अगर आप सोच रहे हैं कि India-UK FTA की छठी दौर की बातचीत में आखिर क्या हुआ था, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक हुई। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा साल 2022 की शुरुआत में शुरू हुई थी। फिर छह दौर तक लगातार बातचीत चली, जिसमें कई मुद्दों पर गहन विमर्श हुआ।
मुक्त व्यापार समझौता यानी FTA का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान और सस्ता बनाना है। भारत और ब्रिटेन, दोनों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह समझौता काफी मायने रखता है। अगर पुराने रिकॉर्ड देखें, तो दो देशों के बीच सालाना व्यापार £29 बिलियन के करीब पहुंच चुका था। छठी दौर से पहले दोनों पक्षों के बीच कई मुद्दे लंबित थे—जैसे कृषि उत्पादों पर शुल्क, सेवा क्षेत्र में साझेदारी, और डेटा ट्रांसफर के नियम। छठे दौर में हालांकि किस मुद्दे पर सहमति बनी या कौन सा विवाद उभरा, इसकी डिटेल तो नहीं मिली, लेकिन इतना तय है कि इसी वक्त कई बड़े मसलों पर दोनों की राय करीब आई।
तीन साल तक चलते रहे 14 राउंड के बाद आखिरकार 6 मई 2025 को यह समझौता फाइनल किया गया। इस करार में दोनों देशों ने तय किया कि अगले 10 साल में 85% से अधिक टैरिफ हटाए जाएंगे। सोचिए, इससे दो तरफा व्यापार में हर साल लगभग £25.5 बिलियन की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है।
कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, छठी दौर की बातचीत में खासतौर पर गाड़ियों, शराब, और आयातित टेक्सटाइल के टैरिफ पर चर्चा जोर दिखाई गई थी। सेवा क्षेत्र, जैसे IT और फाइनेंस, में भारत को ज्यादा मौके दिलाने की बात भी उठी। ब्रिटेन अपनी टेक और ग्रीन एनर्जी कंपनियों के लिए बाजार की झलक चाहता था। इन सब विषयों पर समझ बनाना आसान नहीं था। कई बार दोनों देश अलग—अलग चीजें मांगते रहे, लेकिन धैर्य और संवाद की वजह से आखिरकार रास्ता निकल ही गया।
अब जब ये समझौता हो चुका है, तो इसका सीधा फायदा छोटे और मध्यम उद्योगों को मिलेगा, जो अब कम टैक्स के साथ बड़े बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे। यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की बात करें या व्यापार समझौता की, दोनों देशों के कारोबारी जगत में इसे लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। आने वाले वक्त में दोनों सरकारों पर निगाह रहेगी कि वे इस करार को कंपनियों और आम लोगों तक कैसे पहुंचाते हैं।
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