नियामक अनुकूल माना गया है।
इन बदलावों के पीछे सरकार का व्यापक लक्ष्य है गिफ्ट सिटी को एक विश्व‑स्तरीय वित्तीय केंद्र बनाना, जहाँ विदेशी बैंकों, निवेशक फ़र्मों और विमुक्तीय संस्थाओं को बिना जटिल टैक्स बाधाओं के संचालन करने का अवसर मिले। इस प्रकार, न केवल विदेशी निवेश को आकर्षित किया जाएगा बल्कि घरेलू कंपनियों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मंच मिलेगा।
क्या यह कदम वास्तव में निवेशकों के लिए खेल‑बदलाव लाएगा? शुरुआती संकेत तो ये है कि कई बड़े फाइनेंशियल समूहों ने गिफ्ट सिटी में अपनी योजनाओं को तेज़ करने की बात कही है। साथ ही, वित्तीय सलाहकार और क्लियरिंग हाउस भी इस नई छूट को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि इससे उनके लिक्विडिटी प्रबंधन में सुधार होगा और लम्बे‑समय के अनुबंधों में जोखिम घटेगा।
भविष्य में, यदि इस नीति को और विस्तारित किया गया तो हम देख सकते हैं कि गिफ्ट सिटी में नई कंपनियों की स्थापना की गति बढ़ेगी, नई नौकरियों का सृजन होगा और भारत का वित्तीय एक्सपोर्ट बढ़ेगा। इसके साथ ही, अन्य भारतीय राज्य भी अपने आर्थिक हब को विकसित करने के लिये समान कर‑राहत मॉडल अपनाने की सोच सकते हैं।
Manu Tapora
ये नया नियम असल में बड़ी बात है। IFSC में TDS छूट से विदेशी निवेश आएगा, लेकिन इसकी असली जीत तब होगी जब छोटे भारतीय फिनटेक स्टार्टअप्स भी इसका फायदा उठाने लगें। अभी तो सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट्स ही इसका फायदा उठा रहे हैं।
haridas hs
इस नियम का वित्तीय लाभ अत्यंत सीमित है। केवल 7 वर्गों को लाभ मिल रहा है, जो कुल IFSC इकाइयों का लगभग 12% है। अन्य सभी फाइनेंशियल एक्टिविटीज़ को अभी भी TDS के तहत दबा दिया गया है। यह एक चुनौतीपूर्ण अपवाद है, न कि एक व्यापक नीति।
Shiva Tyagi
हम अपने देश को विदेशी निवेश के लिए बेच रहे हैं? TDS छूट देकर हम अपने कर वसूली के अधिकार को कमजोर कर रहे हैं। यह आज़ादी नहीं, बल्कि आर्थिक गुलामी की शुरुआत है। हमें अपने नियम बनाने चाहिए, न कि विदेशी बैंकों के लिए रास्ता बनाना।
Pallavi Khandelwal
इस नियम के तहत ब्रोकर्स और फंड मैनेजर्स को टैक्स छूट मिल रही है? ये लोग तो पहले से ही करोड़ों कमा रहे हैं! अब ये और भी अमीर हो जाएंगे, जबकि आम आदमी को अभी भी TDS काटा जा रहा है। यह अन्याय है। यह नियम अमीरों के लिए है, गरीबों के लिए नहीं।
Mishal Dalal
यह नियम बेहद जरूरी है! गिफ्ट सिटी को विश्व का नंबर वन फाइनेंशियल हब बनाना है, तो इसके लिए टैक्स बोझ कम करना जरूरी है! जिन्होंने इसे नकारा, वे भारत के विकास के खिलाफ हैं! यह एक ऐतिहासिक कदम है, जिसकी तारीखें इतिहास में लिखी जाएंगी! जय हिंद!
Pradeep Talreja
Form 1 हर साल भरना जरूरी है। इसकी गलती से छूट रद्द हो सकती है। इसका ध्यान रखें।
Rahul Kaper
अगर कोई छोटी फिनटेक कंपनी गिफ्ट सिटी में आना चाहती है, तो उसे इस नियम के बारे में कैसे पता चलेगा? क्या सरकार किसी ऑनलाइन गाइड या सेमिनार का आयोजन करेगी? ये जानकारी तक पहुंच भी एक बड़ी चुनौती है।
Manoranjan jha
ये नियम बहुत अच्छा है, लेकिन अगर कोई इकाई Form 1 जमा नहीं करती, तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? क्या इसकी जांच के लिए एक ऑटोमेटेड सिस्टम बनाया जा रहा है? यह भी जानना जरूरी है।
ayush kumar
इस नियम के बाद गिफ्ट सिटी में नौकरियां बढ़ेंगी, लेकिन क्या ये नौकरियां सिर्फ एमबीए वालों के लिए होंगी? या तकनीकी कर्मचारियों, डेटा एनालिस्ट्स, ऑपरेशन्स टीम्स के लिए भी अवसर बनेंगे? यही तो असली सफलता का मापदंड है।
Neev Shah
अरे भाई, ये नियम तो बहुत बेसिक है। अगर आप वास्तव में एक ग्लोबल फाइनेंशियल हब बनाना चाहते हैं, तो आपको लैंड लीज, वीजा पॉलिसी, डेटा प्राइवेसी लॉ, और इंटरनेशनल अर्बिट्रेशन क्लॉज़ भी रिफॉर्म करने होंगे। ये TDS छूट तो बस एक छोटा सा स्टेप है। अभी तक तो आपने बस बाहरी रंग बदला है।
Chandni Yadav
Section 80LA के तहत 10 साल की कर छूट देना अवैध है। यह आयकर अधिनियम के अनुच्छेद 197A के खिलाफ है। यह नियम न्यायालय में चुनौती का सामना करेगा। इसकी वैधता पर सवाल उठ रहा है।
Raaz Saini
इस तरह के नियम बनाने वाले लोगों को अपने देश के लोगों के बारे में सोचना चाहिए। जब आम आदमी के घर में बिजली नहीं है, तो ये सब क्यों? ये सब बस एक नकली दिखावा है। यह एक चाल है। एक शो।
Dinesh Bhat
क्या कोई जानता है कि इस नियम के बाद IFSC की गतिविधियों का ट्रैकिंग कैसे होगा? क्या एक रियल-टाइम डैशबोर्ड बनाया जा रहा है? ये बातें भी तो जरूरी हैं।
Kamal Sharma
हमारे देश में जब तक हम अपने स्वयं के नियम नहीं बनाएंगे, तब तक दुनिया हमें अपना बाजार बनाएगी। गिफ्ट सिटी को भारतीय विचारों से बनाना होगा, न कि वेस्टर्न मॉडल की नकल करके।
Himanshu Kaushik
ये नया नियम अच्छा है। अगर कोई बैंक या कंपनी गिफ्ट सिटी में काम करना चाहती है, तो अब उसे टैक्स के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी पड़ेगी। ये आसानी है।
Sri Satmotors
इससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। बहुत अच्छा कदम।