आपने सुना होगा कि टेस्ट क्रिकेट में अब सफ़ेद गेंद के साथ पिंक गेंद भी प्रयोग हो रही है। इसे ही हम पिंक बॉल टेस्ट कहते हैं। इस फॉर्मेट का मकसद रात के समय या छाया वाले स्टेडियम में खेल को बेहतर दिखाना और टेलीविज़न पर देखना आसान बनाना था। भारत ने भी कई बार पिंक बॉल टेस्ट खेले हैं, इसलिए इस टैग से जुड़ी खबरें यहाँ मिलेंगी।
सफ़ेद गेंद जैसा ही पिंक बॉल का आकार और वजन तय है, बस इसका रंग बदल गया है। एक बात खास है – पिंक बॉल को चमकीला बनाये रखने के लिए इसे दो‑तीन बार घिसा जाता है, इसलिए कुछ मैचों में गेंद जल्दी घिस सकती है। इस वजह से बैट्समैन को शॉट की योजना पहले से करनी पड़ती है और बॉलर को भी अपनी लाइन बदलनी पड़ती है। ओवरराइटिंग (ओवर‑टाइम) में कोई अंतर नहीं; 90 ओवर के बाद दो दिन का ब्रेक, फिर बाकी ओवर खेलते हैं।
दूसरा नियम यह है कि पिंक बॉल को रात में उपयोग करने से पहले स्टेडियम की लाइटिंग सही होनी चाहिए। अगर रोशनी कमजोर रही तो रिफ़रेंस के लिए सिक्स‑हिटर्स का प्रयोग किया जाता है, जिससे खिलाड़ी और दर्शकों दोनों को स्पष्ट दृश्य मिलता है।
बॅट्समैन के लिए पिंक बॉल थोड़ी तेज़ हो सकती है, इसलिए शुरुआती ओवर में सावधानी बरतें। छोटे शॉट्स और डिफेंस पर ध्यान दें, क्योंकि गेंद का स्विंग अधिक रहता है। अगर आप फुल-टैम्पर लायन बनना चाहते हैं तो राउंड‑ऑफ़ के बाद धीरे‑धीरे अटैक करें, जब गेंद थोड़ा घिसती है और स्पिनर को फायदा मिलता है।
बॉलर्स का काम भी बदलता है। तेज़ बॉलर को शुरुआती ओवर में लाइन और लम्बाई पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पिंक बॉल की चमक से स्विंग ज्यादा हो सकती है। स्पिनरों को फिर मध्य‑ओवर में अधिक घुमाव वाले शॉट्स देने के लिए प्रेशर बनाना चाहिए। खासकर रात में जब हवा ठंडी होती है, तब ऑफ़स्पिन का असर बढ़ जाता है।
फील्डिंग साइड भी इस फॉर्मेट में महत्वपूर्ण हो जाता है। पिंक बॉल की रोशनी में पकड़ना आसान नहीं होता, इसलिए किचनर को तेज़ प्रतिक्रिया और सही जगह पर रखना ज़रूरी है। कैचिंग के लिए टीम ने अक्सर अतिरिक्त एलीट फ़ील्डर्स को रख दिया है।
अगर आप क्रिकेट का शौकीन हैं तो पिंक बॉल टेस्ट की हर छोटी‑छोटी खबर यहाँ मिल सकती है – चाहे वह टीम चयन हो, मैच परिणाम हो या खिलाड़ी का इनफ़ॉर्मेशन। हमने कुछ प्रमुख लेखों को भी टैग में जोड़ा है ताकि आप एक ही जगह पर सब पढ़ सकें।
उदाहरण के तौर पर हालिया पिंक बॉल टेस्ट में भारत ने किस तरह से स्ट्रैटेजी बदली, कौनसे खिलाड़ी चमके और कब टीम का डिप्लॉइमेंट सफल रहा – ये सभी बातें हम यहाँ विस्तारित रूप में बताएँगे। पढ़ते रहिए और अपनी क्रिकेट समझ को बढ़ाइए।
अंत में यह कहना चाहिए कि पिंक बॉल टेस्ट सिर्फ एक नई गेंद नहीं, बल्कि खेल के अनुभव को बदलने वाला नया अध्याय है। इस टैग पेज पर आप हर अपडेट पा सकते हैं – मैच रिव्यू, विशेषज्ञ राय और फैन कमेंट्स। तो देर किस बात की? अभी पढ़ना शुरू करें और क्रिकेट का मज़ा दुगुना बनाएं।
भारतीय क्रिकेट कप्तान रोहित शर्मा ने पर्थ में पहले टेस्ट में भारत की जीत के बाद से टीम में जारी सकारात्मक माहौल पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल के ओपनिंग करने के फैसले का समर्थन किया, क्योंकि यह टीम के लिए सही था। रोहित ने टीम के संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की ताकत को चुनौती देने की प्रतिबद्धता जताई।
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