उत्तर प्रदेश में मौसम का कहर
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मौसम का प्रकोप पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है। 10 से 12 अप्रैल के दौरान तेज बारिश, ओलावृष्टि, बिजली गिरने और तेज हवाओं ने 14 लोगों की जान ले ली। राजधानी लखनऊ से लेकर कानपुर, बहराइच और वाराणसी जैसे क्षेत्र इस तबाही से अछूते नहीं रहे।
विशेषकर बहराइच में ओलों ने खेतों पर सफेद चादर बिछा दी, जिसके कारण हजारों बीघा गेहूं की फसल बर्बाद हो गई। साथ ही, तेज हवाओं ने सैकड़ों पेड़ उखाड़ दिए और बिजली के तारों को ध्वस्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप 300 से अधिक गांवों में अंधेरा छा गया।
जान के नुकसान और सरकारी प्रतिक्रिया
इस खतरनाक मौसम के कारण कई लोगों की जान भी गई। 23 वर्षीय किसान हरीशचंद्र भार्गव की मौत बिजली गिरने से सीतापुर में हुई। 55 वर्षीय महिला कुसमा देवी एक गिरती दीवार के नीचे दबकर सकरान में मारी गईं। फिरोजाबाद में एक व्यक्ति करंट लगने से अपनी जान गंवा बैठा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल नुकसान का आकलन और राहत कार्य शुरू करने का आदेश दिया। उन्होंने खासतौर पर फसल हानि के सर्वे और निकासी समाधान को प्राथमिकता देने की बात कही।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दाब की प्रणाली इस कठिनाई का कारण बनी। दिल्ली में धूल भरी आंधी और बारिश से कुछ समय के लिए गर्मी से राहत मिली।
IMD यह भी बता रहा है कि 13 अप्रैल से मौसम में सुधार की उम्मीद है, हालांकि कुछ जिलों में थोड़ी-बहुत बारिश जारी रह सकती है। खासकर बुंदेलखंड और अन्य क्षेत्रों में दीर्घकालिक हीटवेव का खतरा बना हुआ है।
उत्तर प्रदेश में इन प्राकृतिक आपदाओं से जान-माल की हानि से लोगों का हौसला जरुर चुटा लेकिन स्थिति के धीरे-धीरे सामान्य होने की उम्मीद है।
Shivakumar Kumar
ये मौसम तो अब सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि ज़िंदगी का एक नया रूप बन गया है। हर साल कुछ न कुछ नया हो रहा है - पहले बाढ़, फिर लहरें, अब ओले और बिजली के झटके। लोग बस टिके हुए हैं, लेकिन दिल टूट रहा है। किसानों की फसलें गायब, बिजली नहीं, घर ढह रहे। सरकार का आदेश तो आया, लेकिन ज़मीन पर क्या हो रहा है? वो भी तो देखो।
Arun Sharma
IMD के अनुसार 13 अप्रैल से स्थिति सुधरने की उम्मीद है, लेकिन यह बात सिर्फ एक अनुमान है। मौसम विज्ञान एक विज्ञान है, लेकिन उसकी भविष्यवाणियाँ अक्सर गलत होती हैं। उत्तर प्रदेश में तो अब तक की सबसे बड़ी आपदा आई है, और फिर भी कोई लंबी अवधि की योजना नहीं। जब तक जल संसाधन प्रबंधन, भूमि उपयोग और आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार नहीं होगा, ये चक्र बरकरार रहेगा।
Ravi Kant
हमारे पूर्वजों ने बिना मौसम विभाग के भी जीवन जिया था। आज के युवा लोग तो बारिश के लिए ऐप डाउनलोड करते हैं, लेकिन अपने घर की छत की मरम्मत नहीं करते। हमारी संस्कृति में तो प्रकृति का सम्मान था - आज वो भूल गए। एक ओले के लिए 14 जानें गईं, ये निश्चित रूप से अपराध है - न केवल प्रकृति के खिलाफ, बल्कि अपनी जिम्मेदारी के खिलाफ।
Harsha kumar Geddada
इस तरह की आपदाओं के पीछे सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक-आर्थिक असमानता है। जिन लोगों के पास अच्छी छत नहीं, जिनके घर बने हैं बिना किसी इंजीनियरिंग के, जिनके खेत बिना बीमा के, वो ही इसके शिकार बनते हैं। हम जब तक जनता को राजनीति के टिकट नहीं बनाएंगे, बल्कि उनकी ज़िंदगी को आधार बनाएंगे, तब तक ये त्रासदियाँ दोहराई जाएंगी। ये न सिर्फ एक तूफान है, ये एक समाज का चेहरा है - जो टूट रहा है।
sachin gupta
अरे भाई, ये तो बस एक बारिश है। इतना शोर क्यों? मैंने तो बहराइच में देखा - लोग तो ओलों के बाद बर्फ के टुकड़े उठा रहे थे, जैसे खेल का मैदान हो। और बिजली गिरी? तो क्या? बिजली तो हमेशा गिरती है, बस अब लोगों ने फोन चलाना शुरू कर दिया है। एक बार अपनी छत ठीक कर लो, फिर बात करो।
saikiran bandari
ये सब बकवास है ये तो हर साल होता है कोई नया नहीं है बस मीडिया ने बड़ा बना दिया
Rashmi Naik
लोगों को डर लग रहा है लेकिन सरकार के पास डेटा है ना और इंफ्रास्ट्रक्चर है ना तो फिर ये सब क्यों हो रहा है ये तो सिस्टम फेल हुआ है ना नहीं तो ये बारिश तो हर साल होती है
Vishakha Shelar
बस रो रही हूँ... 14 जानें 😭 और फिर भी कोई नहीं आया... बहराइच में तो बच्चे खेल रहे थे ओलों में... ये दुनिया ही बदल गई 😢💔