भारत सरकार ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के महानिदेशक (DG) सुबोध सिंह को हटाकर प्रदीप खरोला को इस पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। यह निर्णय उन्हीं विवादों और अनियमितताओं के चलते लिया गया है, जिनमें प्रतियोगी परीक्षाओं और मुख्य रूप से राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) की गड़बड़ियाँ शामिल हैं।
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सुबोध सिंह पर NEET-UG सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं के आरोप लगे। मई 5 को आयोजित NEET-UG परीक्षा के परिणाम में 67 छात्रों को पूरे अंक मिले और कुछ छात्रों को असंभव नंबर मिले, जिससे इन गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। सवाल पत्र के लीक होने के आरोप भी लगे थे। शिक्षा मंत्रालय ने इन सभी आरोपों की जांच के लिए एक सात-सदस्यीय पैनल का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन करेंगे।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को भी NEET-UG परीक्षा में अनियमितताओं की जांच सौंपी गई है। इन कारणों के चलते केंद्र सरकार ने तत्कालीन DG सुबोध सिंह को हटाकर प्रदीप खरोला को इस पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।
प्रदीप खरोला एक 1985-बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वे भारत व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। इसके पूर्व, वे एयर इंडिया के प्रमुख और नागर विमानन सचिव के रूप में भी सेवा दे चुके हैं। खरोला का प्रशासनिक कार्यक्षमता और नेतृत्व में अत्यधिक अनुभवी माने जाते हैं।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, स्थायी डीजी की नियुक्ति तक खरोला ही इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी आश्वासन दिया है कि अनियमितताओं में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त कार्यवाई की जाएगी।
NEET-UG परीक्षा में अनियमितताओं के लगातार आरोप लगते रहे हैं। इस साल की परीक्षा में छात्रों को पूरे अंक मिलना, असंभव नंबर आना, और परिणामों का समय से पूर्व जारी होना जैसे कई मामले सामने आए। शिक्षा मंत्रालय ने इस मामले की गहराई से जांच के लिए एक पैनल गठित किया है। पैनल की अध्यक्षता इसरो के पूर्व अध्यक्ष के राधाकृष्णन करेंगे।
CBI को भी इस केस की जांच सौंपी गई है और मंत्रालय ने NEET-UG के साथ ही NEET-PG प्रवेश परीक्षा को भी स्थगित कर दिया है। यह निर्णय तब तक के लिए लिया गया है जब तक इन सभी अनियमितताओं की जांच पूरी नहीं हो जाती।
ऐसे में प्रदीप खरोला का NTA के महानिदेशक के रूप में चयन एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्हें प्रशासन में अपने पिछले कार्य अनुभव और नेतृत्व की क्षमता के लिए जाना जाता है।
शिक्षा मंत्रालय की जांच समिति NTA के कार्यकरण की समीक्षा करेगी और सुधार के लिए सिफारिशें पेश करेगी। इन सुधारों का मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना है।
समिति के सुझावों के आधार पर NTA में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जा सकते हैं, जिससे भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं से बचा जा सके। शिक्षा मंत्री ने इस पर जोर दिया है कि हर परीक्षा प्रणाली में उच्चतम स्तर की ईमानदारी और निष्पक्षता होनी चाहिए।
इस तरह के निर्णायक कदमों से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि छात्रों को एक निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली मिले।
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