जब आप ऑनलाइन लेन‑देन करते हैं, तो सबसे पहला सवाल यही आती है – IFSC कोड, इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड, जो हर बैंक शाखा को एक विशिष्ट पहचान देता है. अक्सर इसे इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड भी कहा जाता है. यह कोड 11 अक्षरों का होता है – पहला चार अक्षर बैंक का कोड, पाँचवाँ शून्य, और अगले छह अक्षर शाखा का यूनिक आईडी.
IFSC कोड अकेले नहीं चलता; यह कई बुनियादी बैंकिंग घटकों के साथ जुड़ा है. बैंक, वित्तीय संस्थान जो जमा, ऋण और भुगतान सेवाएँ देता है अपने शाखा को पहचानने के लिए IFSC उपयोग करता है. क्योंकि IFSC ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को सक्षम बनाता है, यह NEFT और RTGS जैसी इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफ़र प्रणाली को निर्देशित करता है. इसी तरह, NEFT, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, जो बैंकों के बीच धन की गति बढ़ाता है को लेन‑देन के समय IFSC की आवश्यकता होती है. UPI, जो मोबाइल भुगतान को सरल बनाता है, भी बैकएंड में IFSC की पुष्टि पर निर्भर करता है. अंत में, MICR कोड, जो चेक प्रोसेसिंग में उपयोग होता है, IFSC से अलग रह कर भी समान शाखा पहचान में सहयोग देता है. इन चार घटकों – IFSC, बैंक, NENEFT/RTGS और MICR – की परस्पर जड़ता वित्तीय लेन‑देन को तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी बनाती है.
इस टैग पेज पर आप देखेंगे कि हमारी ताज़ा खबरें और विश्लेषण कैसे IFSC कोड के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं – चाहे वह नया डिजिटल भुगतान नियम हो, बैंक शाखा में तकनीकी सुधार, या अंतरराष्ट्रीय फ़ंड ट्रांसफ़र की चुनौतियाँ. नीचे दी गई लिस्ट में बैंकों की नई नीतियों, मोबाइल वॉलेट अपडेट, और फ़ाइनेंशियल टेक्नोलॉजी की प्रमुख ख़बरें शामिल हैं, जो आपके रोज़मर्रा के वित्तीय फैसलों में सीधे मददगार होंगी. चलिए, अब इन लेखों में डुबकी लगाते हैं और देखते हैं कि IFSC कोड आपके बैंकिंग अनुभव को कैसे आसान बनाता है.
CBDT ने 20 जून 2025 को जारी किए गए नोटिफिकेशन 67/2025 के तहत गिफ्ट सिटी IFSC इकाइयों को TDS छूट दी है। यह छूट 1 जुलाई 2025 से लागू होगी और सात वर्ग के पेमेन्टर्स को लाभ मिलेगा। शर्तों में Section 80LA के तहत कर राहत का चयन और वार्षिक Form 1 जमा करना अनिवार्य है। इस कदम से भारत का वित्तीय हब बनने का लक्ष्य तेज़ होगा। विदेशी निवेशकों और संस्थागत पूँजी के प्रवाह में भी आशा की नई रोशनी दिखेगी।
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