अगर आप बिहार की राजनीति पर नज़र रख रहे हैं तो इस पेज को स्क्रॉल करना शुरू कर दें। हर रोज़ नई खबरें, गठबंधन‑टूटन और नेता‑नेता के बयान यहाँ मिलेंगे। हम आपको सरल भाषा में बताएंगे कि क्या बदल रहा है और क्यों?
बिहार में जेडी(यू) का नेटवर्क अभी भी मजबूत है, लेकिन गठबंधन पर भरोसा कम हो रहा है। नीतीश कुमार अब अपनी सत्तारूढ़ रणनीति को फिर से जांच रहे हैं, खासकर ग्रामीण वोटर बेस के लिये नई योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं। महागठबंधन में बीजेपी‑बिहार रजेंद्र यादव (आरएसपी) ने कई बार गठबंधन तोड़ने की बात कही है, पर अभी तक कोई पक्का फैसला नहीं हुआ।
दूसरी ओर कांग्रेस और आरजेडी के बीच समझौता दिख रहा है। दोनों पार्टियों का लक्ष्य जेडी(यू) को वोट‑सेंटर से बाहर करना है। इनके नेता अक्सर सोशल मीडिया पर मिलते-जुलते संकेत दे रहे हैं, जिससे मतदाता उलझन में पड़ सकते हैं।
2025 के विधानसभा चुनाव करीब आते ही हर पार्टी अपना अभियान शुरू कर रही है। कई छोटे क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दे—जैसे जल अभाव, सड़क निर्माण और शिक्षा—को लेकर उम्मीदवारों ने वादे किए हैं। अगर आप अपने क्षेत्र के बारे में जानना चाहते हैं तो स्थानीय समाचार पत्र या ऑनलाइन फ़ोरम देख सकते हैं।
बिहार में युवा वोटर की संख्या बढ़ रही है, इसलिए पार्टीज अब डिजिटल मोर्चा भी मजबूत कर रही हैं। व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल पर तेज़ी से प्रचार किया जा रहा है। इस बदलाव ने चुनावी रणनीति को पूरी तरह बदल दिया है—भौतिक रैलियों के साथ ऑनलाइन संवाद भी बराबर महत्त्व रखता है।
निचले स्तर पर कई बार गठबंधन‑टूटन की खबरें आती रहती हैं। उदाहरण के लिये, पिछले हफ्ते कुछ छोटे दलों ने जेडी(यू) के साथ मिलकर एक संयुक्त उम्मीदवार का प्रस्ताव रखा था, लेकिन फिर वह प्रस्ताव वापस ले लिया गया क्योंकि स्थानीय नेताओं में सहमति नहीं बन पाई। इस तरह की घटनाएँ चुनाव को और अधिक गतिशील बना देती हैं।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने आरजेडी के बागी विधायक चेतन आनंद के पटना के गार्डनबाग इलाके में नए सरकारी आवास में गृह प्रवेश समारोह में भाग लिया। चेतन की मां, सांसद लवली आनंद ने 'दही-चूड़ा' का आयोजन किया। इस मौके पर चेतन के पिता आनंद मोहन ने महागठबंधन पर निशाना साधा। चेतन के इस कदम ने एनडीए के साथ उनके जुड़ाव को और पुख्ता किया।
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