हर साल रमजान के बाद जो दिन आता है, उसे हम ईद-उल-अधा कहते हैं। यह सिर्फ एक छुट्टी नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत खास समय है। इस दिन लोग जकात (दान) देते हैं, बकरी या भैंस की कुर्बानी करते हैं और परिवार‑दोस्तों के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं। अगर आप पहली बार ईद-उल-अधा मनाने वाले हैं तो नीचे दी गई आसान गाइड पढ़िए, ताकि सब कुछ सही ढंग से कर सकें।
ईद-उल-अधा का मतलब है "बलिदान की ईद"। इसका मूल कारण हजरत इब्राहिम (अ.स) की कहानी से जुड़ा है, जहाँ उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे को कुर्बानी देने के बजाय एक बकरी भेजी थी। यह घटना साहस और भरोसे का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए हर साल मुस्लिम इस दिन भगवान की आज़ादी को याद करते हैं।
इस त्यौहार की तिथि हिजरी कैलेंडर के धुल‑हिज्जा महीने में आती है, जो चाँद देखकर तय होती है। इसलिए ईद-उल-अधा हर साल ग्रीगोरियन कैलेंडर पर अलग तारीख को पड़ता है – कभी जून में, तो कभी जुलाई या अगस्त में.
ईद के दिन सबसे अहम रिवाज़ कुर्बानी है। अगर आपके पास बकरी, भैंस या ऊँट नहीं है, तो स्थानीय मस्जिद से दान की व्यवस्था कर सकते हैं। कई शहरों में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म भी होते हैं जहाँ आप पैसे देकर जरूरतमंद लोगों को पशु प्रदान करा सकते हैं।
कुर्बानी के बाद मांस का एक हिस्सा खुद और परिवार के लिए रख लेते हैं, दूसरा भाग गरीब‑निर्धन को देते हैं। इस बात पर ध्यान दें कि माँस को साफ़ पानी में धोकर, उचित तापमान पर पकाकर खाएँ – इससे स्वास्थ्य भी ठीक रहता है.
जकात (दान) भी ईद-उल-अधा का अभिन्न हिस्सा है। यह वह धन है जो आपके पास से निश्चित प्रतिशत निकाल कर गरीबों तक पहुँचाया जाता है। अगर आप पहले कभी नहीं दिया, तो इस मौके पर शुरू करना आसान रहेगा – बस अपनी आय या बचत का 2.5% निकालें और जरूरतमंद को दें.
ईद-उल-अधा के दिन लोग नई कपड़े पहनते हैं, सुबह की नमाज़ पढ़ते हैं और फिर बंधनों से मुक्त हो कर एक साथ दावत करते हैं। घर में मिठाइयाँ बनाना, बच्चों को ईनाम देना और पड़ोसियों को तुहफ़े देना भी आम रिवाज़ है. याद रखें, इस त्यौहार का असली मकसद दिलों की सफ़ाई और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना है.
अगर आपके पास पहली बार के लिए कोई सवाल है – जैसे कौन‑सी बकरी चुनें या जकात कैसे निकालें – तो स्थानीय इमाम या मस्जिद से पूछना सबसे सही रहेगा. वे आपको नियम‑विधि, समय और प्रक्रिया की पूरी जानकारी देंगे.
तो इस ईद-उल-अधा को शुद्ध इरादों के साथ मनाइए, अपने परिवार को खुशियों से भरिए और जरूरतमंदों में अपनी खुशी बाँटिए. याद रखिये, यही तो असली ईद का मतलब है!
ईद-उल-अधा का पवित्र त्योहार 17 जून 2024 को मनाया जाएगा। यह त्योहार हजरत इब्राहीम की कुर्बानी को समर्पित है। लेख में इस अवसर पर भेजने के लिए हिंदी में शुभकामनाएं और संदेश दिए गए हैं, जिनमें खुशी, समृद्धि और एकता की कामना की गई है।
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