बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो व्यापक जनता विरोधों के चलते पद से इस्तीफा देने के बाद भारत में ठहरी हुई हैं, अब देश में आगामी चुनावों के लिए वापस लौटेंगी। उनके बेटे, सजीब वाज़ेद जॉय, ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि हसीना लोकतंत्र की बहाली के बाद बांग्लादेश लौटेंगी और अपनी पार्टी अवामी लीग को साथ लेकर देश की सेवा में जुटेंगी।
सजीब वाज़ेद जॉय ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार का धन्यवाद किया है कि वे उनकी मां को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। जॉय ने भारतीय अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में समर्थन जुटाने और बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के लिए दबाव बनाने में मदद करें।
अवामी लीग, जो कि बांग्लादेश का सबसे बड़ा और पुराना राजनीतिक दल है, कभी भी अपने लोगों का साथ नहीं छोड़ सकता। जॉय ने विश्वास दिलाया कि पार्टी अपने जनता की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।
सजीब वाज़ेद जॉय ने बांग्लादेश में जारी अराजकता के लिए पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई को दोषी ठहराया। उन्होंने अंतरिम सरकार से अनुरोध किया कि वे कानून और व्यवस्था की स्थिति को पुनर्स्थापित करें और आगामी चुनावों के लिए बराबरी का मैदान तैयार करें।
जॉय ने उन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें दावा किया जा रहा था कि शेख हसीना ने अपनी जान बचाने के लिए पलायन किया है और किसी भी देश में शरण मांग रही हैं। उन्होंने कहा कि इस समय हत्या रोकने और लोगों को जान से हाथ धोने से बचाने के लिए परिवार ने यह निर्णय लिया था।
अपने बयान में सजीब वाज़ेद जॉय ने अपील की कि भारत और अन्य वैश्विक शक्तियां बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर ध्यान दें और सही लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पुनर्स्थापना के लिए सहायता प्रदान करें।
बांग्लादेश की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है, और वहां की जनता को किसी समर्थ और सक्षम नेतृत्व की बेहद आवश्यकता है। शेख हसीना की वापसी इन परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|
Piyush Raina
शेख हसीना की वापसी का मतलब ये नहीं कि बांग्लादेश का सारा सुधार हो जाएगा। लोकतंत्र की बहाली के लिए संस्थाओं को मजबूत करना पड़ेगा, न कि किसी एक व्यक्ति पर निर्भर रहना।
Srinath Mittapelli
भारत का समर्थन अच्छा है पर अब तक कितनी बार देखा है कि बाहरी शक्तियां बांग्लादेश के अंदरूनी मामलों में दखल देती हैं? अगर वो वाकई लोकतंत्र चाहती हैं तो अपने घर की साफ़-सफाई भी कर लें।
Vineet Tripathi
मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक बांग्लादेशी नेता की वापसी की खबर पर इतनी चर्चा होगी। लेकिन अगर वो वापस आएंगी तो उनके लिए एक सुरक्षित और निष्पक्ष वातावरण बनाना जरूरी है।
Dipak Moryani
आईएसआई को दोषी ठहराना आसान है पर अंदरूनी बदलाव की जरूरत क्यों नहीं मानी जाती? लोग बाहर के षड्यंत्रों को दोषी ठहराकर अपनी गलतियों से बचते हैं।
Subham Dubey
ये सब एक बड़ा राजनीतिक नाटक है। शेख हसीना ने अपने शासनकाल में जो किया उसका अब बदला लेने की कोशिश हो रही है। आईएसआई का नाम लेकर भारत को बर्बर बनाने की कोशिश हो रही है। ये अमेरिका और भारत की साजिश है। वो चुनाव फर्जी होंगे। अगर वो वापस आएंगी तो वो अपने खिलाफ बगावत फैलाएंगी।
Rajeev Ramesh
यहाँ एक बहुत ही गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय स्वार्थ के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें इस मामले में अत्यधिक सावधान रहना चाहिए।
Vijay Kumar
लोकतंत्र नहीं लोगों की ज़रूरत है। नेता बदल जाएंगे, लेकिन लोग अभी भी भूखे हैं।
Abhishek Rathore
इस बयान में कुछ सच है, कुछ भावनात्मक है। लेकिन बांग्लादेश की जनता को अपने भविष्य के लिए खुद फैसला लेना होगा। बाहरी हस्तक्षेप नहीं, अंदरूनी एकजुटता चाहिए।
Jaya Bras
अवामी लीग के बिना बांग्लादेश नहीं चलेगा? अरे भाई तुम लोगों को अपनी अहंकार की बर्बादी का एहसास हो गया क्या? बाकी सब लोग तो बेकार हैं क्या?
Arun Sharma
इस बयान के अनुसार शेख हसीना का भारत में ठहरना एक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक निर्णय था। इसके विपरीत अन्य विश्लेषक इसे एक राजनीतिक भागने के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह एक अत्यंत जटिल विषय है।
Ravi Kant
भारत के साथ रिश्ते मजबूत होने से बांग्लादेश को बहुत फायदा हुआ है। लेकिन अब ये भी देखना होगा कि क्या ये रिश्ते वास्तविक लोकतंत्र की दिशा में जा रहे हैं या सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए।
sachin gupta
शेख हसीना एक शक्तिशाली नेता थीं। लेकिन अब उनकी वापसी का अर्थ है कि बांग्लादेश अभी भी उनके नाम से जुड़ा हुआ है। अगर ये देश आगे बढ़ना चाहता है तो इसे अपने नए नेताओं को अपनाना होगा।
Shivakumar Kumar
ये बयान एक आग की तरह है जो दोनों देशों के बीच आग लगा रहा है। भारत को अपने घर के बाहर बहुत ज्यादा फटकार नहीं लगानी चाहिए। अगर बांग्लादेश में गड़बड़ है तो उसका जिम्मेदार वही है जो वहां राज कर रहा है।
saikiran bandari
लोकतंत्र की बहाली के लिए चुनाव नहीं बल्कि जनता की आवाज़ को सुनना चाहिए। शेख हसीना के बिना भी बांग्लादेश चल सकता है।
Rashmi Naik
आईएसआई का नाम लेना एक डिस्ट्रेक्शन टेक्निक है। अंदरूनी नेतृत्व के असफलता को बाहरी शक्तियों को दोष देकर छिपाया जा रहा है। ये सब राजनीतिक फ्लिप फ्लॉप है।
Vishakha Shelar
मैं रो रही हूँ... ये सब बहुत दर्दनाक है... शेख हसीना को वापस लाने के लिए कितने लोग अपनी जान गंवा रहे हैं... क्या ये अभी भी एक देश है या एक रियलिटी शो?
Ayush Sharma
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि बांग्लादेश की आंतरिक संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। इस बात को भी स्वीकार करना चाहिए।
charan j
सब बकवास है। कोई नेता नहीं बचा सकता जब लोग भूखे हैं। बस खाना दो।