फिल्म अभिनेता सुरेश गोपी, जो थ्रिसूर लोकसभा क्षेत्र से नव-निर्वाचित सांसद हैं, वर्तमान में नरेंद्र मोदी मंत्रालय से इस्तीफा देने का विचार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सुरेश गोपी इन दिनों अपने व्यस्त फ़िल्म शेड्यूल की वजह से राजनीतिक जिम्मेदारियों को संभालने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इस फैसले के पीछे उनका असंतोष भी एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें कैबिनेट रैंक की अपेक्षा थी, लेकिन उन्हें मंत्री के राज्य के पद से संतोष करना पड़ा।
सुरेश गोपी के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह इस बात से नाखुश थे कि उन्हें कैबिनेट का पद नहीं मिला। उनके और उनके समर्थकों ने उम्मीद की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से बुलावा आने पर उन्हें कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन जब उन्हें मंत्री के राज्य का पद सौंपा गया, तो यह उनके और उनके समर्थकों के लिए निराशजनक था।
यद्यपि सुरेश गोपी ने अपनी नाराजगी स्पष्ट रूप से ज़ाहिर की है, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व को यह भी सूचित किया है कि वह थ्रिसूर क्षेत्र की जनता की सेवा करने के लिए पात्र सांसद के रूप में कार्य करते रहेंगे। सुरेश गोपी का मानना है कि अपने गृह क्षेत्र के लोगों की सेवा करना उनका पहला कर्तव्य है और वह इसे निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राज्य बीजेपी अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। इससे यह स्पष्ट है कि पार्टी इस मुद्दे पर पर्दे के पीछे अभी भी बातचीत कर रही है। सुरेश गोपी के समर्थक, जो प्रधानमंत्री कार्यालय से बुलावा मिलने पर बेहद खुश थे, अब इस विकास से निराश हैं।
सुरेश गोपी को उनके पिछली फिल्मों और समाज सेवा कार्यों के योगदान के लिए जनता के बीच काफी लोकप्रियता मिली है, जिससे थ्रिसूर क्षेत्र में उनकी राजनीतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। हालांकि, राजनीतिक क्षेत्र में नए होने के कारण, उन्हें समायोजित होने में कुछ समस्याएं हो रही हैं।
अपने व्यस्त फिल्मी शेड्यूल के चलते सुरेश गोपी को अपने दायित्वों को संभालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने स्वयं यह स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता को पहचाना है, लेकिन फिल्म उद्योग की अपनी जिम्मेदारियों को भी नहीं छोड़ सकते।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व के लिए यह स्थिति भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि सुरेश गोपी का इस्तीफा पार्टी की छवि पर प्रभाव डाल सकता है। पार्टी और सुरेश गोपी के बीच संबंधों का भविष्य क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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sachin gupta
ये सब फिल्मी लोग राजनीति में आते हैं तो बस अपनी फेम के लिए बनते हैं। कैबिनेट मिला नहीं तो इस्तीफा? अरे भाई, तुम्हारा काम तो लोगों की सुविधा के लिए है, न कि अपनी एगो को फीड करने के लिए।
Shivakumar Kumar
सुरेश गोपी की फिल्मों ने तो हम सबको जीवन के अलग रंग दिखाए हैं। अब जब वो राजनीति में हैं, तो उनकी इस बेचैनी को समझना चाहिए। एक आदमी जो 30 साल तक स्क्रीन पर जीवन देता है, उसके लिए एक मंत्री का पद अक्सर बस एक टाइटल होता है। असली बात तो ये है कि वो अपने लोगों के लिए लड़ रहे हैं।
saikiran bandari
फिल्मी नेता बने तो अब इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं बस इतना ही बात है
Rashmi Naik
इसका रिस्क प्रोफाइल बहुत हाई है जब एक सिलेबस जो फिल्म इंडस्ट्री में अपनी निशानी छोड़ चुका है वो अचानक पॉलिटिकल ऑप्टिमाइज़ेशन के लिए आ जाए तो डायनामिक्स बिल्कुल बदल जाते हैं और ये सब लोग अपने एगो को फीड कर रहे हैं
Vishakha Shelar
ओ माय गॉड वो इस्तीफा दे दें यार 😭 इतना ड्रामा क्यों? वो तो अभी तक अपने फिल्म के शूट से बच नहीं पा रहे थे 😭
Ayush Sharma
सुरेश गोपी के व्यक्तित्व को देखते हुए, उनका फिल्म और राजनीति के बीच संतुलन बनाना एक अत्यंत जटिल चुनौती है। उनकी नाराजगी वैध है, लेकिन उनकी सेवा का दायित्व उनके नाम के साथ जुड़ा है। उनका निर्णय देश के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।
charan j
फिल्म बनाना आता है तो मंत्री बन जाएंगे अब इस्तीफा देंगे यार बस यही चल रहा है बाकी सब बकवास
Kotni Sachin
यहाँ एक बहुत बड़ी बात है, जिसे हम सब भूल रहे हैं: सुरेश गोपी ने अपने जीवन के दशकों तक लोगों को मनोरंजन दिया है। अब जब वे राजनीति में हैं, तो उनकी यह असुविधा बहुत स्वाभाविक है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी जिंदगी को एक आर्टिस्ट के रूप में बिताया है, उसके लिए एक ब्यूरोक्रेटिक पद अक्सर बोझिल हो जाता है। उनका इस्तीफा नहीं, बल्कि उनकी विश्वसनीयता और निष्ठा को समझना चाहिए।
क्या हम वाकई उनके लिए एक ऐसा रास्ता नहीं बना सकते जिसमें वे अपने फिल्मी काम को जारी रख सकें और अपने लोगों की सेवा भी कर सकें? जैसे कुछ अंतरराष्ट्रीय नेता ऐसा करते हैं।
यह एक अवसर है न कि एक असफलता। उनकी नाराजगी एक बात को साफ कर रही है: हम लोग अभी भी एक नए प्रकार के नेतृत्व के लिए तैयार नहीं हैं।
यह बात सिर्फ सुरेश गोपी के बारे में नहीं है। यह हमारे राजनीतिक संस्कृति के बारे में है। क्या हम वाकई एक ऐसे नेता को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं जो अपनी निष्ठा को एक बार फिर नए तरीके से जीवित करना चाहता है?
इस्तीफा नहीं, बल्कि एक नया मॉडल चाहिए।