NORAD क्या है? सरल शब्दों में समझें

जब आप समाचार में "NORAD" सुनते हैं तो सोचते हैं कि यह कोई विदेशी संगठन है, लेकिन असल में ये उत्तर अमेरिकी एरोज़ डिफेंस कमांड (North American Aerospace Defense Command) का संक्षिप्त रूप है। ये दो देशों—अमेरिका और कनाडा—का मिलाजुला रक्षा एजेंसी है जो हवाई और अंतरिक्ष से जुड़े ख़तरों को देखती‑समझती है।

इतिहास और मुख्य कामकाज़

NORAD की शुरुआत 1958 में हुई, जब शीत युद्ध के समय सोवियत बमबारी का डर बढ़ा था। तब अमेरिकी और कैनेडियन सरकारों ने मिलकर एक ऐसी टीम बनाई जो आकाशीय सतह को निगरानी कर सके। आज इसका काम सिर्फ़ दुश्मन बम नहीं, बल्कि मिसाइल लॉन्च, अनधिकृत एयरोस्पेस गतिविधि और यहाँ तक कि मौसम‑संबंधी बड़े बदलाव भी देखना है।

इसकी मुख्य जिम्मेदारियों में शामिल हैं:

  • विमान ट्रैकिंग—देश के हवाई क्षेत्र में किसी भी अज्ञात या अनधिकृत विमान को पहचानना।
  • रॉकेट अलर्ट—जब कोई मिसाइल लॉन्च होती है, तो तुरंत सतह पर चेतावनी देना।
  • स्पेस डिफेंस—सैटेलाइट और अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं की स्थिति देखना, ताकि टकराव या क्षति न हो।

भारत के लिए क्यों ज़रूरी है?

भले ही NORAD का मुख्य दायरा उत्तर अमेरिका तक सीमित है, लेकिन आज के ग्लोबल नेटवर्क में इसका डेटा कई देशों को मिल जाता है। भारतीय मौसम विभाग और रक्षा मंत्रालय कभी‑कभी इस एजेंसी से प्राप्त सैटेलाइट इमेजरी और अलर्ट्स का उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब कोई बड़ी ज्वालामुखी विस्फोट या समुद्री बाढ़ की संभावना बनती है, तो NORAD की रियल‑टाइम डेटा भारत में शुरुआती चेतावनी देता है।

अगर आप एक छात्र हों या सामान्य नागरिक जो मौसम‑सूचना और सुरक्षा के बारे में जागरूक रहना चाहते हैं, तो NORAD द्वारा जारी किए गए सार्वजनिक अलर्ट्स को फॉलो करना मददगार हो सकता है। इन अलर्ट्स को कई मोबाइल ऐप्स और सरकारी पोर्टल पर देखा जा सकता है, जिससे आप समय से पहले तैयारियों का प्लान बना सकते हैं।

संक्षेप में, NORAD सिर्फ़ एक विदेशी मिलिटरी संस्था नहीं—ये अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नेटवर्क का अहम हिस्सा है जो हमारे दैनिक जीवन को सुरक्षित रखने में मदद करता है। चाहे वह हवाई जहाज़ की ट्रैकिंग हो या सैटेलाइट‑आधारित मौसम चेतावनी, इसके डेटा से हमें कई फायदें मिलते हैं। इसलिए जब भी आप “NORAD अलर्ट” देखें, तो समझिए कि यह आपके आसपास के माहौल को सुरक्षित रखने का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है।

NORAD का सांता ट्रैकर: एक पारंपरिक क्रिसमस अनुभव की अनकही कहानी

NORAD का सांता ट्रैकर: एक पारंपरिक क्रिसमस अनुभव की अनकही कहानी

NORAD का सांता ट्रैकर, जो 1955 में कर्नल हैरी शूप द्वारा अनजाने में शुरू किया गया था, अब एक विश्व प्रसिद्ध क्रिसमस परंपरा बन गया है। इसे 70 से अधिक कंपनियों द्वारा समर्थन किया जाता है, और इसमें 1000 से अधिक स्वयंसेवक शामिल होते हैं। दिसंबर 24 की सुबह से लेकर 25 की सुबह तक यह ट्रैकर सांता के यात्रा पथ को दर्शाता है।

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