महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में अपने बयान से एक बात स्पष्ट कर दी कि वह राजनीतिक संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने बीजेपी की लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमारी पार्टी का राजनीतिक गणित का गड़बड़ था, जिसके कारण हम सिर्फ नौ सीटें ही जीत सके जबकि 2019 में हमने 23 सीटें जीती थी। फडणवीस ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से आग्रह किया कि उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से मुक्ति दी जाए ताकि वह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी पर समर्पित रूप से ध्यान केंद्रित कर सकें।
फडणवीस ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि महाविकास आघाड़ी (एमवीए) और महायुति के बीच वोटशेयर में केवल दो लाख वोटों का ही अंतर था, लेकिन इसके बावजूद एमवीए ने 31 सीटें जीतीं जबकि महायुति ने केवल 17 सीटें हासिल कर सकी। इस मामूली अंतर ने बीजेपी के प्रदर्शन में बड़ी गिरावट को दर्शाया, जिसे फडणवीस ने सही ठहराया। उन्होंने बताया कि दो प्रमुख नैरेटिव जो पार्टी ने प्रभावी रूप से नहीं खंडित कर सके, उनमें संविधान में बदलाव का गलत नैरेटिव और विभाजनकारी राजनीति थी। इन नैरेटिव का दलितों और आदिवासियों पर खासा प्रभाव रहा।
फडणवीस ने जो प्रमुख नैरेटिव का ज़िक्र किया, उनमें एक था कि संविधान को बदला जाएगा। यह नैरेटिव दलित और आदिवासी समाज में बहुत तेजी से फैला और उसने उनके वोटों को प्रभावित किया। दूसरा नैरेटिव था पार्टी विभाजन का, जो लोगों के मन में असुरक्षा का भाव जगाने में सफल रहा। फडणवीस ने स्वीकार किया कि इन दोनों नैरेटिव के प्रभाव को पार्टी सही से समझ नहीं सकी और उनके खिलाफ प्रभावी तरीके से प्रचार नहीं कर सकी।
देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक यात्रा एक लंबी और संघर्षपूर्ण रही है। उन्होंने युवा अवस्था में ही राजनीति में कदम रखा था और तेजी से खुद को राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बना लिया। उनकी निष्ठा और कार्यशैली ने उन्हें भीड़ से अलग खड़ा किया और उनको महाराष्ट्र की सियासत में उल्लेखनीय स्थान दिलाया। फडणवीस का विचार है कि इन कठिन परिस्थितियों में भी, वह हार मानने वाले नहीं हैं और अपनी पार्टी को पुनः सशक्त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
उन्होंने भविष्य की रणनीति पर बोलते हुए कहा कि पार्टी को नए सिरे से अपनी रणनीति बनानी होगी, और विशेष रूप से उन क्षेत्रों में ध्यान देना होगा जहां हमें वोटशेयर में नुकसान हुआ है। संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल होगा। इसके साथ ही, पार्टी के अंदरूनी ढांचे में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव भी किए जाएंगे ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी पार्टी की ओर से एक प्रस्ताव पास किया है जिसमें नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी गई है और इस बात पर जोर दिया गया है कि फडणवीस उपमुख्यमंत्री पद पर बने रहें और पार्टी के लिए कार्य करते रहें। फडणवीस ने इन प्रस्तावों का स्वागत किया है लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी की भलाई के लिए वह किसी भी भूमिका में काम करने को तैयार हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक दिलचस्प मोड़ है जहां एक शीर्ष नेता अपनी जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए पार्टी के भविष्य के लिए नई रणनीतियों की ओर अग्रसर हो रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि फडणवीस और उनकी पार्टी आने वाले समय में किस प्रकार से इन चुनौतियों का सामना करती है और अपने खोए हुए समर्थन को फिर से कैसे हासिल करती है।
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