हर गाँव‑शहर में कुछ ‘कायदे’ चलते हैं – जैसे शादी‑शुदा उम्र, पढ़ाई का तरीका या बच्चे को कैसे संभालना। इन्हें हम सामाजिक मानदण्ड कहते हैं. ये नियम कभी‑कभी मददगार होते हैं, पर कई बार पुरानी सोच के कारण बंधन बन जाते हैं.
जब समाज कहता है ‘लड़के को फुटबॉल, लड़कियों को रसीली कढ़ाई’, तो बच्चा अपनी पसंद से हटकर चलना शुरू कर देता है. इससे उसकी रूचि दब जाती है और आत्म‑विश्वास घट जाता है. उदाहरण के तौर पर, कई परिवार अभी भी लड़कों को केवल खेल में ही ध्येय देते हैं जबकि पढ़ाई की अहमियत कम समझते हैं. ऐसा करने से बच्चे का भविष्य सीमित हो सकता है.
दूसरी ओर, अगर हम मानदण्डों को लचीला रखें – जैसे स्कूल‑आधारित कला क्लासेज़ या खेल‑सत्र सभी के लिये खुला रखें – तो बच्चा अपनी क्षमताओं को खोज सकेगा. इस बदलाव से शिक्षा में सुधार और सामाजिक समावेश बढ़ता है.
पहला कदम है संवाद. घर में रोज़ाना छोटे‑छोटे सवाल पूछें: ‘तुम्हारा मन क्या चाहता है?’, ‘क्या तुम्हें नई चीज़ सीखने में मज़ा आता है?’ इस तरह बच्चा खुल कर बात करेगा और आप उसकी जरूरतों को समझ पाएँगे.
दूसरा, स्कूल और स्थानीय समूह मिलकर कार्यशालाएँ आयोजित करें. यहाँ माता‑पिता को भी आमंत्रित करके सामाजिक मानदण्ड पर चर्चा की जा सकती है – जैसे लिंग के आधार पर खेल चुनने से बचना या हर बच्चा पढ़ाई में समान अवसर पाना.
तीसरा, स्थानीय मीडिया और सोशल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करें. छोटे‑छोटे लेख, वीडियो या पोस्ट बनाकर दिखाएँ कि कैसे पुरानी धारणाओं को तोड़कर सफल लोग बने हैं – जैसे महिला इंजीनियर या पुरुष नर्स। इससे नई पीढ़ी को रोल मॉडल मिलते हैं.
अंत में, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएँ. बाल अधिकार अधिनियम, शिक्षा सहायता और स्वास्थ्य योजना सभी ऐसे टूल्स हैं जो सामाजिक मानदण्ड की सीमाओं को तोड़ने में मदद करते हैं. इन्हें सही ढंग से इस्तेमाल करने से बच्चा सुरक्षित और समर्थ बनता है.
समाज के हर सदस्य को थोड़ी‑सी समझ और धैर्य की जरूरत है. जब हम छोटे‑छोटे बदलाव करेंगे, तो बड़े परिवर्तन स्वाभाविक रूप से आएँगे – एक ऐसा माहौल जहाँ बच्चे अपनी पहचान बना सकें, बिना किसी अनजाने दबाव के.
किम रयो-रयोंग की उपन्यास 'द ट्रंक' को नेटफ्लिक्स पर कोरियाई ड्रामा सीरीज़ के रूप में अनुकूलित किया गया है। यह कहानी वेल्थी क्लास के अनुबंध विवाह की दुनिया में ले जाती है जहां नायक नो इंजी एक गुप्त विवाह सेवा के लिए काम करती है। यह उपन्यास नारियों की असमानता, स्त्री यौनिकता और सामाजिक मानदंडों की आलोचना करता है।
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