सेरेना विलियम्स: 4 साल में हाथ में रैकेट, आगे चलकर टेनिस की सबसे बड़ी चैंपियन

सेरेना विलियम्स: 4 साल में हाथ में रैकेट, आगे चलकर टेनिस की सबसे बड़ी चैंपियन

4 साल की बच्ची से विश्व नंबर-1 तक

2017 का ऑस्ट्रेलियन ओपन। पेट में नन्ही जान, कोर्ट पर बॉल की गर्जना, और फाइनल के बाद इतिहास। यह वही टूर्नामेंट था जहां सेरेना विलियम्स ने 23वां ग्रैंड स्लैम एकल खिताब जीता और स्टेफी ग्राफ का ओपन एरा रिकॉर्ड पीछे छोड़ दिया। कहानी की शुरुआत बहुत पहले होती है—कैलिफोर्निया के कॉम्पटन में, जब पिता रिचर्ड विलियम्स ने चार साल की बच्ची के हाथ में रैकेट थमाया और कहा, खेल बदलना है।

सेरेना और उनकी बड़ी बहन वीनस को मां ओरेसीन प्राइस और पिता ने खुद कोच किया। टूटी-फूटी पिच, हवा में डर, और सीमित संसाधन—फिर भी अभ्यास नहीं रुका। 1995 में सेरेना ने प्रो टूर पर कदम रखा। चार साल बाद, 1999 यूएस ओपन में पहला मेजर। उस दिन से टेनिस का पावर बैलेंस स्थायी तौर पर बदलना शुरू हुआ।

2002 रोलां गैरोस से लेकर 2003 ऑस्ट्रेलियन ओपन तक, लगातार चार मेजर—हर फाइनल में सामने वीनस—और एक नॉन-कैलेंडर ग्रैंड स्लैम जिसे दुनिया ने सेरेना स्लैम कहा। यह सिर्फ खिताबों का सिलसिला नहीं था, यह ताकत, स्किल और मानसिक मजबूती का नया पैमाना था। सर्विस की धमक, बेसलाइन से निशानेबाजी, और बड़े पॉइंट्स पर निडर फैसले—इस कॉम्बिनेशन ने महिलाओं के टेनिस की परिभाषा बदल दी।

कैरियर में 73 एकल खिताब, 23 ग्रैंड स्लैम सिंगल्स, 319 हफ्ते विश्व नंबर-1 और पांच बार साल के अंत में नंबर-1—ये आंकड़े सीधे बताते हैं कि उनकी निरंतरता कितनी ऊंचे स्तर की थी। 2013 में 31 साल 4 महीने की उम्र में सबसे उम्रदराज नंबर-1 बनना और 30 के बाद 10 मेजर जीतना, फिटनेस और फोकस की मिसाल है।

ओलंपिक में भी कमाल अलग। सिंगल्स में करियर गोल्डन स्लैम और डबल्स में भी यही उपलब्धि—यह डबल कारनामा किसी और के नाम नहीं। 2012 लंदन में सिंगल्स गोल्ड, और वीनस के साथ 2000, 2008 और 2012 में डबल्स गोल्ड—बहनों की जोड़ी ने ओलंपिक के मंच पर भी वही दबदबा दिखाया जो स्लैम्स में दिखता रहा।

ग्रैंड स्लैम की लिस्ट खुद उनकी कहानी सुनाती है—ऑस्ट्रेलियन ओपन 7, फ्रेंच ओपन 3, विंबलडन 7, यूएस ओपन 6। खास बात यह कि वह एकमात्र खिलाड़ी हैं—महिला या पुरुष—जिन्होंने चार में से तीन ग्रैंड स्लैम कम से कम छह-छह बार जीते। ऐसे रिकॉर्ड संयोग से नहीं बनते, दशकों तक टॉप पर बने रहने से बनते हैं।

रास्ता आसान नहीं था। 2011 में फेफड़ों में खून का थक्का और सर्जरी के बाद करियर पर सवाल लगा। लेकिन वापसी ऐसी कि 2012 में विंबलडन, फिर ओलंपिक गोल्ड और उसके बाद अगले चार साल तक लगभग हर बड़े टूर्नामेंट में वह फेवरिट रहीं। 2015 में वह एक ही सीजन में तीन मेजर जीतकर कैलेंडर स्लैम के करीब पहुंचीं, और सेमीफाइनल में चूकीं। बड़े मंचों पर दबाव—और उसे हथियार में बदल देने की कला—यही सेरेना का सिग्नेचर रहा।

2017 में मां बनने के बाद उन्होंने जो किया, वह स्पोर्ट्स में मातृत्व को लेकर बनी रूढ़ियों पर सीधा जवाब था। गर्भावस्था में जीता ऑस्ट्रेलियन ओपन, फिर ब्रेक, और वापसी के बाद 2018-19 में चार ग्रैंड स्लैम फाइनल तक पहुंचना। इसी दौरान शेड्यूलिंग, सीडिंग और मातृत्व के बाद प्लेयर्स के अधिकारों पर बहस तेज हुई—और सेरेना उस चर्चा की सबसे मजबूत आवाज बनीं।

कोर्ट के बाहर उनका असर और बड़ा दिखता है। बराबर इनामी राशि की लड़ाई से लेकर रंग और शरीर की विविधता पर खुलकर बोलना—उन्होंने टेनिस के दायरे से बाहर भी बहस का एजेंडा सेट किया। आने वाली पीढ़ी—नाओमी ओसाका से लेकर कोको गॉफ़ तक—अक्सर कहती दिखती है कि प्रेरणा उन्हें कहां से मिली। बेशक, सिर्फ प्रेरणा नहीं, एक रोडमैप भी—कि हेडलाइन बनने के साथ-साथ बदलाव कैसे लाया जाता है।

टेक्नीक की बात करें तो उनकी सर्विस को महिलाओं के टेनिस की सबसे घातक सर्विस कहा गया—स्पीड, एक्यूरेसी और वैरिएशन का मिश्रण। रिटर्न पर अटैक, शॉर्ट बॉल पर बेहतरीन पोजिशनिंग, और टाई-ब्रेक में शांत दिमाग—इन गुणों ने उन्हें उन मैचों में भी जीत दिलाई जहां खेल बराबरी पर था। यही वजह है कि ग्रैंड स्लैम्स में उनके नाम 367 सिंगल्स जीत दर्ज हैं—ओपन एरा में महिला वर्ग का सर्वाधिक आंकड़ा।

वीनस और सेरेना की साझेदारी डबल्स में अलग ही कहानी लिखती है—14 ग्रैंड स्लैम डबल्स, बड़ी टूर्नामेंट्स में अक्सर बिना सेट गंवाए खिताब, और निर्णायक पलों में बहनों का संवाद। 1990 के दशक के आखिर में जब दोनों उभर रही थीं, तब बहनों का फाइनल टेनिस की सबसे चर्चित घटनाओं में शामिल था। प्रतियोगिता थी, पर साथ में सीख और सम्मान भी—स्पोर्ट्समैनशिप का वास्तविक पाठ।

कैरियर प्राइज मनी 94,816,730 अमेरिकी डॉलर—यह सिर्फ रकम नहीं, महिला खिलाड़ियों के आर्थिक परिदृश्य में बदलाव का सूचक है। टेनिस अर्थशास्त्र में जहां दर्शक, प्रसारण और स्पॉन्सरशिप महिलाओं के खेल की कीमत तय करते हैं, वहां सेरेना का ब्रांड और उनके नतीजों ने बार-बार बाजार को नया हिसाब सिखाया।

2018 यूएस ओपन फाइनल में अंपायरिंग को लेकर जो घटनाक्रम हुआ, उसने नियम, बर्ताव और संवाद पर बहस को हवा दी। राय अलग-अलग रहीं, पर एक बात साफ रही—महिला खिलाड़ियों के साथ संवाद और दंड के मानदंडों पर पारदर्शिता जरूरी है। सेरेना का करियर ऐसे कई पड़ाव दिखाता है जहां खेल सिर्फ खेल नहीं रहा, नीतियां और दृष्टिकोण भी साथ बदल रहे थे।

2022 में उन्होंने कहा कि अब वह प्रो टेनिस से इवोल्यूशन की तरफ बढ़ रही हैं। उसी साल यूएस ओपन में आखिरी मैच खेला और दर्शकों ने खड़े होकर अलविदा कहा। यह अंत जैसा दिखा, पर प्रभाव का सिलसिला जारी रहा—कोर्ट के बाहर निवेश, फैशन, और युवाओं के लिए मेंटरशिप। 2017 में बेटी ओलिंपिया के जन्म के बाद मां और एथलीट की दोहरी जिम्मेदारी निभाने का उनका अनुभव आज स्पोर्ट्स पॉलिसी और लॉकर रूम कल्चर दोनों में केस स्टडी की तरह देखा जाता है।

रिकॉर्ड, असर और विरासत

रिकॉर्ड, असर और विरासत

किसी भी करियर को समझने के लिए सूचियां मदद करती हैं। यहां भी एक नजर—वह एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने तीन ग्रैंड स्लैम कम से कम छह-छह बार जीते; ओपन एरा में सबसे ज्यादा 23 एकल मेजर; कुल 39 ग्रैंड स्लैम खिताब (23 सिंगल्स, 14 महिला डबल्स, 2 मिक्स्ड); 319 हफ्ते नंबर-1 और पांच बार साल के अंत में नंबर-1; 30 की उम्र के बाद सबसे ज्यादा 10 मेजर। इन सबके बीच 2012 में सिंगल्स ओलंपिक गोल्ड और करियर गोल्डन स्लैम—सिंगल्स और डबल्स, दोनों में।

  • ऑस्ट्रेलियन ओपन: 7 खिताब (2003, 2005, 2007, 2009, 2010, 2015, 2017)
  • फ्रेंच ओपन: 3 खिताब (2002, 2013, 2015)
  • विंबलडन: 7 खिताब (2002, 2003, 2009, 2010, 2012, 2015, 2016)
  • यूएस ओपन: 6 खिताब (1999, 2002, 2008, 2012, 2013, 2014)

ये नंबर तब और भारी हो जाते हैं जब याद आता है कि 2011 की गंभीर बीमारी के बाद यह दूसरी पारी थी। टेनिस में जहां करियर अक्सर 30 के पहले ढलान पकड़ता है, वहां उन्होंने 30 के बाद अपने सबसे बड़े शिखर को छुआ। इस स्थायित्व के पीछे क्या था? छोटे-छोटे एडजस्टमेंट—रैली की गति नियंत्रित करना, सर्विस के सेकंड-बॉल पॉइंट्स बढ़ाना, और टाई-ब्रेक में फर्स्ट स्ट्राइक। खेल विज्ञान और स्मार्ट शेड्यूलिंग ने भी मदद की।

लेकिन अंततः कहानी एक परिवार की भी है। रिचर्ड और ओरेसीन की एक योजना, दो बहनों का भरोसा, और रोजमर्रा की मेहनत। कॉम्पटन का पब्लिक कोर्ट हो या विंबलडन का सेंटर कोर्ट—वह आत्मविश्वास एक सा रहा। यही कारण है कि सेरेना की विरासत ट्रॉफियों से बड़ी है—वह रास्ता जो उन्होंने दिखाया, और वे दरवाजे जो उन्होंने खोल दिए।

आज जब किसी नई खिलाड़ी के हाथ में रैकेट होता है, तो उसे पता है कि सीमा कहां तक जा सकती है—या शायद सीमा है ही नहीं। इसमें बड़ा हिस्सा सेरेना विलियम्स की उस यात्रा का है जो एक बच्चे के सपने से चली और दुनिया के सबसे मुश्किल मंचों पर परफॉर्मेंस की भाषा में पूरी हुई। यही वजह है कि जब भी टेनिस के सबसे बड़े नाम गिनेंगे, सबसे ऊपर जो नाम आएगा, वह किसी रिकॉर्ड बुक से नहीं, एक युग की धड़कन से आएगा।

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