जब एक मां अपने बेटे की शादी रोकने के लिए मंदिर पहुंचती है, और वहां उसका बेटा दूसरी लड़की से विवाह कर लेता है — तो ये सिर्फ एक टीवी सीरियल का दृश्य नहीं, बल्कि एक परिवार के दशकों पुराने विश्वास का टूटना है। तुलसी विरानी (स्मृति ईरानी) और मिहिर विरानी का 38 साल का रिश्ता, जो प्यार, समझ और अनुशासन से बना था, अब अंगद विरानी और वृंदा की अचानक शादी के कारण टूटने की कगार पर पहुंच गया है। ये ड्रामा 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2' में दिख रहा है — जो 25 साल बाद वापस आया है और अब टीआरपी लिस्ट में दूसरे नंबर पर है।
शादी के दिन, अंगद विरानी ने अपनी तयशुदा प्रतिज्ञा तोड़ दी। उसकी शादी मिताली (नोइना की भतीजी) से होनी थी — एक रिश्ता जिसे मिहिर विरानी ने खुद तय किया था। लेकिन उस रात, अंगद गायब हो गया। और जब वह वापस आया, तो उसके हाथ में थी वृंदा। दोनों मंदिर में विवाह कर चुके थे।
तुलसी विरानी शादी रोकने वहां पहुंची थीं। उन्हें पता था — मिताली अंगद से प्यार नहीं करती। उसने अंगद को सीधे कह दिया था: "मैं तुम्हारे नाम और पैसों के लिए शादी कर रही हूं।" तुलसी ने दुआ की थी — "अगर ये बात सच है, तो ये शादी न हो पाए।" और जब वह मंदिर पहुंची, तो उसकी दुआ सच हो चुकी थी। लेकिन वहां जो देखा, वह उनके लिए एक दर्द था।
लेकिन यही नहीं। मिहिर विरानी को एक न्यूज चैनल पर एक वीडियो दिखा — जिसमें तुलसी विरानी मंदिर के बाहर खड़ी थीं। उनके चेहरे पर दुख था। मिहिर ने सोचा — ये तो वही हैं जिन्होंने अंगद को बहलाया, जिन्होंने शादी करवा दी।
वास्तव में, तुलसी शादी रोकने गई थीं। लेकिन उनकी आंखों में आंसू, उनका शांत रुख — सब कुछ उल्टा दिखा। अगले दिन, मिहिर ने तुलसी के सामने गुस्से में चिल्लाया: "तुमने अपनी मर्जी से अंगद की शादी वृंदा से करवाई! मिताली तो अभी तक तैयार है, तुमने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी!"
तुलसी ने धीरे से कहा: "मैं अंगद को समझौते के रिश्ते से बचा रही थी।" लेकिन एक इंसान जब दर्द में होता है, तो वह सुनने की बजाय जवाब ढूंढता है। मिहिर ने उनकी बात नहीं सुनी।
इस झगड़े के पीछे और भी गहरे घाव हैं। मिहिर विरानी का नोइना के प्रति खिंचाव पहले से ही तुलसी के लिए एक निरंतर चुनौती रहा है। उनकी सगाई के बारे में बातें भी घर में छिपी नहीं थीं। अंगद की शादी ने इन सभी बातों को एक साथ बाहर निकाल दिया।
जब अंगद और वृंदा घर लौटे, तो मिहिर के होश उड़ गए। उन्होंने तुलसी को घर का दरवाजा बंद करने के लिए भी नहीं बोला। बल्कि, उन्होंने उन्हें घर से बाहर निकालने का वादा किया। एक ऐसा वादा, जिसका अर्थ है — "मैं तुम्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं मानता।"
38 साल का रिश्ता — जो बचपन के बाद शादी से शुरू हुआ, जिसमें बेटे की परवाह, बहू की लड़ाई, दामाद की अनुमति, दादी की आदतें — सब कुछ बांटा गया — अब एक गलतफहमी के कारण टूटने वाला है।
तुलसी ने हमेशा माना — "सास भी कभी बहू थी।" उन्होंने अपनी बहू के दर्द को समझा। लेकिन आज, उनके बेटे ने उनकी बहू के लिए एक ऐसा फैसला लिया, जिसने उन्हें उनकी सास से दूर कर दिया।
14 नवंबर के एपिसोड में दिखाया गया कि तुलसी ने अंगद-वृंदा को घर लाया। ये फैसला उनका अंतिम दांव था — अगर मैं तुम्हें अपना बेटा मानती हूं, तो तुम मुझे अपनी मां मानोगे। लेकिन क्या मिहिर अब भी उन्हें अपनी पत्नी मानेंगे?
सोशल मीडिया पर इस एपिसोड के बाद ट्रेंड हुआ: #TulsiVsMihir #KSBKBT2 #FamilyBroken. दर्शकों ने कहा — "तुलसी ने बेटे की जिंदगी बचाई, मिहिर ने उसकी जिंदगी तोड़ दी।" कुछ ने लिखा — "मिहिर ने अपनी बहू को अपना बेटा बनाने का मौका नहीं दिया।"
इस ड्रामा की असली बात ये है — ये कोई फिक्शन नहीं। ये हर भारतीय परिवार में होता है। जब एक तरफ मां अपने बेटे की खुशी के लिए खड़ी होती है, तो दूसरी तरफ पिता अपने नियमों को बचाने के लिए लड़ता है। और बीच में बचता है बेटा — जो अब अपनी जिंदगी चुन रहा है।
तुलसी ने मिताली की शादी के खिलाफ नहीं, बल्कि उसके रिश्ते के खिलाफ आवाज उठाई। मिताली ने खुद कह दिया था कि वह अंगद से प्यार नहीं करती, बस उसके नाम और पैसों के लिए शादी कर रही है। तुलसी ने अंगद को एक ऐसे रिश्ते से बचाना चाहा, जिसमें वह खुश नहीं हो सकता था।
मिहिर को एक न्यूज चैनल के वीडियो में तुलसी को मंदिर में खड़े देखकर गलतफहमी हुई — उन्हें लगा कि तुलसी ने शादी करवाई। उनके लिए ये एक बड़ा धोखा था। उन्होंने तुलसी को अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं मानना शुरू कर दिया, जो उनके लिए एक त्रासदी है।
हां। अंगद ने मिताली को एक रिश्ते के लिए नहीं, बल्कि एक जिंदगी के लिए छोड़ दिया। वृंदा ने उसके साथ एक अनजान रास्ता चुना — बिना पैसे, बिना प्रतिष्ठा के। ये एक ऐसा प्यार है जो परिवार के दबाव के बावजूद टिक गया।
अभी तक तो नहीं। मिहिर ने तुलसी को घर से बाहर निकालने का वादा किया है। लेकिन ये रिश्ता 38 साल पुराना है — जिसमें एक बहू ने अपनी सास के लिए अपनी खुशी छोड़ दी थी। अगर वह आज बहू बन गई है, तो शायद वह अपनी सास को वापस पाने के लिए लड़ेगी।
ये ड्रामा दिखाता है कि आज के युवा अपनी शादी अपनी मर्जी से चुन रहे हैं — न कि परिवार की इच्छा से। लेकिन पुरानी पीढ़ी अभी भी अपने नियमों को बरकरार रखना चाहती है। असली टकराव यहीं है — नए समय के भाव बूढ़े नियमों के खिलाफ।
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