झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। यह अपील 8 जुलाई, 2024 को दाखिल की गई, जिसमें निचली अदालत द्वारा सोरेन को मिली जमानत को चुनौती दी गई है। ईडी का कहना है कि हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध संपत्ति हासिल की है, और उनकी जमानत से जांच प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
ईडी की यह कार्रवाई सोरेन के खिलाफ चल रही अवैध खनन गतिविधियों की जांच के बीच आई है, जिसमें उनकी और उनके सहयोगियों की संपत्तियों पर कई बार छापेमारी की गई है। इन छापेमारियों के दौरान बड़ी मात्रा में संपत्तियों और दस्तावेजों को जब्त किया गया है, जो कथित तौर पर अवैध गतिविधियों से जोड़ी जा रही हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी अपील में यह तर्क दिया है कि हेमंत सोरेन को मिली जमानत से जांच प्रभावित हो सकती है। सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के पद का दुरुपयोग करते हुए बड़ी मात्रा में अवैध संपत्तियों का अधिग्रहण किया है। एजेंसी का मानना है कि सोरेन की जमानत से मामले की जांच में बाधा उत्पन्न होगी और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।
सोरेन के वकीलों का दावा है कि यह सब राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। उनका कहना है कि हेमंत सोरेन को निर्दोष साबित किया जाएगा और वे जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
हेमंत सोरेन पर अवैध खनन और संपत्तियों के अधिग्रहण के आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। इससे पहले भी उनके ऊपर ऐसे आरोप लगाए गए थे, लेकिन वे हर बार निर्दोष साबित हुए। ईडी का आरोप है कि सोरेन और उनके कर्मचारियों ने मिलकर राज्य के खनिज संसाधनों का अवैध दोहन किया और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ हासिल किया।
आरोपों के तहत, सोरेन ने खनिज संसाधनों के लाइसेंस और परमिट अपने करीबी रिश्तेदारों और साथी कंपनियों को आवंटित किए, जिससे उन्हें भारी वित्तीय लाभ हुआ। इसके अलावा, बड़ी मात्रा में नकदी और अन्य संपत्तियों को भी जब्त किया गया है, जिन्हें अवैध खनन और भ्रष्टाचार से जोड़ा जा रहा है।
इस मामले को लेकर राज्य की राजनीति में भी खलबली मची हुई है। विपक्ष के नेताओं ने सोरेन को उनके पद से इस्तीफा देने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए सोरेन ने अपने पद का भरपूर दुरुपयोग किया और राज्य के संसाधनों का अवैध दोहन किया।
वहीं, सोरेन के समर्थकों का कहना है कि यह सब राजनीति से प्रेरित है और विपक्ष के नेताओं की साजिश है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि सोरेन ने जनता की सेवा के लिए हमेशा ईमानदारी से काम किया है और उन पर लगाए गए आरोप झूठे और निराधार हैं।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हेमंत सोरेन के राजनीतिक जीवन और राज्य की राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट ईडी की अपील को मान लेता है और सोरेन की जमानत रद्द कर देता है तो यह उनके लिए एक बड़ा झटका होगा। वहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत को बरकरार रखता है तो सोरेन के समर्थकों के लिए यह एक बड़ी जीत होगी।
इस मामले का परिणाम चाहे जो भी हो, यह निश्चित है कि आने वाले दिनों में इस पर और भी विवाद और चर्चाएं होंगी। जनता की नजरें इस मामले पर टिकी हैं और सबको उम्मीद है कि न्यायालय एक सही और निष्पक्ष फैसला देगा, ताकि सच्चाई सामने आ सके और न्याय की जीत हो सके।
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