हाल ही में सरकार की एक्साइस नीति में बड़े पैमाने पर छूट दी गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि कई कंपनियों ने इस छूट का दुरुपयोग किया। यह धोखाधड़ी सिर्फ कर राजस्व को नहीं घटाती, बल्कि आम लोगों के जेब पर भी असर डालती है। अब सवाल उठता है‑क्या सच में ये नीति जनता के लिए बनाई गई थी या कुछ बड़े हितों को फाइदा पहुंचाने की योजना?
पहला कारण था दस्तावेज़ीकरण का ढीला होना। कई उद्योग ने अपनी बिक्री रिपोर्ट में गलत आंकड़े भरे और कम कर भुगतान किया। दूसरा, कुछ सरकारी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करके कंपनियों को विशेष छूट दे रहे थे। तीसरा, टेक्निकल सिस्टम की कमजोरियां थीं; ऑनलाइन रिटर्न फॉर्म में बदलाव आसानी से किए जा सकते थे और उनपर नजर रखी नहीं गई। इन सब कारणों ने मिलकर एक बड़ी धोखाधड़ी को जन्म दिया।
जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि लाखों रुपये का कर राजस्व गायब हो गया था। इससे सरकारी खर्चे, जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य, पर भी असर पड़ा। इस घोटाले की वजह से कई छोटे व्यापारियों ने भी असमान प्रतिस्पर्धा का सामना किया, क्योंकि बड़े खिलाड़ी छूट लेकर सस्ते दाम में सामान बेच रहे थे।
पहले तो अपने बिलों और रसीदों की जाँच करें। अगर आपके खरीदे गए उत्पाद पर एक्साइस टैक्स सही नहीं लगा है, तो विक्रेता से स्पष्टीकरण माँगे। दूसरा, शिकायत दर्ज कराने के लिए लोकपाल या राजस्व विभाग की वेबसाइट इस्तेमाल कर सकते हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरना आसान है और आप अपने मामले को ट्रैक भी कर सकते हैं।
तीसरा, सोशल मीडिया पर जागरूकता बढ़ाएँ। जब कई लोगों ने एक ही समस्या बताई तो प्रशासनिक कार्रवाई तेज़ हो सकती है। अंत में, अगर आपके पास कानूनी मदद की जरूरत महसूस होती है, तो उपभोक्ता फोरम या स्थानीय वकील से सलाह लें।
सरकार भी इस घोटाले को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। नई प्रणाली में रीयल‑टाइम डेटा एंट्री और ऑडिटिंग प्रक्रिया को कड़ा किया गया है। साथ ही, अधिकारीयों की जिम्मेदारी बढ़ाने के लिये सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। इन बदलावों से भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी कम होगी, लेकिन इसका असर तभी दिखेगा जब आम जनता भी सतर्क रहे।
संक्षेप में, एक्साइज पॉलिसी घोटाला सिर्फ एक आर्थिक घटना नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा भी बन चुका है। यदि हम सभी मिलकर सही जानकारी रखें और सरकारी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में मदद करें तो इस तरह के घोटालों से बच सकते हैं। याद रखिए‑जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक्साइज पॉलिसी घोटाला का 'सूत्रधार' माना है। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर फैसला आरक्षित रखा है। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने ही इस पॉलिसी को उत्पन्न किया और अनुमोदन हेतु अपने सहयोगियों तक पहुँचाया।
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