अनशुमन गायकवाड़, जिन्हें उनके मित्र 'चार्ली' के नाम से पुकारते थे, भारतीय क्रिकेट के उन साहसिक खिलाड़ियों में से एक हैं जिनके खेल को उनकी हिम्मत और दृढ़ता के लिए याद किया जाता है। उनका करियर 1975 से 1987 तक चला, जिसमें उन्होंने 40 टेस्ट मैच और 15 वन-डे इंटरनेशनल खेलें। गायकवाड़ उन क्रिकेटरों में से थे जिन्होंने युवा अवस्था में ही अपनी पहचान बना ली थी और पहली श्रेणी क्रिकेट के सबसे कम उम्र के कप्तान बने थे। हालांकि, उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी नहीं मिल पाई, इसके पीछे कारण था उनके टेस्ट मैचों की सीमित संख्या और कपिल देव का उदय।
अनशुमन गायकवाड़ के पिता, दत्ताजीराव गायकवाड़, ने 1959 में इंग्लैंड के दौरे पर भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। उनके पिता के इस योगदान से प्रेरित होकर अनशुमन ने भी क्रिकेट का रास्ता चुना। उनके करियर की शुरुआत मात्र 22 साल की उम्र में हुई जब उन्होंने एक महत्वपूर्ण मौके पर चोटिल टाइगर पटौदी के बदले में मैदान पर कदम रखा और 36 रन बनाए। यह मैच कम रन का था, लेकिन अनशुमन ने अपनी मजबूत धैर्य और ध्यान के साथ खुद को साबित किया।
गायकवाड़ की खेल शैली उनकी साहस और धैर्य के लिए प्रसिद्ध थी। 1983 में पाकिस्तान के खिलाफ उनका टेस्ट मैच का सबसे अच्छा स्कोर 201 रन रहा, जिसे बनाने में उन्हें 11 घंटे से अधिक का समय लगा। यह उनकी सटीकता और ध्यान का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनके करियर का एक और अविस्मरणीय क्षण 'ब्लडबाथ' के नाम से जाना जाने वाला जमैका के किंग्स्टन में हुआ, जहां उन्हें वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना करना पड़ा। माइकल होल्डिंग की गेंद से चोटिल होकर उन्हें रिटायर हर्ट होना पड़ा।
अपना सक्रिय खेल करियर खतम करने के बाद, गायकवाड़ ने क्रिकेट प्रशासन में स्थान लिया। वे मैनेजर, चयनकर्ता और बीसीसीआई की एपीएक्स काउंसिल के सदस्य के रूप में भारतीय क्रिकेट के पेशेवर होने के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले जैसी क्रिकेट महान हस्तियों के समय में भी अहम भूमिका में रहे। गायकवाड़ का योगदान भारतीय क्रिकेट में साहस और आत्मविश्वास की धारणा को मजबूत करने में रहा है।
अनशुमन गायकवाड़ का करियर सिर्फ आंकड़ों और स्कोर से अधिक है। वे उनका साहस और कठिन परिस्थितियों में अपनी जगह बनाए रखने की क्षमता के लिए याद किए जाते हैं। उनकी खेल की पहचान इस बात से होती है कि वे दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों को बिना किसी सुरक्षा गियर के सामना कर सके। उनके इस अदम्य साहस और मजबूत दिल ने उन्हें क्रिकेट का एक अनूठा नायक बना दिया है।
कुल मिलाकर, अनशुमन गायकवाड़ का जीवन और करियर प्रेरणा का एक स्त्रोत है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपने साहसिक खेल से एक अमिट छाप छोड़ी है। चाहे उनके रिकॉर्ड्स कुछ भी कहें, मगर उनकी दृढ़ता और साहस उनकी सबसे बड़ी पहचान बनी रहेगी।
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