महाकुंभ के प्रभाव से परीक्षाएं स्थगित
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने 2025 की कक्षा 10 और 12 की परीक्षाएं प्रयागराज में 24 फरवरी के बजाय अब 9 मार्च को आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि महाकुंभ मेले के चलते लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज नगर में जुट रहे हैं, जिससे लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियां बढ़ गई हैं।
इस निर्णय की घोषणा माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने की। उनके अनुसार, सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक था कि परीक्षाओं की तारीख बदली जाए। प्रयागराज की परीक्षाएं तो स्थगित हुई हैं, लेकिन अयोध्या और वाराणसी जैसे अन्य जिलों में परीक्षाएं अपने निर्धारित समय पर ही होंगी। इन जिलों में विशेष यातायात प्रबंधन किया गया है ताकि परीक्षार्थियों को कोई असुविधा ना हो।
परीक्षा की समय सारिणी और सावधानियाँ
परीक्षाओं की समय सारिणी वही रखी गई है। प्रथम पाली में परीक्षाएं सुबह 8:30 बजे से 11:45 बजे तक और दूसरी पाली की परीक्षाएं दोपहर 2:00 बजे से 5:15 बजे तक आयोजित की जाएंगी। ऐसे में छात्र अपनी तैयारी यथावत रख सकते हैं।
यूपी बोर्ड द्वारा स्पष्ट किया गया है कि परीक्षा में किसी प्रकार की गड़बड़ी या गलत व्यवहार की स्थिति में कड़े नियम लागू होंगे। विशेष रूप से, जो अधिकारी इन नियमों का पालन नहीं करते पाए जाते, उन्हें 7 साल तक की जेल और ₹10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। इसीलिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि परीक्षाएं ईमानदारी से और पूर्ण पारदर्शिता के साथ संपन्न हों। छात्रों को सलाह दी गई है कि वे समय-समय पर आधिकारिक अपडेट चेक करते रहें ताकि किसी भी परिवर्तन की जानकारी उन्हें मिल सके।
Vijay Kumar
ये तो बस एक ठहराव है, असली मुद्दा ये है कि हमारी शिक्षा प्रणाली हमेशा धार्मिक आयोजनों के चक्कर में फँस जाती है।
Rupesh Sharma
छात्रों के लिए ये बहुत अच्छी बात है। थोड़ा और समय मिल जाएगा तैयारी के लिए। महाकुंभ का ये दबाव नहीं, बल्कि एक अवसर है - देश की आध्यात्मिक ऊर्जा को पढ़ाई के साथ जोड़ने का।
Jaya Bras
9 मार्च? ये तो अभी भी बहुत जल्दी है भाई, महाकुंभ के बाद भी सड़कें भीड़ से भरी रहेंगी। और अधिकारी जेल में जाएंगे? ये तो फिल्म की कहानी है।
Ravi Kant
हमारी संस्कृति का ये अद्भुत अंग है - जब लाखों लोग एक ही स्थान पर आते हैं, तो शिक्षा को थोड़ा समय देना जरूरी है। ये निर्णय संस्कृति का सम्मान है।
Harsha kumar Geddada
देखो ये सब बातें बहुत आसान लगती हैं, लेकिन गहराई में जाओ तो ये एक व्यवस्था के अंतर्गत एक जटिल सामाजिक संतुलन का प्रश्न है। शिक्षा और धर्म के बीच का संघर्ष न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में है। यूपी बोर्ड ने एक ऐसा निर्णय लिया है जो न तो भावनाओं को ठेस पहुंचाता है और न ही शिक्षा को नजरअंदाज करता है। ये तो राजनीति नहीं, बल्कि ज्ञान की नीति है।
sachin gupta
9 मार्च? ये तो बहुत बेसिक है। मैंने तो सोचा था यूपी बोर्ड अपने आप को एक एक्सपर्ट बॉडी समझता है, लेकिन ऐसा लगता है जैसे किसी ने बस गूगल पर सर्च किया और बोल दिया।
saikiran bandari
महाकुंभ और परीक्षा एक ही समय तो नहीं हो सकते यार ये तो बेसिक लॉजिक है
Vishakha Shelar
मैं तो रो रही हूँ 😭 मेरा बेटा तो अभी तक गणित के फॉर्मूले याद नहीं कर पाया और अब और देर हो गई 😭
Vineet Tripathi
ये निर्णय बहुत समझदारी से लिया गया है। छात्रों को तनाव नहीं, बल्कि समय देना जरूरी है। अगर ये बदलाव देश के अन्य राज्यों में भी हो जाए तो बहुत अच्छा होगा।
Arun Sharma
आप सभी इतने आशावादी हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये निर्णय वास्तव में एक राजनीतिक चाल है? यूपी बोर्ड के अधिकारी अपने पदों की सुरक्षा के लिए ये निर्णय ले रहे हैं।
Shivakumar Kumar
ये बदलाव तो जैसे बारिश के बाद नदी का बहाव बदल जाना - अचानक लगता है, लेकिन असल में ये बहुत जरूरी था। छात्रों को एक शांत माहौल चाहिए, न कि भीड़ और शोर।
Abhishek Rathore
अयोध्या और वाराणसी में परीक्षा चल रही है, लेकिन प्रयागराज में नहीं? ये तो अंतर का बोध कराता है। शायद ये देश की वास्तविक विविधता है - कहीं तो बस जाना है, कहीं तो रुकना है।
Rashmi Naik
परीक्षा की तारीख बदलना तो एक नियमित एडजस्टमेंट है लेकिन जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना? ये तो कोई एंटी-करप्शन लीग लगता है ना बोर्ड
charan j
बस इतना ही? ये तो बहुत साधारण बात है
Rajeev Ramesh
महाकुंभ के कारण परीक्षाएं स्थगित होना एक उचित निर्णय है। लेकिन यह भी ध्यान देना चाहिए कि यह निर्णय किसके लिए लिया गया है - क्या यह शिक्षा के लिए है या धार्मिक भावनाओं के लिए? यह एक गहरा दार्शनिक प्रश्न है।
Ravi Kant
ये बात बिल्कुल सही है। हम अक्सर धार्मिक भावनाओं को शिक्षा के खिलाफ देख लेते हैं, लेकिन जब लाखों लोग एक साथ आते हैं, तो यह एक जीवंत सामाजिक घटना है। इसे अवरुद्ध करना नहीं, बल्कि समायोजित करना चाहिए।