जब मुंबई में दो दिन में 791 मिमी से अधिक जलस्राव हुआ, तो इंडियन मेटीओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी) ने तुंरत लाल अलर्ट जारी किया और देवेंद्र फडनवीस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, ने छत्रियों के बीच स्कूल‑छुट्टी की घोषणा की। यह घटना 19 अगस्त 2025 को हुई, जब शहर चार लगातार दिनों तक असहनीय बूड‑बूढ़ के साथ जूझ रहा था। भारी बारिश ने सड़कों को जलमग्न कर दिया, ट्रेन‑ट्रैफ़िक ठप हो गया और एक पेड़ के गिरने से एक व्यक्ति की जान चली गई। यही नहीं, वासरावली तालाब भर गया, जिससे जल‑भंडारण में अस्थायी राहत मिली।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में मुंबई ने अपने औसत औसत (566 मिमी) को 4 दिन में ही पार कर लिया। 18 अगस्त को एक ही दिन में 177 मिमी बरसने के बाद, 19 अगस्त की सुबह‑शाम में स्थानीय स्टेशन वीकरोली में 194.5 मिमी, सैंटाक्रूज़ में 185 मिमी और जुहू में 173.5 मिमी दर्ज किए गए। यह आंकड़ा केवल पिछले पाँच सालों में देखी गई सबसे बड़ी निरंतर बरसात के बराबर है।
आईएमडी के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ. रिझवी राजेश ने बताया कि मौसमी तरंग द्रव्यमान डीऊ, सुरत, नंदुरबार और अमरावती के ऊपर से गुजर रहा था और एक निम्न दबाव वाली प्रणाली ने मुंबई के ऊपर तेज़ी से घातक बूँदें घुमा दीं। इस प्रणाली को "डिप्रेशन" कहा गया, जिसका विकास अगले हफ्तों में बंगाल की खाड़ी में होने की संभावना है, जिससे सतत‑सतत बारिश की संभावना बढ़ गई।
बृहन्मुंबई नगरपालिका निगम (बीएमसी) ने तुरंत सभी स्कूलों व कॉलेजों को समझौता करके छुट्टी घोषित की। शहर में कई प्रमुख सड़कों पर जलजाम, मेट्रो के स्टेशन पर फर्श जलमग्न और ऑटो‑रिक्शा संचालन बंद हो गया। एयरपोर्ट पर कई उड़ानों को सप्लाई में देरी का सामना करना पड़ा; यात्रियों को समय से पहले पहुंचने और वैकल्पिक मार्ग खोजने की सलाह दी गई।
मुख्यमंत्री फडनवीस ने बताया कि महाराष्ट्र में 12‑14 लाख हेक्टेयर खेती पर पिछले दो दिनों की तेज़ बारिश का असर पड़ा है। धान के आयतों में पानी का अत्यधिक स्तर फसल के जड़‑घुटन का कारण बना, जिससे अनुमानित नुकसान लगभग 3 हजार करोड़ रुपये हो सकता है। किसानों को सूखा‑रोधी बीज और जल‑निकासी के उपाय अपनाने की सलाह दी गई।
आईएमडी ने बताया कि 20‑21 अगस्त तक मुंबई, थाने और रायगढ़ में नारंगी अलर्ट जारी रहेगा, जबकि 22‑23 अगस्त को हल्का पीला अलर्ट आएगा। मौसम विभाग ने निवासियों से अत्यधिक जल‑संकल्पन, खेत‑खड़िया में जल‑निकासी, पशुपालन के सुरक्षित स्थान चुनने, और ख़ास कर रसायनिक छिड़काव से बचने का आग्रह किया। साथ ही, बीएमसी ने जल‑संचयन क्षेत्रों में निकासी पंपों की त्वरित जाँच का आदेश दिया।
सामान्य मानसून में अगस्त में औसतन 566 मिमी बरसते हैं, जबकि इस बार केवल चार दिनों में 791 मिमी से अधिक दर्ज हुआ, जिससे बाढ़‑खतरा बहुत अधिक हो गया।
धान के खेतों में जल‑जमाव से जड़ें सड़ गईं, परिणामस्वरूप लगभग 3 हज़ार करोड़ रुपये का संभावित नुकसान हो सकता है। खासकर 12‑14 लाख हेक्टेयर कृषि‑भूमि प्रभावित हुई।
विहर तालाब का जलस्तर 20 फीट तक बढ़ा, जिससे दीर्घकालिक जल‑संसाधन भंडार में भरपूर पानी मिला, जो अगले शुष्क महीनों में उपयोगी सिद्ध होगा।
स्थानीय प्रशासन के नारंगी/लाल अलर्ट का पालन करें, जल‑निकासी की व्यवस्था करें, खेत‑ख़ेत में रसायनिक छिड़काव न करें और घर में ऊँची जगह पर ही रहने‑सुनने का ध्यान रखें।
नांदेड़ में तेज़ गिरावट वाले बादल‑विस्फोट (क्लाउड बर्स्ट) के कारण अल्प समय में 120 मिमी से अधिक पानी गिरा, जिससे 8 मृत्यु हुई। यह घटना भी उसी मौसमी प्रणाली से जुड़ी थी जो मुंबई पर प्रभावी थी।
© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|
एक टिप्पणी लिखें