जब दो या दो से ज़्यादा देश एक-दूसरे के सामान और सेवाओं पर कोई टैक्स नहीं लगाते, तो उसे मुक्त व्यापार कहते हैं। इस तरह की व्यवस्था से कंपनियों को सस्ते दामों पर सामग्री मिलती है और ग्राहक को भी कम कीमत में चीज़ें खरीदने को मिलती हैं। भारत जैसे बड़े देश के लिए यह नीति आर्थिक गति बढ़ाने का एक ज़रूरी साधन बन गई है।
पहला फायदा है कीमतों में गिरावट। जब आयात पर टैरिफ नहीं होता, तो विदेशी कंपनियां अपने प्रोडक्ट सस्ते दाम में बेच सकती हैं और स्थानीय उपभोक्ता को भी बचत मिलती है। दूसरा, कंपनियों को नई तकनीकें और बेहतर उत्पादन विधियां सीखने का मौका मिलता है क्योंकि उन्हें विदेशों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। तीसरा, निर्यात बढ़ता है—देश के उत्पाद जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में सस्ते दाम पर उपलब्ध होते हैं तो अधिक खरीदार आते हैं और विदेशी मुद्रा आती है।
इन फायदों का सीधा असर रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर भी पड़ता है। आपका मोबाइल, कपड़े या खाना बनाते समय इस्तेमाल होने वाले मसाले अब पहले से सस्ते मिलते हैं। साथ ही, नई नौकरी के अवसर पैदा होते हैं क्योंकि कंपनियां बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए फैक्ट्री और सेवा केंद्र खोलती हैं।
भारत ने कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते किए हैं—जैसे ASEAN, SAFTA, और RCEP (अब तक के कुछ हिस्से)। इन समझौतों में टैरिफ को कम या हटाया गया है, जिससे भारत से बनायीं गई चीज़ें आसानी से विदेशों में बेच सकी। सरकार ने ‘Make in India’ अभियान भी शुरू किया ताकि स्थानीय निर्माण बढ़े और निर्यात की मात्रा सुधरे।
व्यापार नीति का एक हिस्सा है विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) बनाना, जहाँ कंपनियों को टैक्स रियायतें मिलती हैं। इससे छोटे उद्यमी भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रख सकते हैं बिना बड़े पूंजी के बोझ के। साथ ही, स्टार्टअप्स के लिए फ्रीजोन और ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर आसान प्रवेश नियम बनाए गए हैं जिससे डिजिटल व्यापार भी तेज़ी से बढ़ रहा है।
परन्तु मुक्त व्यापार में चुनौतियां भी होती हैं। अगर घरेलू उद्योग मजबूत नहीं है तो सस्ते आयात उनके ऊपर दबाव डाल सकते हैं, जिससे नौकरी घट सकती है। इसलिए सरकार को संतुलित नीति बनानी पड़ती है—किसी सेक्टर को मदद के लिए टैरिफ रखना और दूसरे को खुला बाजार देना।
अगर आप एक छोटे व्यापारी या स्टार्टअप चला रहे हैं तो मुक्त व्यापार का फायदा उठाने के लिये कुछ आसान कदम उठा सकते हैं:
संक्षेप में, मुक्त व्यापार एक ऐसा औज़ार है जो सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए तो आर्थिक विकास को तेज़ करता है, कीमतें घटाता है और नई नौकरियां बनाता है। भारत ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं, लेकिन संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है—ताकि सभी सेक्टरों को बराबर मौका मिले। आप चाहे उपभोक्ता हों या व्यापारी, मुक्त व्यापार की समझ आपके फैसलों को बेहतर बना सकती है।
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते की छठी दौर की बातचीत लंबे समय तक सुर्खियों में रही। 3 साल तक चले 14 राउंड के बाद 6 मई 2025 को फाइनल करार हुआ, जिसमें 85% टैरिफ हटाकर द्विपक्षीय व्यापार को हर साल £25.5 बिलियन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया।
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