विश्व के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने ओलंपिक में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद टेनिस के नियमों पर कड़ा असंतोष जताया है। अनरैंक्ड आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मैथ्यू एब्डेन को सिर्फ 53 मिनट में 6-0, 6-1 के स्कोर के साथ मात देने के बाद जोकोविच ने सवाल उठाए कि घायल खिलाड़ियों की जगह डबल्स विशेषज्ञों को शामिल करना सही है या नहीं।
मैच के बाद मीडिया से बातचीत में जोकोविच ने कहा, 'यह खेल के लिए एक अच्छी छवि नहीं है। एब्डेन एक डबल्स विशेषज्ञ है और उसने पिछले दो सालों में कोई भी सिंगल्स मैच नहीं खेला है।' जोकोविच का मानना है कि इसके बजाय कई सिंगल्स खिलाड़ी थे जिन्हें इस तरह की स्थिति में मौका मिलना चाहिए था।
जोकोविच ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ (ITF) को खिलाड़ियों की सही पसंद करनी चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि ITF के नियमों के अनुसार, सिंगल्स में खिलाड़ी की अनुपस्थिति में डबल्स ड्रॉ में सबसे उच्च रैंक वाले सिंगल्स खिलाड़ी को बुलाया जाता है।
इसके परिणामस्वरूप, एब्डेन को अंतिम क्षण में मैदान में उतार दिया गया जब होल्गर रूणे घायल होकर खेल से बाहर हो गए। जोकोविच का यह भी कहना था कि 'कई सिंगल्स खिलाड़ी मौजूद थे जो इस मौके का लाभ उठा सकते थे और बेहतर खेल का प्रदर्शन कर सकते थे।' इसका प्रमुख उदहारण कार्लोस अलकाराज का नाम था, जिन्होंने 275वें रैंक वाले हेडी हाबिब को हराया।
दिलचस्प बात यह है कि मैच के अंत में एब्डेन ने अपने आखिरी सिंगल्स मैच को खास बनाने के लिए नोवाक के खिलाफ अंडरआर्म सर्व का उपयोग किया। यह उनके खेल का एक ही विशेष पल था, जहां उन्होंने अपनी क्षमता का बखान किया। यह तथ्य भी स्वागतयोग्य है कि एब्डेन ने अपनी ओर से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश की।
नोवाक जोकोविच की इस स्पष्ट टिप्पणी से यह साफ होता है कि उन्हें वर्तमान नियमों में कुछ संशोधन की आवश्यकता महसूस होती है। उन्होंने कहा कि, 'खेल के उच्चतम स्तर पर हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सर्वोत्तम खिलाड़ी मैदान में हों, चाहे वह सिंगल्स हो या डबल्स।' जोकोविच की इस तीखी प्रतिक्रिया से खेल समुदाय में भी चर्चा तीव्र हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ को भी इस मामले पर विचार करना चाहिए और जिस प्रकार से खिलाड़ी चयन किया जा रहा है, उसमें सुधार लाना चाहिए। क्लियर है कि यह मुद्दा अब एक बड़ी बहस का विषय बनेगा और देखना यह होगा कि अगले ओलंपिक्स में क्या इसका समाधान निकाला जाएगा।
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Anuja Kadam
ye sab kya baat hai... ek match jeet gaya toh itna drama? 🙄
Pooja Nagraj
The very notion of prioritizing singles specialists over doubles specialists in Olympic contexts reveals a fundamental epistemological flaw in the institutionalized hierarchies of tennis governance. One cannot reduce athletic merit to mere ranking metrics; such reductive quantification negates the ontological plurality of sporting excellence. The ITF’s adherence to archaic selection protocols betrays a profound disconnection from the phenomenological reality of contemporary tennis.
Pradeep Yellumahanti
So now we're pretending that a doubles specialist who hasn't played singles in two years is somehow a legitimate Olympic contender? And the real issue is that we didn't pick Carlos Alcaraz, who beat a ranked player? Let me guess - the ITF’s selection algorithm was written by someone who thinks 'best player' means 'highest number on the screen'.
Shalini Thakrar
Honestly, this whole situation is a metaphysical paradox 🤔 Tennis is supposed to be about individual brilliance, but the system forces us into this weird hybrid of meritocracy and luck. When you have a doubles specialist stepping in because someone got injured - it’s like inviting a chef who only makes desserts to cook a Michelin-starred steak. 😅 But hey, at least Mathew gave it his all with that underarm serve - that’s the spirit of sport right there! 🙌
pk McVicker
Stop overthinking. Pick the best. Simple.