जब हम cyberattack, डिजिटल सिस्टम या नेटवर्क पर किया गया दुर्भावनापूर्ण हमला की बात करते हैं, तो अक्सर इसे साइबर हमला भी कहा जाता है। इसी संदर्भ में malware, दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर जो डेटा चुराता या सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है, ransomware, ऐसा मालवेयर जो फाइलों को एन्क्रिप्ट करके फिरौती की मांग करता है और डेटा उल्लंघन, अनधिकृत पहुंच से संवेदनशील जानकारी का चोरी होना सबसे आम उपश्रेणियों में आते हैं। ये सभी घटक मिलकर डिजिटल दुनिया को असुरक्षित बनाते हैं।
आखिरी कुछ सालों में cyberattack की संख्या में उछाल आया है, और हर दिन नई रिपोर्टें सामने आती हैं। भारत में अकेले 2024 में लगभग 2,500 रिपोर्टेड डेटा उल्लंघन हुए, जिनसे लाखों यूज़र की व्यक्तिगत जानकारी छीन ली गयी। छोटे व्यवसाय से लेकर बड़े सरकारी पोर्टल तक, सभी को इस खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि हमला कैसे काम करता है और हम क्या कर सकते हैं।
साइबर अटैक कई रूप ले सकता है। सबसे आम है फ़िशिंग, जिसमें झूठे ई‑मेल या मैसेज भेज कर यूज़र को लॉगिन विवरण देने के लिए धोखा दिया जाता है। फ़िशिंग अक्सर स्पीयर फ़िशिंग, विशिष्ट व्यक्ति या कंपनी को निशाना बनाकर भेजा गया फ़िशिंग मैसेज के रूप में आता है, जिससे नुकसान बड़ी अख़बारों में दिखता है। दूसरा प्रकार है DDoS (Distributed Denial‑of‑Service) हमला, जहाँ एक साथ लाखों अनुरोध भेज कर वेबसाइट को क्रैश कर दिया जाता है। फिरवायरस और ट्रोजन भी पुराने लेकिन प्रभावी टूल्स हैं, जो अक्सर वैध सॉफ़्टवेयर में छुप कर बगड़े होते हैं। प्रत्येक प्रकार की विशेषताएँ अलग‑अलग होती हैं, पर सभी का लक्ष्य डेटा चोरी या सिस्टम बाधित करना होता है।
इन हमलों की प्रभावशीलता कई कारकों पर निर्भर करती है – लक्ष्य की सुरक्षा अधिसूचना, उपयोग किए गए एन्क्रिप्शन स्तर, और कर्मचारियों की सतर्कता। एक साधारण डीफ़ॉल्ट पासवर्ड या पुरानी सॉफ्टवेयर वर्ज़न भी कई बार पूरे नेटवर्क को नष्ट कर देता है। इसलिए सुरक्षा का पहला कदम है नियमित अपडेट और मजबूत पासवर्ड नीति।
साइबर अटैक का आर्थिक नुकसान भी बहुत बड़ा हो सकता है। ग्लोबल साइबर इन्श्योरेंस रेट्स के अनुसार, 2023 में उद्योग‑स्तर पर कुल नुकसान लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर अनुमानित किया गया। भारत में छोटे उद्यमों को अक्सर बिना बीमा के इस झटके का सामना करना पड़ता है, जिससे संचालन बंद हो जाता है या कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ती हैं।
साइबर सुरक्षा (Cybersecurity) अब केवल आईटी विभाग की जिम्मेदारी नहीं रही। यह हर विभाग, हर उपयोगकर्ता की जागरूकता की माँग करता है। सुरक्षा उपकरण जैसे फ़ायरवॉल, एंटी‑वायरस, इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम (IDS) और मल्टी‑फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) अब बुनियादी मानक बन चुके हैं। साथ ही, नियमित फ़िशिंग ड्रिल और सुरक्षा प्रशिक्षण से कर्मचारियों को संभावित खतरों से बचाया जा सकता है।
कई सार्वजनिक संस्थाएँ और निजी कंपनियाँ अब साइबर अटैक के बाद अपने पीड़ितों को क्षतिपूर्ति देने की नीति अपनाने लगी हैं। भारत में 2024 के अंत में लागू नई डेटा प्रोटेक्शन बिले के अनुसार, यदि कोई कंपनी नीतियों का उल्लंघन करती है तो उसे भारी जुर्माना और नुकसान की भरपाई करनी होगी। ये कदम उद्योग को अधिक जिम्मेदार बनाते हैं और उपयोगकर्ताओं को आश्वस्त करते हैं कि उनकी जानकारी सुरक्षित है।
नीचे आपको इस टैग के अंतर्गत कई लेख मिलेंगे—भले ही वे सीधे साइबर अटैक से न जुड़े हों, लेकिन हमारे साइट पर अक्सर डिजिटल सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी और ऑनलाइन जोखिमों से जुड़ी नई खबरें आती रहती हैं। आप इन लेखों में नवीनतम घटनाएं, व्यावहारिक टिप्स और विशेषज्ञों की राय पढ़कर अपने डिजिटल जीवन को सुरक्षित बना सकते हैं। अब आगे बढ़ते हैं और देखें कि हमारे पास कौन‑सी जानकारी है जो आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।
ऑटो सेक्टर के तेज़ी से बढ़ते रुझान के बावजूद Tata Motors के शेयर 4% गिरकर Rs 664.30 तक पहुंच गए। ब्रिटिश सहायक JLR पर हुए साइबरअटैक ने उत्पादन को अक्टूबर 2025 तक रोक दिया, जिससे संभावित नुकसान £2 बिलियन तक का अनुमान है। इस खबर ने निवेशकों को चौंका दिया और शेयर में निरंतर गिरावट देखी गई।
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