अगर आप भारतीय इतिहास की बात करेंगे तो बिआर आंबेडकर का नाम सुनते ही दिमाग में संविधान, समानता और दलित अधिकार आते हैं। उनका जीवन संघर्ष से भरा था, लेकिन वही संघर्ष उन्हें आज़ादी के बाद देश को एक मजबूत ढाँचा देने वाले बनाता है। इस पेज पर आप उनके बारे में पढ़ी गई हर कहानी, लेख और विश्लेषण पाएंगे – चाहे वह उनकी बचपन की कठिनाइयाँ हों या विश्वविद्यालयों में उनका शैक्षणिक सफर.
जवाबदारी का बोझ छोटे उम्र से ही आंबेडकर पर था। 1891 में महाराष्ट्र के मठुरा गांव में जन्मे वे छिपी‑छुपी सामाजिक बंधनों से जूझते रहे। स्कूल जाने के बाद भी उन्होंने कास्ट प्रणाली की बेइज़ती देखी, लेकिन पढ़ाई का जुनून कभी कम नहीं हुआ। लंदन और कोलंबिया विश्वविद्यालयों में डॉक्टरेट करने वाले पहले भारतीय बने, जहाँ उन्होंने आर्थिक सिद्धांतों, कानून और सामाजिक विज्ञान में गहरा ज्ञान अर्जित किया। इस शिक्षा ने उन्हें बाद में भारत की रीढ़ बननी वाली संविधान लिखने के लिए तैयार किया।
स्वतंत्रता मिलते ही आंबेडकर को न्याय मंत्रालय का पहला मंत्री बनाया गया, साथ ही उन्होंने भारतीय संविधान सभा में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने सामाजिक समानता, शिक्षा का सार्वभौमिक अधिकार और भूमि सुधार को अनुच्छेद‑17, 25‑30 जैसी धारा में दर्ज कराया। इन कदमों ने दलित समुदाय के लिये एक नया आशा की किरण जलाई। उनके "अनुचित वर्ग" शब्द ने सामाजिक न्याय पर चर्चा को नई दिशा दी, जिससे आज भी समानता का सवाल उठता रहता है।
आंबेडकर के विचार केवल कागज तक सीमित नहीं रहे; उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाकर स्वयं और लाखों अनुयायियों को दया‑परक जीवन की राह दिखाई। उनका यह कदम सामाजिक विभाजन को तोड़ने का एक प्रैक्टिकल उदाहरण बन गया।
इन सबके साथ ही आंबेडकर ने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा सुधार और आर्थिक विकास पर भी लेख लिखे। उनके कई भाषण आज भी स्कूलों में पढ़ाए जाते हैं, जिससे नई पीढ़ी को समानता की महत्ता समझ आती है।
यह टैग पेज इन सभी पहलुओं को कवर करने वाले लेखों का एक संग्रह है। आप यहाँ आंबेडकर के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य, उनके लिखे पत्र, और विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए गए सम्मान देख सकते हैं। प्रत्येक लेख में सरल भाषा में उनकी विचारधारा की गहराई समझाई गई है – ताकि हर पाठक आसानी से जुड़ सके.
अगर आप आंबेडकर के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो नीचे दी गयी सूची देखें। पढ़ें, सीखें और अपने जीवन में उनके सिद्धांतों को अपनाएं – चाहे वह शिक्षा का अधिकार हो या सामाजिक न्याय की लड़ाई। इस पेज पर हर लेख आपको एक नया दृष्टिकोण देगा, क्योंकि बिआर आंबेडकर सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि आज के भारत के निर्माणकर्ता हैं।
बीआर आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कांग्रेस ने जमकर हमला बोला है। शाह ने राज्यसभा में एक बहस के दौरान आंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि उनका नाम लेना अब एक ‘फैशन’ हो गया है। इस बयान को कांग्रेस ने आंबेडकर का अपमान बताया। पार्टी ने शाह से इस्तीफे की मांग की है।
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