क्या आप अक्सर सोचते हैं कि पूजा कैसे करनी चाहिए, लेकिन कभी‑कभी उलझन में पड़ जाते हैं? चिंता मत करो, यहाँ हम आपको सरल शब्दों में बताएंगे कि हर दिन की पूजा को ठीक‑ठाक कैसे किया जाए। बस कुछ चीज़ें तैयार रखें और नीचे लिखे स्टेप्स फॉलो करें – सब आसान है.
पूजा का सबसे पहला नियम है – साफ‑सुथरा कोना और शुद्ध मन. आमतौर पर सुबह के पहले दो घंटे (जैसे 6‑8 बजे) या शाम के सूरज ढलते ही (5‑7 बजे) समय अच्छा माना जाता है। अगर आपके पास विशेष समय नहीं है तो कोई भी शांत जगह चलती है – बाथरूम, बालकनी या घर का छोटा कोना. याद रखें, जहाँ धूप या हवा सीधे नहीं आती, वही बेहतर रहता है.
स्थान साफ करें: झाड़‑पोंछ कर सतह को पोंछें, थोड़ी सी गंध वाली अगरबत्ती या धूप जलाएँ ताकि माहौल शांत हो। इससे आपके मन में भी शांति आएगी और पूजा का असर बढ़ेगा.
1. वस्तुओं की तैयारी: एक छोटा थाल, जल (शुद्ध पानी), अगरबत्ती, दीपक/मोमबत्तियां, धूप, फूल, पवित्र पुस्तक (जैसे गीता या पुराण) और अपने पसंद के देवता का चित्र या मूर्ति रखें. यदि आपके पास सब नहीं है तो सिर्फ एक छोटी सी मिट्टी की थाली और पानी भी चल जाएगा.
2. शुद्धि: हाथ धोकर, मुख साफ़ करके, फिर जल को थाल में डालें. कुछ लोग पानी में तुलसी के पत्ते या हल्दी मिलाते हैं – यह वैकल्पिक है लेकिन शुभ माना जाता है.
3. दीपक जलाना: दीपक में तेल/गिओल और एक बत्ती लगाएँ. इसे दो बार घुमाकर अपने मन की शुद्धि का प्रतीक बनाएं.
4. मंत्र या आरती पढ़ना: अपनी पसंद के देवता का छोटा मंत्र (जैसे "ॐ नमः शिवाय") दोहराएँ या सरल भजन गाएँ। अगर आपके पास कोई रिकॉर्डेड आरती है तो उसे चलाएँ, यह ध्यान को केंद्रित रखने में मदद करता है.
5. प्रसाद देना: थोड़ा सा फल, मिठाई या शक्कर के टुकड़े रखें और उन्हें देवता को अर्पण करें। बाद में इसे अपने आप ही खा सकते हैं – माना जाता है कि यह शुभ ऊर्जा लाता है.
6. प्रार्थना और अभिवादन: अंत में एक छोटी सी प्रार्थना लिखें या मौन में सोचें कि आप किस चीज़ के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं। फिर हाथ जोड़कर "ॐ शांति" कह कर समाप्त करें.
इन स्टेप्स को रोज़ दोहराने से घर में सकारात्मक माहौल बना रहता है और मन भी शांत होता है. याद रखें, पूजा का सबसे बड़ा मकसद आपके अंदर की शुद्धि है; चीज़ें जितनी सरल होंगी, उतना ही असर रहेगा.
अगर आप चाहें तो हर हफ्ते एक नई विधि आज़मा सकते हैं – जैसे तुलसी के पत्तों से पूजा या दही‑चावल का भोग. प्रयोग करने से आपको पता चलेगा कि कौन सी विधि आपके घर में सबसे बेहतर काम करती है.
अब देर न करें, अपनी छोटी सी थाली लेकर एक बार आज़माएँ। देखिए कैसे सच्ची शांति और खुशहाली आपके दिन‑प्रतिदिन में घुलती है.
विश्वकर्मा पूजा, जिसे विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा दिवस भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह त्योहार विश्व के दिव्य वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। 2024 में यह पूजा 16 सितंबर को मनाई जाएगी, हालांकि 17 सितंबर को भी कुछ लोग इसे मनाते हैं। इस दिन लोग अपने वाहनों, मशीनों, औजारों और अन्य उपकरणों की पूजा करते हैं।
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