हर साल कई जगहों पर सरकार या बड़े प्रोजेक्ट की वजह से ज़मीन लेनी पड़ती है. अक्सर लोगों को नहीं पता कि उनके अधिकार क्या हैं, इसलिए वे बिना जानकारी के नुकसान झेलते हैं। इस लेख में हम आसान शब्दों में समझेंगे कि भूमि अधिग्रहण कैसे काम करता है और आप अपने अधिकार कैसे बचा सकते हैं।
भूमि अधिग्रहण का मूल नियम ‘जमींदारी एक्ट’ या स्थानीय भूमि कानून में लिखा होता है. जब सरकार को किसी प्रोजेक्ट के लिए जमीन चाहिए, तो उन्हें पहले नोटिस देना पड़ता है, फिर मूल्यांकन कर उचित मुआवजा तय करना होता है। अगर आप असहमत हैं तो आपको सुनवाई का अधिकार मिलता है – आमतौर पर जिला प्रशासन या उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। याद रखें, बिना उचित मुआवजे के ज़मीन लेना illegal माना जाता है.
एक महत्वपूर्ण कदम ‘पब्लिक हियरिंग’ है. इस मीटिंग में सभी प्रभावित लोग अपनी बात रख सकते हैं और सरकार को जवाब देनी पड़ती है. अगर आपको लगता है कि आपका नाम या जमीन नहीं आया, तो तुरंत लिखित शिकायत दर्ज करें। यह दस्तावेज़ आगे के कानूनी कामों में मदद करेगा.
सबसे पहले, अपनी ज़मीन की सही कागजी पुष्टि रखें – रजिस्ट्री कॉपी, पट्टा या कोई भी दस्तावेज़. जब नोटिस मिले तो तुरंत पढ़ें और समझें कि किस प्रोजेक्ट के लिये है, कब तक लेनी है और कितना मुआवजा दिया जाएगा.
दूसरा टिप: विशेषज्ञों की मदद लें. एक भरोसेमंद वकील या भूमि सलाहकार से परामर्श करें ताकि आप सही मूल्यांकन करवा सकें। कई बार सरकार कम कीमत पेश करती है, लेकिन उचित दावेदार बनाकर आप ज्यादा पा सकते हैं.
तीसरा, अगर मुआवजा नहीं मिल रहा तो ‘रिलॉन्ग्ड पेमेन्ट’ या ‘री-इंडेम्निफिकेशन’ के लिए अपील कर सकते हैं. इस प्रक्रिया में दस्तावेज़ी सबूत बहुत काम आते हैं, इसलिए सभी पत्राचार की कॉपी रखिए.
अंत में, समुदाय के साथ मिलकर आवाज़ उठाएं। कई बार एक गाँव या टाउनशिप एक साथ प्रेशर डालने से सरकार जल्दी समझौता करती है. स्थानीय NGOs या किसान संघों से जुड़ें – वे कानूनी सहायता और जानकारी देने में मदद करते हैं.
भूमि अधिग्रहण के दौरान धैर्य रखें, पर अपने अधिकारों को दबाने न दें। सही कदम उठाकर आप उचित मुआवजा पा सकते हैं और अपनी ज़मीन का सम्मान भी बचा सकते हैं. आशा है अब आपको प्रक्रिया समझ में आई होगी और आप तैयार रहेंगे.
जिला कलेक्टर ने हाईवे निर्माण परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। स्थानीय निवासियों की शिकायतों के आधार पर यह जांच शुरू की गई है, जिनमें कहा गया है कि भूमि मालिकों को मिलने वाली राशि भ्रष्ट अधिकारियों और बिचौलियों द्वारा हड़पी जा रही है। जांच टीम में राजस्व, पुलिस और सतर्कता विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|