लोकसभा चुनाव 2019: 7 राज्यों और चंडीगढ़ में 57 सीटों के लिए अंतिम चरण का मुकाबला

लोकसभा चुनाव 2019: 7 राज्यों और चंडीगढ़ में 57 सीटों के लिए अंतिम चरण का मुकाबला

लोकसभा चुनाव 2019: 7 राज्यों और चंडीगढ़ में 57 सीटों के लिए अंतिम चरण का मुकाबला

19 मई को 57 सीटों पर सात राज्यों और चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण होगा। देशभर में हो रहे इस महासंग्राम में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं। यह चरण इस नजरिये से अहम है कि इसमें कई हाई प्रोफाइल उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनकी बहुत बड़ी भूमिका आगामी केंद्र सरकार के गठन में होगी।

उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक है, जहां वे पुनः चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले बार की तरह इस बार भी वाराणसी में मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए उनके समर्थकों में खासा उत्साह है। वहीं, अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मैदान में हैं और उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से है। यह मुकाबला भी काफी खास है क्योंकि अमेठी गांधी परिवार का अभेद्य गढ़ समझा जाता है।

चांदनी चौक की सीट पर केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन मुकाबला कर रहे हैं। पटना साहिब से अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और उनका सामना बीजेपी के रविशंकर प्रसाद से है। यह सीट भी काफी चर्चित है क्योंकि शत्रुघ्न सिन्हा ने हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था और इस बार उनके सामने बड़ी चुनौती है।

पश्चिम बंगाल में मुकाबला तेज

पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच घमासान है, जहां नौ सीटों पर चुनाव होगा। ममता बनर्जी की टीएमसी और भाजपा के बीच इस प्रदेश में कड़ी टक्कर है। पिछले कुछ समय से राज्य में राजनीतिक हिंसा और विवाद बढ़े हैं, जिस कारण यहां चुनाव प्रक्रिया पर सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी नजर है।

हिमाचल प्रदेश में चार सीटों पर भाजपा मजबूत स्थिति में हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां सभी चार सीटें जीती थीं और इस बार भी पार्टी को अपने प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद है।

अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती

चुनाव आयोग ने संवेदनशील इलाकों में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की है। देशभर के अधिकारियों और सुरक्षाबलों ने सुनिश्चित किया है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो और मतदान प्रक्रिया सकारात्मक तरीके से पूरी हो सके।

आखिरी चरण का यह चुनाव न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इसमें होने वाले मामूली बदलाव भी चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। इसी कारण सभी प्रमुख पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

इस बार आम जनता की भी बड़ी भूमिका है क्योंकि उनकी जागरूकता और मताधिकार की सही उपयोगिता ही लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है। चुनाव परिणाम आने तक हर सीट का विश्लेषण और चर्चा राजनीति के गलियारों में जोर-शोर से चलती रहेगी।

देश के भविष्य के लिए यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है, यह हमें 23 मई को परिणाम के दिन ही देखने को मिलेगा। लेकिन फिलहाल, यह अंतिम चरण कई रंग-बिरंगे नजारों और राजनैतिक दांवपेंच से भरा हुआ होगा।

टिप्पणि

  • PK Bhardwaj
    PK Bhardwaj

    इस अंतिम चरण में वाराणसी और अमेठी का मुकाबला सिर्फ दो नेताओं का नहीं, बल्कि दो अलग-अलग भारत का संघर्ष है। एक ओर नेतृत्व की व्यक्तिगत शक्ति, दूसरी ओर परिवारगत विरासत। ये दोनों अलग-अलग डायनामिक्स हैं जो देश के भविष्य को आकार देंगे।

    बीजेपी का राष्ट्रवादी नारा और कांग्रेस का समाजवादी नारा अब सिर्फ चुनावी नारे नहीं, बल्कि दो अलग देशों के विचारधारात्मक आधार हैं। जनता अब यही फैसला कर रही है कि वह किस भारत को आगे बढ़ना चाहती है।

  • Soumita Banerjee
    Soumita Banerjee

    ये सब बकवास है। फिर से वही नाम, वही चेहरे, वही वादे। क्या कोई यहाँ वास्तविक बदलाव देख रहा है? या सिर्फ एक नए चेहरे के साथ पुरानी गलतियाँ दोहरा रहे हैं?

  • Navneet Raj
    Navneet Raj

    पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी की टक्कर वाकई देखने लायक है। यहाँ राजनीति बस वोटों का खेल नहीं, बल्कि राज्य की पहचान का सवाल बन चुकी है।

    ममता बनर्जी का राज्यवादी अपील और भाजपा का राष्ट्रवादी अपील दोनों ही अपने तरीके से जनता को छू रहे हैं। यहाँ कोई जीत या हार नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक संतुलन की शुरुआत हो रही है।

  • Neel Shah
    Neel Shah

    अमेठी में राहुल गांधी का नुकसान तय है!! 😭💔 और स्मृति ईरानी अब राष्ट्रीय नेता बन गईं!! 🤯🤯🤯

  • shweta zingade
    shweta zingade

    भाई, ये चुनाव सिर्फ वोटों का खेल नहीं है। ये तो हमारे बच्चों के भविष्य का फैसला है।

    जब आप वाराणसी में मोदी के लिए वोट देते हैं, तो आप न केवल एक नेता को चुन रहे हैं, बल्कि एक नई दिशा को अपना रहे हैं।

    और जब अमेठी में राहुल के लिए वोट देते हैं, तो आप एक ऐतिहासिक विरासत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

    ये दोनों विकल्प अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    हमें अपने वोट को एक जिम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए, न कि एक भावना के रूप में।

    हर वोट एक नए भारत की नींव है।

    मत भूलिए, आज का वोट आपके बच्चों के कल का निर्णय है।

  • Pooja Nagraj
    Pooja Nagraj

    यह चुनाव वास्तविकता के निर्माण की एक भावनात्मक अभिव्यक्ति है, जिसमें राष्ट्रीय अहंकार और परिवारगत अधिकार के बीच एक दर्शनात्मक विवाद निहित है।

    मोदी की वाराणसी एक प्रतीक है - एक नए युग का आह्वान, जो विरासत के बजाय नवीनता को प्राथमिकता देता है।

    इसके विपरीत, अमेठी का राहुल गांधी एक ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, जिसे विस्मृति के दायरे से बाहर नहीं लाया जा सकता।

    यह द्वंद्व न केवल राजनीति का है, बल्कि भारतीय संस्कृति के भीतर उत्पन्न हुए एक गहरे दार्शनिक टकराव का है।

  • Anuja Kadam
    Anuja Kadam

    kya ye sab thik hai? maine toh bas ek bar dekha tha ye sab... phir se same cheezein... koi naya kuch nahi hua kya?

    aur bhaiya, shatrughan sinha bhi kya ab congress me? ye toh bhi purana hi hai na...

  • Pradeep Yellumahanti
    Pradeep Yellumahanti

    हिमाचल में BJP की जीत तो तय है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि यहाँ के लोग असल में क्या चाहते हैं? न केवल वोट, बल्कि जल, बिजली, रोजगार।

    हम राजनीति के नाम पर लोगों की जरूरतों को भूल रहे हैं।

    एक दिन ये सब चुनावी नारे भूल जाएंगे, लेकिन जब घर में बिजली नहीं होगी, तो कोई नेता नहीं बचाएगा।

  • Shalini Thakrar
    Shalini Thakrar

    ये चुनाव एक जीवंत लोकतंत्र का जीवन है। हर वोट एक आवाज है।

    जब एक महिला गाँव में अपना वोट डालती है, तो वह अपने बेटे के भविष्य के लिए लड़ रही होती है।

    जब एक युवा शहर में अपना वोट देता है, तो वह एक नई दुनिया की उम्मीद कर रहा होता है।

    हम सब एक ही भारत के हिस्से हैं। ये चुनाव हमारे संकल्प का परीक्षण है।

    क्या हम अपने वोट को एक बुद्धिमान निर्णय के रूप में देखते हैं? या बस एक भावना के रूप में?

    ❤️ ये चुनाव हमारा है।

  • pk McVicker
    pk McVicker

    बस बंद करो ये सब।

  • Shivam Singh
    Shivam Singh

    अमेठी में स्मृति ईरानी का खेल दिलचस्प है। क्या ये गांधी परिवार के विरुद्ध एक संकेत है? या बस एक राजनीतिक निर्णय?

    मैंने देखा है कि कैसे उत्तर प्रदेश में नए नेता उभर रहे हैं। लेकिन अमेठी का मामला अलग है।

    यहाँ विरासत और योग्यता के बीच एक गहरा टकराव है।

    क्या एक नाम एक विरासत को बचा सकता है? या यह सिर्फ एक प्रतीक है?

  • Vineet Tripathi
    Vineet Tripathi

    हिमाचल के चारों सीटें BJP की तो तय हैं, लेकिन क्या कोई यहाँ के लोगों की बात सुन रहा है? बिजली, पानी, रोजगार - ये चुनावी नारे नहीं, ज़िंदगी के सवाल हैं।

    मैं तो बस देख रहा हूँ कि कैसे हम अपने नेताओं को चुनते हैं, लेकिन अपने भविष्य को नहीं।

  • shweta zingade
    shweta zingade

    मैंने देखा कि शत्रुघ्न सिन्हा के बीजेपी छोड़ने के बाद भी लोग उन्हें अभी भी बीजेपी का नेता मानते हैं।

    ये दिखाता है कि लोग नेता के नाम से नहीं, बल्कि उनकी पहचान से जुड़े हुए हैं।

    रविशंकर प्रसाद के खिलाफ लड़ना उनके लिए एक बड़ा चुनौती है - लेकिन ये चुनौती सिर्फ उनकी नहीं, हमारी भी है।

    क्या हम एक व्यक्ति की राजनीतिक पहचान के आधार पर वोट देते हैं? या उनके कार्यों के आधार पर?

  • Piyush Raina
    Piyush Raina

    क्या ये चुनाव वाकई जनता के लिए है? या सिर्फ एक बड़ी राजनीतिक लीग का खेल?

    हर सीट पर नए नाम आ रहे हैं, लेकिन क्या नीतियाँ बदल रही हैं?

    मैंने देखा है कि जब भी चुनाव होते हैं, तो लोग एक नए भविष्य की उम्मीद करते हैं।

    लेकिन जब परिणाम आते हैं, तो वही नीतियाँ बरकरार रहती हैं।

    क्या हम वाकई बदलाव चाहते हैं? या सिर्फ नए चेहरे?

  • Srinath Mittapelli
    Srinath Mittapelli

    मैं बिहार से हूँ। यहाँ चुनाव बस एक चुनाव नहीं है - ये एक जीवन या मृत्यु का सवाल है।

    हमारे यहाँ बच्चे अपने घरों से निकलकर वोट डालने जाते हैं, और फिर वापस आकर अपने घर में खाना नहीं पाते।

    लेकिन फिर भी वोट देते हैं।

    क्योंकि वोट देना हमारी एकमात्र आज़ादी है।

    ये चुनाव बस नेताओं का नहीं, हमारा है।

    हम जो चुनते हैं, वही हमारा भविष्य बनता है।

  • Subham Dubey
    Subham Dubey

    क्या आप जानते हैं कि इस चुनाव में कुछ वोट एआई द्वारा बनाए गए हैं? और एक गुप्त संगठन ने वोट काउंटिंग सिस्टम में इंटरफेर किया है।

    मैंने एक रिपोर्ट पढ़ी थी - जिसमें कहा गया था कि 2019 के चुनाव में 12% वोट फर्जी थे।

    यह सब एक बड़ा अभियान है - जिसका उद्देश्य भारत के लोकतंत्र को नष्ट करना है।

    अगर आप वोट देते हैं, तो आप इस षड्यंत्र का हिस्सा बन रहे हैं।

    मैंने अपना वोट नहीं दिया।

    और आप?

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