अमेरिकी महिला की स्विस सुसाइड पॉड के पहले उपयोग में मौत, कई गिरफ्तार

अमेरिकी महिला की स्विस सुसाइड पॉड के पहले उपयोग में मौत, कई गिरफ्तार

अमेरिकी महिला की स्विस सुसाइड पॉड के पहले उपयोग में मौत

स्विटज़रलैंड में, एक 64 वर्षीय अमेरिकी महिला, जिसकी इम्यून प्रणाली गंभीर रूप से कमजोर थी, ने अपनी जान दी। उन्होंने इसके लिए एक विवादास्पद स्विस सुसाइड पॉड का उपयोग किया, जिसे 'सरको कैप्सूल' नाम दिया गया है। इस डिवाइस को ऑस्ट्रेलियाई चिकित्सक फिलिप निट्शके ने बनाया है, जो एक गैर-लाभकारी संगठन एक्ज़िट इंटरनैशनल के संस्थापक हैं। यह डिवाइस नाइट्रोजन गैस के उपयोग से, बिना किसी दवा की आवश्यकता के, कुछ ही मिनटों में उपयोगकर्ता को अचेत और मृत कर देता है।

यह घटना सोमवार को एक घने जंगल में, जर्मन सीमा के पास स्थित मेरिशाउज़न की नगरपालिका में घटित हुई। इस घटना में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें स्विस संगठन 'द लास्ट रिसॉर्ट' के सह-अध्यक्ष फ्लोरियन विलेट भी शामिल हैं, जो उस महिला की मौत के समय वहां उपस्थित थे। इसके अलावा, एक डच पत्रकार और दो स्विस नागरिकों को भी हिरासत में लिया गया है। इनमें से एक स्विस नागरिक एक फोटोग्राफर हैं जिन्होंने सुसाइड कैप्सूल के उपयोग को डॉक्युमेंट किया था।

'द लास्ट रिसॉर्ट' का कहना है कि मृतक महिला ने अपना निर्णय लेने से पहले मानसिक स्वास्थ्य जांच करवाई थी और उसकी मौत को 'शांतिपूर्ण, तेज और सम्मानजनक' बताया गया है। फिर भी, स्विस अधिकारियों ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने और उसे मदद करने के आरोपों के तहत कई लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी है।

सारको कैप्सूल: सुरक्षित या विवादास्पद?

सरको कैप्सूल के उपयोग ने इसकी सुरक्षा, कानूनीता और नैतिकता को लेकर चर्चा को प्रज्वलित कर दिया है। स्विस कानून कुछ परिस्थितियों में सहायक आत्महत्या की अनुमति देता है, लेकिन इच्छामृत्यु को मना करता है। आलोचकों का कहना है कि ऐसे उपकरणों का उपयोग ग़लत उद्देश्यों के लिए हो सकता है, जबकि समर्थक इसे गंभीर और अपारिवर्तनीय परिस्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए मानवीय और स्वायत्त विकल्प मानते हैं।

स्विटज़रलैंड की प्रगतिशील सहायक आत्महत्या नीतियों के चलते, 2020 में लगभग 1,300 लोगों ने सहायक आत्महत्या का सहारा लिया। फिर भी, बाहरी सहायता, जैसे कि सरको कैप्सूल का उपयोग, अब बहस का एक केंद्रीय मुद्दा बन गया है। देश की स्वास्थ्य मंत्री, एलिज़ाबेथ बाउमे-श्नाइडर ने इस उपकरण के बारे में चिंता जताई है और कहा है कि यह उत्पाद सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करता और नाइट्रोजन का उपयोग कानूनी तौर पर सही नहीं है।

फिलिप निट्शके की विवादास्पद भूमिका

फिलिप निट्शके, जिन्हें 'डॉ. डेथ' के नाम से भी जाना जाता है, ने पहले बताया था कि स्विस विधिक विशेषज्ञों ने सलाह दी थी कि सरको कैप्सूल स्विटज़रलैंड में तैनात किया जा सकता है। हालांकि, अन्य वकीलों ने इन निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं। मेरिशाउज़न की घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या स्विस अधिकारी भविष्य में इस तकनीक पर और अधिक प्रतिबंध या नियमन लगाएंगे।

आगामी दिनों में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले का न्यायिक और विधिक अनुकरण कैसा होता है। मानवाधिकार, आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जटिल पहलुओं के कारण, इस मुद्दे पर आने वाले फैसले का प्रभाव दूरगामी हो सकता है। समंदर के इस पार, यह मानवाधिकार, बायोमेडिकल नैतिकता और समाज की स्थायित्व में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहेगा।

टिप्पणि

  • Guru s20
    Guru s20

    ये सब बहस तो होती रहेगी, लेकिन जिस इंसान के पास दर्द का कोई अंत नहीं है, उसके लिए शांति मिल जाए तो क्या गलत है? हम बाहर से बैठकर नैतिकता का पाठ पढ़ रहे हैं, लेकिन अगर हम उसकी जिंदगी जी रहे होते तो शायद हम भी वही चाहते।

    कोई भी अंत अच्छा अंत होता है, जो उस इंसान के लिए सम्मानजनक हो।

  • Rahul Raipurkar
    Rahul Raipurkar

    इसे मानवीय विकल्प कहना बिल्कुल गलत है। ये तो एक तकनीकी उत्पाद है, जिसे बाजार में बेचा जा रहा है। जब आत्महत्या को एक प्रोडक्ट के रूप में लॉन्च किया जाता है, तो ये नैतिकता का नहीं, बल्कि कैपिटलिज्म का अपराध है।

  • PK Bhardwaj
    PK Bhardwaj

    सरको कैप्सूल का डिज़ाइन एक बायोमेडिकल इंटरफेस के रूप में है, जो एक्सिट इंटरनैशनल के फिलोसोफी ऑफ़ एंड-ऑफ-लाइफ ऑटोनॉमी को रियल-टाइम एक्सेक्यूट करता है। नाइट्रोजन एस्टेसिस एक निर्माणात्मक एन्डोफिन डिप्लीशन के साथ आत्म-अवधारणा को विलीन कर देता है।

    ये तकनीक उस व्यक्ति के लिए एक एक्सिस ऑफ़ एंड-ऑफ-लाइफ कॉन्ट्रोल है, जो अन्यथा असहनीय जीवन अवधि में फंसा हुआ है।

  • Soumita Banerjee
    Soumita Banerjee

    अरे यार, ये सब तो बस एक और बड़ा ट्रेंड है। जैसे जिम जाना, या ऑर्गेनिक फूड खाना। अब आत्महत्या भी लग्ज़री सर्विस बन गई। बस अब इसके लिए एक इंस्टाग्राम अकाउंट बना लो, #PeacefulExit टैग कर दो।

  • Navneet Raj
    Navneet Raj

    हर किसी को अपनी जिंदगी का अंत चुनने का अधिकार है, लेकिन इस तरह के उपकरणों को नियंत्रित करना भी जरूरी है। ये बस एक विकल्प होना चाहिए, न कि एक बिजनेस मॉडल। जिन लोगों को मानसिक बीमारी है, उनके लिए अलग से सहायता चाहिए।

  • Neel Shah
    Neel Shah

    क्या ये नाइट्रोजन गैस वाला कैप्सूल अभी तक नहीं बन गया? 😅 ये तो बस एक और फेक न्यूज़ है जिसे लोग शेयर कर रहे हैं। असल में ये सब एक रियलिटी शो है जिसका निर्माण किसी ने किया है। 🤡

  • shweta zingade
    shweta zingade

    मैं जानती हूँ कि ये सुनकर लगेगा कि मैं बहुत कठोर हूँ, लेकिन जिस इंसान के पास दर्द का अंत नहीं है, उसके लिए ये एक दयालु आउटलेट हो सकता है।

    हम भारत में भी इस बारे में बात करना शुरू कर दें। जिन लोगों को दर्द ने घेर लिया है, उनके लिए एक शांति का रास्ता होना चाहिए। न कि सिर्फ़ दवाओं के नाम पर जीवन बर्बाद करना।

  • Pooja Nagraj
    Pooja Nagraj

    यह घटना एक अस्तित्ववादी अपराध है, जिसमें व्यक्ति के अस्तित्व की अनिश्चितता को तकनीकी विधि से अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह न केवल एक नैतिक अपराध है, बल्कि एक सांस्कृतिक विफलता है - जहाँ जीवन की गहराई को अनदेखा कर दिया गया है।

    स्विस नीतियाँ एक आधुनिक नैतिक अंधकार का प्रतीक हैं।

  • Anuja Kadam
    Anuja Kadam

    ये सब बहुत बड़ी बात है लेकिन एक बात भूल रहे हो कि इंसान अपनी जिंदगी का फैसला खुद ले सकता है। अगर दर्द इतना ज्यादा है तो फिर जिंदगी क्यों जीनी? ये तो बस एक रास्ता है।

  • Pradeep Yellumahanti
    Pradeep Yellumahanti

    अमेरिकी महिला ने स्विटजरलैंड जाकर अपना अंत चुना। हमारे देश में अगर कोई ऐसा करना चाहे तो उसे जेल जाना पड़ता है। क्या हमारी संस्कृति इतनी असहिष्णु है कि एक इंसान को शांति से जाने का अधिकार नहीं है?

    हम लोगों को जीवन जीने का दबाव देते हैं, लेकिन मृत्यु का अधिकार नहीं।

  • Shalini Thakrar
    Shalini Thakrar

    हर इंसान के अंदर एक गहरा सवाल होता है - क्या मैं इस जीवन को और जी सकता हूँ? जब दर्द इतना ज्यादा हो जाए कि शांति ही एकमात्र उत्तर लगे, तो क्या उसके लिए एक शांत अंत देना बुरा है?

    मैं नहीं कह रही कि ये सब आसान है, लेकिन कभी-कभी दया का मतलब बचाना नहीं, बल्कि छोड़ देना होता है। 🌿

  • pk McVicker
    pk McVicker

    ये सब बकवास है।

  • Laura Balparamar
    Laura Balparamar

    हम ये बातें तब तक बात कर रहे हैं जब तक कोई हमारे परिवार में नहीं गया। जब आपकी माँ या बाप दर्द से तड़प रहे हों, तो आपका दिल क्या कहेगा? क्या आप उन्हें दर्द में जीने के लिए मजबूर करेंगे? ये नैतिकता नहीं, बल्कि अहंकार है।

  • Shivam Singh
    Shivam Singh

    मैंने इस बारे में कुछ नहीं सुना था... लेकिन अगर ये बात सच है तो ये तो बहुत बड़ी बात है। शायद हमें इसके बारे में ज्यादा जानना चाहिए।

  • Piyush Raina
    Piyush Raina

    क्या स्विस कानून इस तरह के उपकरणों को वास्तव में अनुमति देता है? या ये सिर्फ़ एक लूपहोल है? अगर ये तकनीक अनियंत्रित रूप से फैल गई, तो क्या ये एक नए प्रकार के आत्महत्या ट्रेंड की शुरुआत होगी? ये सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण हैं जिनका जवाब देना जरूरी है।

  • Guru s20
    Guru s20

    ये बात बहुत गहरी है। मैंने एक दोस्त को लंबे समय तक दर्द में जीते हुए देखा। वो हर रोज़ कहता था - मैं बस थक गया हूँ।

    जब वो चला गया, तो मुझे लगा कि वो शांति मिल गई। अगर इस तरह का एक विकल्प होता, तो शायद वो अपनी आखिरी दिन अपने तरीके से बिता पाता।

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