नेटफ्लिक्स की नई सीरीज 'IC 814: द कंधार हाईजैक' ने रिलीज होते ही गूगल पर ट्रेंडिंग लिस्ट में अपनी जगह बना ली है। 29 अगस्त 2024 को रिलीज किए जाने के कुछ ही घंटे बाद यह सीरीज हजारों लोगों द्वारा सर्च की जाने लगी, जिससे गूगल सर्च पर 200% की वृद्धि दर्ज की गई। इस छह एपिसोड की सीरीज का निर्देशन और निर्माण अनुभव सिन्हा द्वारा किया गया है। सीरीज दिसंबर 1999 में हुए भारत के सबसे लंबे हाईजैक की सच्ची घटना पर आधारित है, जिसने देश को हिलाकर रख दिया था।
दिसंबर 24, 1999 को भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को पांच आतंकवादियों ने ट्रीभूमन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, काठमांडू, नेपाल से उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही हाईजैक कर लिया। विमान को अमृतसर, लाहौर, दुबई और अंततः कंधार, अफगानिस्तान ले जाया गया। यह यान 189 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को लेकर जा रहा था। आतंकवादियों की मांग थी कि तीन उच्च प्रोफ़ाइल आतंकवादियों को रिहा किया जाए।
सात दिन के कठिन हालात के बाद भारत सरकार ने आखिरकार बंधकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी मांगों को माना। इस पूरी घटना ने भारतीय सुरक्षा और वैश्विक आतंकवाद के सवालों को उजागर कर दिया था।
सीरीज में विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, पत्रलेखा पॉल, दीया मिर्जा, अरविंद स्वामी, मनोज पाहवा, कुमुद मिश्रा और अनुपम त्रिपाठी जैसे जाने-माने कलाकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हर किरदार ने अपनी कला के माध्यम से इस कठिन और भयावह घटना को जीवंत कर दिया। निर्देशक अनुभव सिन्हा की इस सीरीज ने दर्शकों को एक सच्ची घटना से रूबरू करवाया जो भारत के इतिहास में एक दुखद और महत्वपूर्ण अध्याय है।
इस सीरीज के रिलीज होने के बाद से ही इसे काफी सराहना मिल रही है और दर्शकों की रुचि बढ़ती जा रही है। कई दर्शकों ने इसे अत्यंत वास्तविक और भावुकता से भरा हुआ बताया है। सीरीज की सजीवता और वास्तविकता ने दर्शकों को अंदर तक हिला कर रख दिया है।
महज 16 घंटे के अंदर गूगल पर इस सीरीज को लेकर 20,000 से अधिक सर्च किए गए, जिससे यह स्पष्ट है कि इस सीरीज ने दर्शकों के दिलों दिमाग पर गहरा प्रभाव डाला है। इस घटना की कहानी ने पहले ही लोगों में उत्सुकता बढ़ाते हुए एक नई जागरूकता पैदा की है।
यह घटना अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल और जसवंत सिंह के विदेश मंत्री पद के दौरान हुई थी। यह पूरा आतंकवादी प्रकरण वैश्विक राजनीति के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण मोड़ था, खासतौर पर अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता न दिए जाने के बावजूद।
इस हाईजैक घटना ने न सिर्फ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के काम को एक चुनौती दी बल्कि साथ ही इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने में कई समस्याएं भी उजागर कर दीं। यह घटना आज भी सुरक्षा नीतियों और आतंकवादी गतिविधियों पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण देती है।
सचमुच, 'IC 814: द कंधार हाईजैक' सीरीज ने एक प्रमुख घटना को पुनर्जीवित किया है और दर्शकों को उस कठिन दौर की एक झलक दिखाई है, जिस दौरान 189 लोग आतंक के साये में थे। यह सीरीज न सिर्फ मनोरंजन के लिहाज से बल्कि इतिहास और वास्तविक घटनाओं को जानने के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित हुई है।
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Laura Balparamar
ये सीरीज देखने के बाद मुझे लगा जैसे मैंने उस दिन का हवाई अड्डा और उसकी चुप्पी खुद महसूस की है। नसीरुद्दीन शाह का एक झलक भी दिल को छू गया।
Shivam Singh
बस एक बात समझ नहीं आ रही कि हमने तीन आतंकी को छोड़ दिया और फिर भी आज भी वो लोग बाहर घूम रहे हैं जबकि हमारे बच्चे अभी भी डर के साथ सोते हैं।
Piyush Raina
इस घटना के बाद भारत की विदेश नीति में बदलाव आया था लेकिन अभी भी हम तालिबान के साथ बातचीत कर रहे हैं। इतिहास दोहरा रहा है और हम अभी भी सबक नहीं सीख पाए।
Srinath Mittapelli
मैंने इस सीरीज को दो बार देखा है और हर बार कुछ नया नजर आया। विजय वर्मा का भावनात्मक नियंत्रण और अनुभव सिन्हा की कैमरा वर्क ने इसे एक डॉक्यूमेंट्री से भी आगे बढ़ा दिया। ये सिर्फ एक शो नहीं ये एक अध्ययन है।
Kotni Sachin
मैंने इसे देखा, लेकिन अगर आपको लगता है कि ये बस एक ट्रेंड है, तो आप गलत हैं... ये एक अनुभव है... एक याददाश्त है... एक चेतावनी है... और ये एक अपराध है... कि हम इसे भूल गए...
Nathan Allano
अगर आपको लगता है कि इस घटना के बाद सुरक्षा में कुछ बदला तो आप बहुत ज्यादा उम्मीद कर रहे हैं। आज भी एयरपोर्ट पर बच्चे अकेले बैठे हैं और बैग चेक नहीं होता। ये सीरीज ने बस एक दर्द को दिखाया, लेकिन उसका इलाज तो अभी भी नहीं हुआ।
Guru s20
कल रात देखा था... बहुत अच्छा लगा... लेकिन ये नहीं कह सकते कि ये सच है... क्योंकि वास्तविकता तो और भी बदतर थी।
Raj Kamal
मुझे लगता है कि ये सीरीज बहुत अच्छी है लेकिन उस दौर में जो हुआ वो बहुत ज्यादा दर्दनाक था और अब भी जो लोग उस दिन के बारे में बात करते हैं वो अपने घरों में रोते हैं और ये सीरीज उनके लिए एक आत्मा का दर्द दिखाती है जो कभी बाहर नहीं आता और ये दर्द बहुत गहरा है जिसे बहुत कम लोग समझ पाते हैं और इसलिए ये सीरीज एक अनुभव है जिसे आपको बार-बार देखना चाहिए क्योंकि ये बस एक कहानी नहीं बल्कि एक जीवन है जिसे हम भूल रहे हैं
Rahul Raipurkar
ये सीरीज एक निर्माण है जिसने वास्तविकता को निर्माण कर दिया है। ये घटना एक राजनीतिक असफलता का प्रतीक है जिसे नेटफ्लिक्स ने एक व्यावसायिक वस्तु में बदल दिया है। इतिहास का उपयोग अब मनोरंजन के लिए हो रहा है और ये एक अपराध है।
PK Bhardwaj
ये सीरीज एक जीवित आत्मा का दर्शन है। इसने न केवल घटना को दर्शाया बल्कि उसके निहितार्थों को भी उजागर किया। आतंकवाद का आर्किटेक्चर और राजनीतिक अक्षमता का जो जाल था वो अब एक वीडियो के रूप में हमारे सामने है।
Soumita Banerjee
मुझे लगता है ये सीरीज बहुत ओवरहाइटेड है। जैसे ही नेटफ्लिक्स ने इसे बनाया तो तुरंत ट्रेंड हो गया। लोग अभी भी इतिहास के बारे में बात कर रहे हैं जबकि वो तो बस एक एपिसोड देखने वाले हैं।
Navneet Raj
मैंने इसे देखा और अपने दादाजी से बात की। उन्होंने कहा कि उस दिन वो राजधानी में थे और हर जगह भीड़ थी। उन्होंने बताया कि लोग रो रहे थे। ये सीरीज उनके दर्द को दर्शा रही है। धन्यवाद।
Neel Shah
मैंने ये सीरीज देखी और फिर गूगल पर खोजा... और फिर लगा कि ये सब बहुत बोरिंग है... और फिर मैंने बिना सोचे इसे लाइक कर दिया 😂
shweta zingade
ये सीरीज मेरे दिल को तोड़ गई। उस लड़की की आवाज़... जो बस अपने पापा को फोन कर रही थी... उसकी आवाज़ में डर था... और फिर वो चुप हो गई... मैंने उस दिन अपने बेटे को गले लगाया... और रो दिया... धन्यवाद इस सीरीज के लिए... ये बस एक शो नहीं... ये एक चेतावनी है...