जब धरती के अंदर की चट्टानें अचानक हिलती हैं, तो जमीन फट जाती या डगमगा जाती है—इसे हम भूकंप कहते हैं। भारत में हर साल कई छोटे‑बड़े भूकम्प होते रहते हैं, इसलिए इनके बारे में बेसिक जानकारी होना जरूरी है।
भूकम्प का कारण आमतौर पर टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव या एक-दूसरे से सरकने से होता है। जब दबाव बहुत बढ़ जाता है तो ऊर्जा तेज़ी से बाहर निकलती है और लहरें जमीन में फैलती हैं, जिससे हम हिलना महसूस करते हैं।
पिछले साल भारत के उत्तराखण्ड, कर्नाटक और असम में हल्के‑से-भारी भूकम्प हुए थे। इन घटनाओं ने दिखाया कि सही तैयारी से नुकसान को काफी घटाया जा सकता है। अब देखते हैं कि आप और आपके बच्चे कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।
ड्रॉप, कवर, होल्ड ऑन: जमीन पर गिरें, सिर को किसी मजबूत चीज़ (टेबल, डेस्क) से ढकें और हाथों से उसे पकड़े रहें। यह तीन‑स्टेप सबसे भरोसेमंद बचाव तकनीक है।
अगर आप बाहर हैं तो खुली जगह चुनें—भवन, पेड़ या बिजली के खंभे से दूर रहें। एलीवेटर में न फँसें; सीढ़ियों तक ही जाएँ।
दरवाज़ा खोलने की कोशिश ना करें, क्योंकि फ्रेम अक्सर टूट सकता है। जितनी जल्दी हो सके बाहर निकलें, लेकिन दो‑तीन कदम आगे रुक कर देखें कि क्या इमारत सुरक्षित है या नहीं।
बच्चे डरते हैं, इसलिए उन्हें सरल शब्दों में समझाएँ कि भूकंप पर क्या करना चाहिए। घर में एक छोटा‑सा अभ्यास करवा सकते हैं—जैसे खेल के रूप में ‘ड्रॉप, कवर, होल्ड ऑन’ का रिहर्सल।
एक आपातकालीन किट तैयार रखें: टॉर्च, बैटरियां, बुनियादी दवाइयाँ, स्नैक और पानी की बोतलें। इसे बच्चे के कमरे में भी रख दें ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत मिल सके।
परिवार का एक ‘मिलन‑स्थान’ तय करें—जैसे गेट या बड़े पेड़ के नीचे। भूकंप के बाद सभी को वहीं इकट्ठा करें और नाम लिस्ट से चेक करें कि कोई बचा है या नहीं। यह छोटा कदम बहुत बड़ा असर देता है।
स्कूल में भी सुरक्षा अभ्यास करवाएँ। यदि स्कूल ने ड्रिल नहीं करवाई, तो शिक्षक से पूछें और खुद घर पर बच्चों को सिखाएँ। याद रखें, जितनी बार प्रैक्टिस होगी, उतना ही बच्चा शांत रहेगा।
भूकंप के बाद इलेक्ट्रिकल उपकरणों को मत छूएँ, खासकर अगर जल या पानी लगे हों। लाइट बंद करें और गैस की वाल्व़ चेक करें—अगर गंध आए तो तुरंत बाहर निकलें और मदद बुलाएँ।
इन छोटे‑छोटे कदमों से आप अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं, चाहे भूकंप छोटा हो या बड़ा। याद रखें, तैयारी ही सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार है।
पांच दिसंबर की सुबह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 5.3 तीव्रता का भूकंप आया जिसने लोगों को झकझोर कर रख दिया। इससे कई जिलों जैसे हैदराबाद, विजयवाड़ा, और कोठागुडेम में लोग घबरा गए और अपने घरों से बाहर निकलने पर मजबूर हो गए। इस घटना ने क्षेत्र की भूकंपीय सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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