जब बात भारतीय कर प्रणाली की आती है, तो सबसे पहले CBDT, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, जो आयकर, और अन्य सीधे करों की नीति बनाता व लागू करता है. Also known as सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ का काम केवल नियम बनाना नहीं, बल्कि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन को नियमित करने में भी है। इस बोर्ड के तहत Income Tax Act, वित्तीय वर्ष में आय पर कर निर्धारण करने वाला मुख्य कानून अस्तित्व में है, जो सीधे Direct Tax, व्यक्तियों और कंपनियों की आय पर लगाया जाने वाला कर को परिभाषित करता है। जब आप अपना Tax Return, वित्तीय वर्ष के अंत में आय और कर की जानकारी दाखिल करने की प्रक्रिया फाइल करते हैं, तो यह सभी जानकारी CBDT के सिस्टम में आती है, जिससे कर विभाग आपकी आय का आकलन कर सकता है। इसका मतलब है कि CBDT ↔ Direct Tax नीति बनाता है, Income Tax Act ↔ Direct Tax का दायरा निर्धारित करता है, और Tax Return ↔ CBDT द्वारा अनिवार्य है। इसके अलावा, Tax Planning को अक्सर करदाता अपने दायित्व को कम करने के लिए अपनाते हैं; यह प्रक्रिया आय घटाने, कटौतियों का उपयोग करने और योग्य छूटों का लाभ उठाने पर केंद्रित होती है। जब आप Advance Tax, Tax Deduction at Source (TDS), या Tax Audit जैसी प्रक्रियाओं को समझते हैं, तो देखेंगे कि ये सभी तत्व CBDT के नियामक ढांचे में बंधे हैं। उदाहरण के तौर पर, TDS कर कटौती का प्रारंभिक चरण है जो आय के स्रोत पर ही कर रोके रखता है, जबकि Advance Tax आय की अनुमानित राशि पर पहले से कर जमा करने की व्यवस्था है।
यदि आप वित्तीय वर्ष (FY) और असेसमेंट इयर (AY) के अंतर को नहीं जानते, तो टैक्स‑फ़ाइलिंग में गड़बड़ी हो सकती है। FY वह वर्ष है जिसमें आपकी आय हुई, जबकि AY वह वर्ष है जिसमें आप उस आय पर कर का भुगतान करते हैं। PAN (Permanent Account Number) हर करदाता का अनिवार्य पहचान‑पत्र है; बिना PAN के Tax Return दाखिल नहीं किया जा सकता। इसी तरह, Tax Exemption, Tax Credit, और Tax Deduction की श्रेणियाँ आपकी कर देनदारी को काफी हद तक घटा देती हैं—इन्हें समझना CBDC के दिशा‑निर्देशों के साथ जुड़ा हुआ है। CBDT द्वारा जारी दिशानिर्देशों में अक्सर नई कर‑सुविधाएँ, जैसे कि हाई‑टेक सेक्टर में R&D खर्चों पर छूट, या स्टार्ट‑अप इक्विटी पर कर रियायतें, शामिल होती हैं। ये सुविधाएँ आर्थिक विकास को तेज़ करने के साथ-साथ करदाता की वित्तीय योजना में सरलीकरण लाती हैं। Tax Refund, जो अधिक कर भुगतान के बाद सरकार द्वारा वापस किया जाता है, भी CBDT के निचले स्तर के कार्यालयों (जैसे IT/IT(+) एवं TDS) द्वारा प्रोसेस किया जाता है। साथ ही, GST (Goods and Services Tax) पर चर्चा न करना अधूरा रहेगा, क्योंकि कई व्यवसायों के लिए GST और Direct Tax दोनों का एक साथ पालन आवश्यक होता है। जब आप GST रिटर्न फाइल करते हैं, तो उसके साथ ही आपके Direct Tax रिटर्न को भी सही रूप से भरना जरूरी है, वरना दोहरी जाँच में पेंच लग सकता है। इन सब बातों को देखते हुए, नीचे सूचीबद्ध लेखों में आप पाएँगे कि कैसे CBDT के नियम बदलते समय आपके टैक्स प्लानिंग में बदलाव आ सकते हैं, Income Tax Act के नवीनतम संशोधन क्या हैं, और Tax Return फाइल करने के आसान कदम क्या हैं। यह संग्रह उन लोगों के लिए आदर्श है जो टैक्स को समझना चाहते हैं, चाहे आप पहली बार फाइल कर रहे हों या अनुभवी करदाता हों। आगे पढ़िए और देखें कौन‑सी जानकारी आपके वित्तीय निर्णयों को सटीक दिशा दे सकती है।
CBDT ने 20 जून 2025 को जारी किए गए नोटिफिकेशन 67/2025 के तहत गिफ्ट सिटी IFSC इकाइयों को TDS छूट दी है। यह छूट 1 जुलाई 2025 से लागू होगी और सात वर्ग के पेमेन्टर्स को लाभ मिलेगा। शर्तों में Section 80LA के तहत कर राहत का चयन और वार्षिक Form 1 जमा करना अनिवार्य है। इस कदम से भारत का वित्तीय हब बनने का लक्ष्य तेज़ होगा। विदेशी निवेशकों और संस्थागत पूँजी के प्रवाह में भी आशा की नई रोशनी दिखेगी।
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