हाल ही में पोप फ्रांसिस ने एक विषयसक्ता बंद कमरे में बैठक के दौरान कथित रूप से एक समलैंगिक अपशब्द का इस्तेमाल किया था, जिस पर उन्होंने अब माफी मांग ली है। वेटिकन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पोप का उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था और जो कोई भी इससे आहत महसूस हुआ, उनके प्रति पोप अफसोस व्यक्त करते हैं।
यह घटना तब सामने आई जब 87 वर्षीय पोप ने इतालवी विशप्स के साथ एक बैठक में यह अपशब्द कहा था, जो 'फ्रॉसियागिन' के रूप में अनुवाद होता है, जिसका मतलब 'फगट्री' होता है। पोप ने समलैंगिक पुरुषों को प्रशिक्षण कॉलेजों में शामिल होने के खिलाफ अपनी गंभीरता व्यक्त करने के दौरान यह शब्द इस्तेमाल किया, भले ही वे ब्रह्मचर्य का वचन क्यों न देते हों। इस खबर के सामने आने के बाद एलजीबीटीक्यू समूह और कैथोलिक अनुयायियों में निराशा और नाराजगी देखी गई।
वेटिकन ने इस मामले पर एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि पोप फ्रांसिस का किसी भी प्रकार से किसी को अपमानित या आहत करने का कोई उद्देश्य नहीं था। बयान में यह भी बताया गया कि पोप का संदेश यह था कि चर्च में हर किसी के लिए जगह है। उनका कहना था, 'चर्च में हर किसी के लिए जगह है, कोई बेकार नहीं है, कोई अधिशेष नहीं है। हम सभी के लिए जगह है, ठीक वैसे जैसे हम हैं, हम सभी के लिए।'
मामले के बावजूद, कुछ समीक्षकों ने यह भी सुझाव दिया कि हो सकता है पोप फ्रांसिस को इस शब्द का सही मतलब पता न हो। फिर भी, इस घटना पर माफी मांगकर पोप ने एक बार फिर अपने नम्र और सहिष्णु परिपालन का प्रदर्शन किया है।
यह महत्वपूर्ण है कि चर्च, धर्मगुरु और समाज मिलकर समलैंगिकता और अन्य सामाजिक मुद्दों पर सुलह और समझौतों के माध्यम से एक बेहतर भविष्य की दिशा में बढ़ें। पोप फ्रांसिस का माफीनामा इस दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने पहले भी सेमिनरी में सुधार और समावेशीता की दिशा में कई प्रयास किए हैं।
इसके अलावा, वेटिकन ने यह स्पष्ट किया था कि पोप का वास्तविक संदेश समावेशी होना था और यह बताना कि चर्च में कोई भी अनदेखी नहीं है। पोप ने पहले भी कई बार ऐसे बयान दिए हैं जिनसे उन्होंने समाज में समलैंगिक व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति और समर्थन प्रकट किया है।
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Piyush Raina
ये बात तो सच में अच्छी है कि पोप ने माफी मांग ली। लेकिन अगर वो शब्द असल में उन्हें गलत लगा होता तो वो क्यों कह दिया? ये सिर्फ बयानबाजी नहीं लगता?
Srinath Mittapelli
पोप ने जो कहा वो शायद बिल्कुल गलत था लेकिन उनकी माफी में एक असली बदलाव की झलक है। चर्च का ये दृष्टिकोण बदल रहा है और ये बहुत जरूरी है। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
Vineet Tripathi
मैं तो सोच रहा था कि ये शब्द क्या है जिसके लिए इतना बवाल हो रहा है। अगर ये एक बहुत ही गाली है तो पोप को इसका पता नहीं होना चाहिए था। लेकिन फिर भी माफी तो माफी है।
Dipak Moryani
क्या ये सिर्फ एक शब्द का मामला है या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति है? क्या वेटिकन अब लोगों को खुश करने के लिए बयान दे रहा है?
Subham Dubey
इसका असली मतलब ये है कि पोप फ्रांसिस एक गुप्त समूह के निर्देश पर काम कर रहे हैं जो चर्च को नष्ट करना चाहता है। ये सब एक विशाल आलोचनात्मक अभियान का हिस्सा है जो धर्म के आधार को हिलाना चाहता है। 🌍💀
Rajeev Ramesh
पोप के बयान का औपचारिक रूप से विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि उनकी भाषा अत्यधिक रूढ़िवादी थी, लेकिन उनकी माफी एक नैतिक उत्तरदायित्व का संकेत है।
Vijay Kumar
माफी तो अच्छी है, लेकिन अगर बात बदल नहीं रही तो ये सिर्फ एक नाटक है।
Abhishek Rathore
मुझे लगता है कि ये सब एक बड़े बदलाव की शुरुआत है। पोप ने पहले भी ऐसा किया था और अब वो अपने विचारों को स्पष्ट कर रहे हैं। इसे धीरे-धीरे समझना चाहिए।
Rupesh Sharma
अगर कोई गलती कर दे तो माफी मांगना ही सबसे अच्छा है। पोप ने ये किया। अब चर्च को भी बदलना होगा। ये सिर्फ शब्द नहीं, ये एक नई शुरुआत है।
Jaya Bras
अच्छा बयान दिया है ना? अब बस ये देखना है कि क्या वो अपने अपने लोगों को भी बदलने देंगे या फिर सिर्फ फोटो और ट्वीट्स बदल देंगे 😏