अगर आप सरकार की नौकरी में दिलचस्पी रखते हैं तो जिला कलेक्टर का पद अक्सर सामने आता है. यह पद राज्य के एक जिले की प्रशासनिक बुनियाद को चलाता है, इसलिए इसकी जिम्मेदारियां बहुत व्यापक होती हैं। यहाँ हम बात करेंगे कि ये लोग रोज़ क्या करते हैं और इस पद तक पहुँचने के लिए कौन‑सी राह अपनानी चाहिए.
जिला कलेक्टर जिले का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है. वह कानून व्यवस्था, विकास योजनाओं, राजस्व संग्रह और आपदा प्रबंधन सब देखता है। जब कोई नई सड़क बनती है या स्कूल खुलते हैं तो उनका नाम अक्सर इस दस्तावेज़ में मिलता है. साथ ही, वह स्थानीय पुलिस से जुड़ी बड़ी फैसले लेता है, जैसे कि तनाव‑भरे इलाकों में शांति स्थापित करना.
रोजमर्रा की जिंदगी में उनका काम बहुत व्यस्त रहता है. एक दिन में कई मीटिंग्स, फाइलें साइन करना, जनता के शिकायतें सुनना और सरकारी योजनाओं का निगरानी करना पड़ता है. अगर बारिश से बाढ़ आ गई तो वह तुरंत राहत कार्यों को व्यवस्थित करता है.
इस पद तक पहुंचने के लिए सबसे पहला कदम है राज्य सार्वजनिक सेवा आयोग (UPSC या संबंधित राज्य की परीक्षा) में पास होना. आमतौर पर यह परीक्षा दो चरणों में होती है – प्री‑लिखित और इंटरव्यू. लिखित परीक्षा में सामान्य ज्ञान, हिन्दी/अंग्रेज़ी और वैकल्पिक विषय शामिल होते हैं.
परीक्षा पास करने के बाद आपको प्रशिक्षण संस्थान में 6 महीने का प्रोफेशनल ट्रेनिंग मिलता है. इस दौरान प्रशासनिक नियम, कानून, सार्वजनिक प्रबंधन आदि सीखते हैं. फिर आप विभिन्न जिलों में असिस्टेंट कलेक्टर की नौकरी से शुरू करते हैं और अनुभव जमा कर आगे बढ़ते हैं.
ध्यान देने वाली बात यह है कि निरंतर पढ़ाई और अपडेटेड रहने की जरूरत होती है. सरकारी नियम समय‑समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए नई नीति या योजना को जल्दी समझना फायदेमंद रहता है. हमारे साइट ‘बाल सहायतासमाचार’ में आप नवीनतम भर्ती सूचना, परीक्षा पैटर्न और तैयारी टिप्स आसानी से पा सकते हैं.
अगर आपको किसी विशिष्ट जिले की कलेक्टर की खबर चाहिए तो सर्च बॉक्स में वह जिला लिखें, आपको तुरंत संबंधित लेख दिखेंगे. इस तरह आप अपने करियर प्लान को सही दिशा दे सकते हैं और सरकारी सेवा में एक मजबूत कदम रख सकते हैं.
जिला कलेक्टर ने हाईवे निर्माण परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। स्थानीय निवासियों की शिकायतों के आधार पर यह जांच शुरू की गई है, जिनमें कहा गया है कि भूमि मालिकों को मिलने वाली राशि भ्रष्ट अधिकारियों और बिचौलियों द्वारा हड़पी जा रही है। जांच टीम में राजस्व, पुलिस और सतर्कता विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
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