क्या आप शूटर हैं या सिर्फ इस खेल को समझना चाहते हैं? 50 मीटर राइफल एक ऐसा डिसीप्लिन है जिसमें सटीकता और कंट्रोल सबसे अहम होते हैं। यहाँ हम सरल शब्दों में बता रहे हैं कि यह क्या है, कैसे खेले जाते हैं और अभ्यास के कौन‑से उपाय काम करते हैं।
सबसे पहले राइफल का आकार देखें – आमतौर पर 5.6 mm (.22 कैलिबर) या .177 caliber की होती है। बैरल, ब्रीफ़िंग (अगली गोली को पकड़ने वाला हिस्सा), साईट और ट्रिगर इसको बनाते हैं। एक अच्छी राइफल हल्की लेकिन मजबूत होनी चाहिए ताकि हाथ में आराम से पकड़ी जा सके। इसके अलावा ऑप्टिकल साइट या अरो ग्रुप की मदद से लक्ष्य पर फोकस करना आसान होता है।
बैलिस्टिक टार्गेट 50 मीटर दूर रखे जाते हैं और इसमें कई रिंग होते हैं – केंद्र के सबसे छोटे रिंग को ‘X‑रिंग’ कहते हैं। जितना करीब आप X‑रिंग में मारेंगे, आपका स्कोर उतना ही बेहतर होगा। इसलिए लक्ष्य का सही सेंट्रिक पॉइंट पता होना जरूरी है।
प्रैक्टिस के लिए सबसे पहले सुरक्षित वातावरण चुनें – लाइसेंस्ड शूटिंग रेंज या क्लब में जाएँ जहाँ प्रशिक्षक मौजूद हों। हर बार राइफल को लोड करने से पहले म्यूज़ल (नाल) खोलकर सुनिश्चित करें कि कोई गोला नहीं है, इसे ‘फ़ील‑डिस्प्ले’ कहा जाता है। ट्रिगर को धीरे‑धीरे दबाएँ, अचानक खींचने से गोली दिशा बदल सकती है।शूटिंग में स्थिर बायोमैकेनिक्स का मतलब है सही पैर की पोजिशन और श्वास नियंत्रण। दो पैर बराबर दूरी पर रखें, कंधे रिलैक्स रखें और दाएं या बाएं हाथ से राइफल को सपोर्ट करें। हर शॉट से पहले एक गहरी सांस लें, फिर धीरे‑धीरे छोड़ते हुए ट्रिगर दबाएँ। इससे गोली स्थिर रहती है और लक्ष्य पर सटीकता बढ़ती है।
प्रैक्टिस में समय-समय पर ‘ड्राई फ़ायर’ करें – बिना गोले के सिर्फ ट्रिगर प्रेस करके फॉर्म देखे। यह मांसपेशियों की स्मृति बनाता है। साथ ही, हर सत्र के बाद राइफल को साफ़‑सफ़ाई करें; धूल और गंदगी बैरल में जमा हो सकती है जिससे सटीकता घटती है।
एक अन्य उपयोगी टिप है वीडियो रिकॉर्डिंग: अपने शॉट्स को कैमरे से रिकॉर्ड करें, फिर देखिए कि आप कैसे पोज़ लेते हैं, कौन‑से हिस्से में हिलते हैं और सुधार कहाँ करना है। कई प्रो शूटर यही तरीका अपनाते हैं।
अब बात करते हैं प्रतियोगिताओं की। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर 50 मीटर राइफल इवेंट्स एनएसएफ (नेशनल शुटिंग फेडरेशन) के तहत होते हैं, और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म में ओलंपिक, एशिया गेम्स और विश्व चैंपियनशिप प्रमुख हैं। इन प्रतियोगिताओं में क्वालिफ़ाई करने के लिए 60 राउंड की फ़ायरिंग टेस्ट पास करनी पड़ती है, इसलिए नियमित अभ्यास जरूरी है।
अंत में एक छोटा मोटा संक्षेप: सही राइफल चुनें, सुरक्षित माहौल बनाएं, बायोमैकेनिक्स पर ध्यान दें और लगातार फॉर्म सुधारते रहें। इन बातों को अपनाएंगे तो 50 मीटर राइफल में आपका स्कोर जल्दी बढ़ेगा और आप बड़े मंचों के लिए तैयार हो जाएंगे।
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के स्वप्निल कुशल ने 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन फाइनल में सातवां स्थान हासिल करके जगह बना ली है। कोल्हापुर में तेजस्विनी सावंत के मार्गदर्शन में ट्रेन करने वाले कुशल ने घुटने टेकने की स्थिति में 198, प्रोन स्थिति में 197 और खड़े रहने की स्थिति में 195 अंक बनाए। कुल मिलाकर उन्होंने 590 अंक प्राप्त किए।
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