समीर वंखेडे कौन हैं?
समीर वंखेडे का जन्म 14 दिसंबर 1979 को हुआ था। वह 2008 के बैच के एक भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं और 2007 की यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में पहले प्रयास में ही ऑल इंडिया रैंक 561 हासिल की। पिछले पंद्रह सालों में उन्होंने कई केंद्रीय एजेंसियों में काम किया, जिनमें एनसीबी, डिवीआरआई और एआईयू शामिल हैं।
उनकी करियर की कुछ अहम क़दमें हैं – 17,000 किलोग्राम से ज्यादा नशीले पदार्थ और 165 किलोग्राम सोने की जब्ती की गई, जिससे वह एक सख्त अधिकारी के तौर पर मशहूर हुए। मुंबई में एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर के रूप में उन्होंने ड्रग तस्करों, माफिया और अन्य आपराधिक नेटवर्क पर कई सफल ऑपरेशन्स चलाए।
समीर वंखेडे ने ज़ाकिर नाइक, दाऊद इब्राहिम के सहयोगी चिंकी पाथान, गायक मीका सिंह आदि के खिलाफ बड़े मामलों में अहम भूमिका निभाई। 2021 में उनकी सबसे चर्चा में लाई गयी कार्रवाई थी शाहरुख खान के बेटे अर्यन खान की क्रूज़ ड्रग केस, जिसके बाद उन्हें भी सीबीआई के द्वारा एक्सटॉर्शन के आरोपों का सामना करना पड़ा, जिन्हें उन्होंने निरस्त किया।
शाहरुख खान व गौरी खान के खिलाफ मानहानि दावा
दिल्ली हाई कोर्ट में समीर वंखेडे ने शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान के खिलाफ 2 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति की माँग करते हुए एक मानहानि केस दायर किया। उन्होंने दावा किया कि नेटफ़्लिक्स पर आने वाली सीरीज़ ‘The Ba***ds of Bollywood’, जिसमें अर्यन खान ने डायरेक्टर का काम किया, उनके ख़िलाफ़ बनायी गई थी। वखंडे का कहना है कि इस सीरीज़ ने उनके करियर को धूमिल करने के इरादे से ही कहानी लिखी।
वंखेडे ने विशेष रूप से एक सीन का हवाल दिया है जहाँ एक अधिकारी एक ग्लैमरस पार्टी में प्रवेश करता है, एक आदमी को ज्वोट पीते हुए देखता है पर उसे नजरअंदाज़ कर देता है क्योंकि वह बॉलीवुड से नहीं जुड़ा है, और फिर एक फ़िल्मी कलाकार को गिरफ्तार कर लेता है जो ड्रग नहीं ले रहा था। वंखेडे का आरोप है कि यह दृश्य नशा नियंत्रण एजेंसियों की छवि को बुरा दिखाने और उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था।
इस केस में वंखेडे ने यह भी कहा कि अगर उन्हें कोर्ट से 2 करोड़ रुपए मिलते हैं, तो वह पूरी रकम कैंसर रोगियों को दान कर देंगे। यह बात उनके हालिया बयान में कई बार दोहराई गई और उन्होंने किया यह इशारा कि उनका उद्देश्य सिर्फ अपना नाम साफ़ करना है, न कि पैसा कमाना।
वर्तमान में यह मुकदमा कानूनी प्रक्रिया में है और कोर्ट की सुनवाई अभी बाकी है। इस बीच, शाहरुख खान के कानूनी टीम ने इस दावे को निराधार कहा है और उन्होंने कहा कि सीरीज़ कोई व्यक्तिगत आक्रमण नहीं है, बल्कि भारतीय फिल्म उद्योग की रियल लाइफ कहानियों पर आधारित एक रचनात्मक कार्य है। केस का परिणाम दोनों पार्टियों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्ते को और खतरनाक बना सकता है।
indra group
ये सब नाटक क्यों कर रहे हो? एक आईआरएस अधिकारी जो ड्रग्स की जब्ती करता है, उसे बॉलीवुड की एक सीरीज़ के लिए कोर्ट जाना पड़ रहा है? अगर ये असली नहीं है तो फिर फिल्मी दुनिया को भी अपने अंदाज़ में बताने का अधिकार क्यों नहीं?
sugandha chejara
समीर भैया की मेहनत का दम बहुत है, और उनका ये फैसला बहुत अच्छा है कि अगर जीत गए तो पैसा कैंसर के मरीजों को दे देंगे। इस तरह के लोग ही देश के लिए असली हीरो हैं।
DHARAMPREET SINGH
ओये, ये सीरीज़ का नाम ही ‘The Ba***ds of Bollywood’ है, तो फिर एक एजेंट को टारगेट क्यों किया? ये तो ड्रामा है, न कि डॉक्यूमेंट्री। अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी छवि बिगड़ गई, तो शायद तुम्हारी अपनी एजेंडा को देखो।
gauri pallavi
मतलब अगर कोई बॉलीवुड वाला ड्रग्स ले रहा हो, तो उसे नहीं गिरफ्तार करना चाहिए? बस इसलिए कि वो फिल्मी है? ये सोच तो बहुत पुरानी हो चुकी है।
Agam Dua
इस केस में कोई भी अधिकारी जो अपने करियर के लिए नेटफ्लिक्स के खिलाफ लड़ रहा है, वो अपनी व्यक्तिगतता को बहुत बड़ा मामला बना रहा है। ये नहीं कि आप बहुत बड़े हैं, बल्कि ये कि आप बहुत छोटे हैं।
Gaurav Pal
अर्यन खान का ड्रग केस जो था, वो तो असली था। अब उसी को फिल्म में दिखाया गया और अधिकारी ने अपना नाम बचाने के लिए लाखों रुपये माँगे? ये नहीं कि आपका नाम बचाना है, ये कि आपका अहंकार बचाना है।
sreekanth akula
भारत में जब कोई अधिकारी अपने कर्तव्य को संभालता है, तो उसे न तो तारीफ़ मिलती है, न ही न्याय। अब जब एक फिल्मी ड्रामा बन गया, तो उसके खिलाफ मुकदमा? ये तो हमारी समाज की बीमारी है।
Sarvesh Kumar
क्या तुम भूल गए कि शाहरुख खान के बेटे को गिरफ्तार करने के बाद तुम्हारे ऊपर एक्सटॉर्शन का आरोप लगा था? अब तुम उसी को फिल्म में दिखाया जाना अच्छा नहीं लग रहा? ये नहीं कि तुम बहुत अच्छे हो, बल्कि तुम बहुत अहंकारी हो।
Ashish Chopade
कानून का सम्मान करें। अगर निर्माताओं ने कोई व्यक्ति का नाम लिया है, तो मुकदमा ठीक है। लेकिन अगर कोई व्यक्तिगत अभिनय है, तो ये रचनात्मकता है। न्याय बरकरार रखें।
Shantanu Garg
सीरीज़ में जो दृश्य है, वो असली घटना से बिल्कुल अलग है। फिर भी ये मुकदमा चल रहा है? लोगों को थोड़ा आज़ादी दे दो।
Vikrant Pande
ये सब लोग अपने नाम को बचाने के लिए नेटफ्लिक्स के खिलाफ लड़ रहे हैं? अगर तुम्हारी छवि इतनी कमजोर है कि एक फिल्मी ड्रामा से बिगड़ जाए, तो तुम्हें अपने करियर के बारे में दोबारा सोचना चाहिए।
Indranil Guha
ये जो अधिकारी है, उसका ये निर्णय देश के लिए एक खतरनाक संकेत है। अगर एक अधिकारी फिल्मी नाटक के खिलाफ लड़ सकता है, तो आगे चलकर किसी लेखक के खिलाफ भी लड़ सकता है। ये तो अधिकार का दुरुपयोग है।
srilatha teli
हर व्यक्ति का अपना अहंकार होता है। लेकिन जब वह अहंकार उसके कर्तव्य के साथ मिल जाए, तो वह न्याय का एक नया रूप बन जाता है। समीर भैया का ये फैसला, अगर वह अपना नाम साफ़ करना चाहते हैं, तो ये एक बहुत बड़ा आत्म-समर्पण है।
Sohini Dalal
लेकिन अगर वो दृश्य असली घटना पर आधारित नहीं है, तो फिर ये नाटक क्यों? क्योंकि अगर वो नहीं है, तो उसे बनाना ही गलत है।
Suraj Dev singh
मैं तो सोचता हूँ कि अगर ये सीरीज़ असली घटनाओं से प्रेरित है, तो ये तो बहुत अच्छा है। लोगों को पता चल जाएगा कि ड्रग्स के खिलाफ लड़ने वाले अधिकारी कैसे काम करते हैं।
Arun Kumar
क्या तुम ये भूल गए कि शाहरुख खान के बेटे को गिरफ्तार करने के बाद तुम्हारे खिलाफ एक्सटॉर्शन का आरोप लगा था? अब तुम उसी को फिल्म में दिखाया जाना अच्छा नहीं लग रहा? ये नहीं कि तुम बहुत अच्छे हो, बल्कि तुम बहुत अहंकारी हो।