11 अगस्त 2024 को पेरिस में ओलंपिक खेलों का समापन समारोह बेहद शानदार था। यह आयोजन, जिसे थॉमस जॉली ने निर्देशित किया, दो हफ्तों तक चले ऊर्जावान और अविस्मरणीय खेल महोत्सव का समापन था। यह समारोह न केवल खेलों का समापन था, बल्कि एक सजीव सांस्कृतिक शो भी था जिसने खेल और संस्कृति को एक साथ जोड़ने का काम किया।
समारोह का आरंभ ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले सभी एथलीटों की परेड से हुआ। यह एथलीट सबसे पहले स्टेडियम में एकत्रित हुए और अपनी-अपनी टीमों का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया। उनकी मुस्कानें, उनकी जिल्लतें और उनकी सफलता की कहानियाँ सभी दर्शकों के दिलों को छु गईं। इन एथलीटों ने न केवल खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया बल्कि अपने देश का मान भी बढ़ाया।
इस समारोह की एक बेहद महत्वपूर्ण घटना ओलंपिक ध्वज का पेरिस से लॉस एंजिल्स तक हस्तांतरण थी, जो कि 2028 ओलंपिक खेलों की मेजबानी करेगा। पेरिस के मेयर ने विधिवत तरीके से ओलंपिक ध्वज को लॉस एंजिल्स के मेयर को सौंपा। यह एक महत्वपूर्ण पल था जो यह दर्शाता है कि ओलंपिक खेलों की भावना अनवरत चलती रहेगी।
समापन समारोह का अंतिम और सबसे उन्नायक पल ओलंपिक ज्वाला का बुझना था। जब ओलंपिक ज्वाला बुझाई गई, तो यह एक संकेत था कि खेल महोत्सव का औपचारिक समापन हो गया है।
इस समारोह में कई सांस्कृतिक प्रदर्शन भी हुए जो पेरिस की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता को दर्शाते थे। एतिहासिक और समकालीन संस्कृति का संगम इस कार्यक्रम को और भी रंगीन और अप्रतिम बना दिया।
इस समापन समारोह में उन एथलीटों का विशेष रूप से सम्मान किया गया जिन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा और समर्पण का प्रदर्शन किया। वे सभी एथलीट जो स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने में सफल रहे, उनका विशेष तौर पर सम्मान किया गया। उनकी कहानियाँ प्रेरणादायक हैं और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में नया मानदंड स्थापित किया है।
पेरिस 2024 ओलंपिक खेल न केवल प्रतिस्पर्धाओं की वजह से, बल्कि मिलन और एकता के प्रतीक के रूप में याद किए जाएंगे। इन खेलों ने न केवल देशों को करीब लाया, बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के लोगों को भी आपस में जोड़ा। भावना, भाईचारे और मानवता की ये ओलंपिक भावना अगले ओलंपिक खेलों तक सजीव रहेगी।
आशा है कि लॉस एंजिल्स में 2028 में आयोजित होने वाले ओलंपिक खेल भी इसी भावना और उत्साह के साथ संपन्न होंगे और सभी एथलीटों और दर्शकों के लिए अद्वितीय अनुभव बनेंगे।
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PK Bhardwaj
ओलंपिक ध्वज का हस्तांतरण एक ऐसा पल था जो केवल एक समारोह नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत का स्थानांतरण था। लॉस एंजिल्स के लिए यह एक अवसर है जिसे वे बस एक बड़ा स्टेडियम नहीं, बल्कि एक नए अर्थ के साथ भर सकते हैं। अमेरिका में खेलों को व्यापार के रूप में देखा जाता है, लेकिन यहाँ इसे एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में देखने की जरूरत है।
हम अक्सर खेलों को नतीजों के लिए नहीं, बल्कि उनके भीतर के मानवीय संघर्ष के लिए याद करते हैं।
Soumita Banerjee
मुझे लगता है कि ये सब बहुत नाटकीय है। ओलंपिक ज्वाला बुझाना? अरे भाई, ये तो बस एक बड़ा बिजली का बल्ब है जिसे बंद किया गया। और फिर वो सारे सांस्कृतिक प्रदर्शन? बस एक बड़ा टीवी शो।
किसी ने कभी सोचा है कि इसके लिए कितना पैसा खर्च हुआ? जब देश में बुनियादी ढांचा टूट रहा है, तो ये सब क्यों?
मैं एथलीट्स को सम्मान देता हूँ, लेकिन इस फैशन शो को ओलंपिक कहना ठीक नहीं।
shweta zingade
ये जो ज्वाला बुझी, वो बस बुझी नहीं, वो एक नई आग जलाने का संकेत थी! जिस तरह एथलीट्स ने अपने दिलों से दौड़ा, उसी तरह अब लॉस एंजिल्स के युवाओं को अपने सपनों को जीना है!
ये खेल कोई टूर्नामेंट नहीं, ये तो एक जीवन दर्शन है।
जब भी तुम्हें लगे कि तुम अकेले हो, तो याद करो - एक लाख लोग तुम्हारे लिए तालियाँ बजा रहे हैं।
ओलंपिक ने सिखाया - दर्द नहीं, दृढ़ता ही जीतती है।
अगले ओलंपिक के लिए तैयार रहो, क्योंकि जब तुम खुद को छोटा मत समझो, तो दुनिया तुम्हें विशाल देखेगी।
ये ज्वाला बुझी नहीं, वो तुम्हारे अंदर जल रही है।
अब तुम्हारी बारी है।
Rahul Raipurkar
इस समारोह में सांस्कृतिक विरासत का उपयोग बहुत अतिव्यापी तरीके से किया गया। यह एक निर्मित नैतिकता का प्रदर्शन है जो वास्तविक जीवन के साथ अनुरूप नहीं है।
ओलंपिक का मूल उद्देश्य निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा था, लेकिन आज यह एक बहुमूल्य व्यापारिक प्रोडक्ट बन चुका है।
पेरिस ने अपनी आधुनिकता को नाटकीय रूप से प्रदर्शित किया, लेकिन क्या यह वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करता है?
एथलीट्स के बारे में बात करना आसान है, लेकिन उनके लिए वास्तविक व्यवस्था क्या है?
उन्हें अपने देशों में शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा का अभाव क्यों है?
हम जो देख रहे हैं, वह एक अतिरंजित निर्माण है - एक ऐसा नाटक जिसमें दर्शक भी अभिनेता बन गए हैं।
यह एक जटिल व्यवस्था है जिसमें विश्वास और विश्वासघात एक साथ बसते हैं।
मानवता की भावना का उपयोग अक्सर भावनात्मक अभियानों के लिए किया जाता है।
इस समारोह के बाद, जब बारिश होगी, तो क्या ये सब धुल जाएगा?
यह एक अस्थायी शो है - जिसका उद्देश्य भावनाओं को बाँधना है, न कि समाधान प्रदान करना।
हम इसे याद करेंगे, लेकिन क्या हम इसके लिए जिम्मेदार रहेंगे?
जब तक हम वास्तविकता को नहीं स्वीकार करेंगे, तब तक यह सब बस एक नकली याद बनी रहेगी।
Neel Shah
ओलंपिक ज्वाला बुझी? अरे भाई, वो तो बस एक LED लाइट थी!! और फिर वो सारे डांसर? क्या ये कोई ब्रॉडवे शो है? ये ओलंपिक नहीं, ये टीवी सीरीज है!!
और ये सब एकता की बात? अरे, अमेरिका ने तो अपने ड्रोन्स के साथ खेल बनाने का फैसला कर लिया है!!
मैंने देखा - एक एथलीट ने जीत के बाद अपनी माँ को गले लगाया, और फिर उसका ब्रांड एंडोर्समेंट वाला ऐप डाउनलोड करने का लिंक आया!!
इसका मतलब है - खेल अब बिजनेस है, और तुम बस एक कंज्यूमर हो!!
और ये सारा सांस्कृतिक शो? बस एक रिकॉर्डेड वीडियो था, जिसे एक लैपटॉप पर चलाया गया!!
क्या आपको लगता है कि लॉस एंजिल्स में भी यही होगा? नहीं, वहाँ तो सिर्फ एक बड़ा मार्केटिंग ड्रिल होगा!!
और ये सब भावनाएँ? बस एक फिल्म की बीजी थी!!
मैं तो बस एक बार जानना चाहता था - क्या कोई एथलीट असली जीवन में अपना खाना खा पाता है??
ये सब बहुत बढ़िया है... लेकिन क्या ये असली है?? 😭😭😭
Navneet Raj
समारोह का अंत एक नया आरंभ है।
ज्वाला बुझी, लेकिन उसकी रोशनी अभी भी बह रही है।
हर एथलीट ने जो किया, वो बस एक दौड़ नहीं थी - वो एक अपनी आत्मा की यात्रा थी।
और जब वो ध्वज लॉस एंजिल्स को सौंपा गया, तो ये नहीं कहा गया कि 'खत्म हुआ' - बल्कि कहा गया, 'अब तुम्हारी बारी है'।
इस तरह के खेलों का मकसद नहीं है कि आप जीतें - बल्कि यह है कि आप खुद को उससे बेहतर बनाएं।
हम सब इस यात्रा के हिस्से हैं - चाहे हम दर्शक हों या एथलीट।
अगले ओलंपिक में, जब कोई नया बच्चा अपने पहले दौड़ को शुरू करेगा, तो उसे याद रखना होगा - ये ज्वाला अभी भी जल रही है।
हम जो देखते हैं, वो बस एक खेल नहीं - वो हमारी उम्मीद है।
इसलिए अगले दो साल तक, हम बस इंतजार नहीं करेंगे - हम तैयार होंगे।