सहायक आत्महत्या रोकथाम: क्या करें और कहाँ मदद पाएँ

कभी सोचा है कि अचानक कोई दोस्त या परिवार वाला उदास हो गया तो आप कैसे पहचानें? अक्सर छोटे‑छोटे संकेत ही बताते हैं कि व्यक्ति संकट में है। इस लेख में हम बताएंगे कौन‑से लक्षणों पर ध्यान दें, घर में क्या बातें शुरू करें और सबसे भरोसेमंद हेल्पलाइन नंबर कौन से हैं.

आत्महत्या के चेतावनी संकेत

भले ही कोई हमेशा मुस्कुराता दिखे, लेकिन कुछ बदलाव तुरंत समझ आ जाते हैं:

  • अचानक काम या पढ़ाई में रुचि खत्म हो जाना।
  • सोशल मीडिया पर अलविदा लिखना या प्रोफ़ाइल हटाना।
  • नींद की समस्याएँ – बहुत ज़्यादा सोना या बिल्कुल नहीं सो पाना।
  • आर्थिक या सामाजिक दबाव के कारण निराशा में फँस जाना।
  • अक्सर ‘काफी हो गया’ जैसा बोलना, खुद को बेकार समझना।

इन संकेतों पर तुरंत जवाब देना ज़रूरी है. अगर आप इनमें से दो‑तीन देखते हैं तो बात करना शुरू करें – लेकिन ज़्यादा टैक्टिकली नहीं, बस सुनें.

सीधे कदम: कैसे मदद लें

1. बिना जजमेंट के सुनें: “तुम्हें क्या परेशान कर रहा है?” इस सवाल से बातचीत शुरू करें। आवाज़ को नरम रखें और सामने वाले की भावनाओं को स्वीकारें.

2. हेल्पलाइन नंबर शेयर करें: भारत में 24×7 राष्ट्रीय टोल‑फ्री हेल्पलाइन 9152987821, या मनोविज्ञान विभाग के स्थानीय नंबर्स तुरंत दे दें। ये नंबर पूरी तरह गुप्त हैं.

3. परिवार और दोस्त का समर्थन: अकेले रहने से बचें, साथ में टहलने जाएँ, छोटा‑छोटा काम मिलकर करें – जैसे किराना लाने में मदद करना या एक साथ फिल्म देखना.

4. पेशेवर मदद जरूरी है: यदि विचार लगातार आते रहें तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से अपॉइंटमेंट बुक कराएँ। कई शहरों में कम फीस पर सरकारी क्लिनिक उपलब्ध हैं.

5. आपातकाल में तुरंत कार्रवाई: अगर कोई खुद को नुकसान पहुँचाने की योजना बनाता दिखे, तो बिना देर किए पुलिस या आपातकालीन मेडिकल सेवा (108) को कॉल करें.

हमारे पास एक छोटा चेक‑लिस्ट है जिसे आप प्रिंट करके घर में रख सकते हैं: संकेत पहचानें → बातचीत शुरू करें → हेल्पलाइन शेयर करें → पेशेवर मदद लें। यह आसान कदम कई जीवन बचा सकता है.

आखिर में, याद रखें कि कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती कि उसका हल न मिले. आप एक छोटा सहारा बनकर किसी की जिंदगी में बड़ा फर्क ला सकते हैं. अगर आपको या आपके जान‑पहचान वालों को मदद चाहिए तो तुरंत ऊपर बताए गए नंबर डायल करें – यही पहला कदम है.

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