कारगिल विजय दिवस पर RIMC में सिम्फनी बैंड परफॉर्मेंस के जरिए शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि

कारगिल विजय दिवस पर RIMC में सिम्फनी बैंड परफॉर्मेंस के जरिए शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि

कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को नमन

२५ जुलाई २०२४ को देहरादून स्थित राष्ट्रीय भारतीय मिलिट्री कॉलेज (RIMC) परिसर गणवेशधारी सैनिकों और सम्मानित अतिथियों के साथ सजीव हो उठी थी। यह दिन न केवल हमारे देश के लिए गर्व का था बल्कि उन अनगिनत साहसी वीरों की याद में भी था जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। RIMC में आयोजित इस सिम्फनी बैंड कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हीं शहीदों की बहादुरी और बलिदान को सलाम करना था।

संवेदनशील धुनों की गूंज

कारगिल विजय दिवस के इस विशेष मौके पर सिम्फनी बैंड द्वारा प्रस्तुत किए गए संगीत ने अद्वितीय धुनों के माध्यम से वहां उपस्थित हर व्यक्ति के दिल को छू लिया। बैंड ने जब अपना प्रदर्शन शुरू किया, पूरा माहौल भावनाओं से भर गया और हर किसी के आंखों में शहीदों के लिए सम्मान और श्रद्धा की चमक दिखी। बेहद खूबसूरती से तैयार किए गए इस संगीत कार्यक्रम ने वहां उपस्थित जनसमूह में देशभक्ति की भावना को और गहरा कर दिया।

शहीदों के सम्मान में आयोजन

कार्यक्रम की शुरुआत शहीदों के सम्मान में एक मिनट का मौन धारण कर की गई। इसके बाद RIMC के प्रधानाचार्य ने स्वागत भाषण दिया जिसमें उन्होंने कारगिल युद्ध के नायकों की वीरता और साहस को याद करते हुए हृदय की गहराइयों से श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, 'आज हम उन वीर जवानों को याद कर रहे हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उनकी वीरता और अदम्य साहस हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।' Principal का यह भाषण सभी के चेहरे पर गर्व और श्रद्धा की भावनाएं लेकर आया।

संगीत का महत्व

समारोह के दौरान विभिन्न देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति ने हर किसी के हृदय को छू लिया। इन गानों के माध्यम से न केवल वीर शहीदों को नमन किया गया बल्कि हमारे युवा पीढ़ी को साहस, वीरता और देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत करने का प्रयास भी किया गया। संगीत जो भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को पार कर जाता है, ने वहां उपस्थित हर व्यक्ति के दिल को भावनात्मक संदेश दिया।

छात्रों और सैनिकों की भागीदारी

इस विशेष मौके पर RIMC के छात्र और कर्मचारियों के साथ ही विभिन्न सैन्य अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। उनमें से कई स्वयं कारगिल युद्ध के साक्षी थे और इन वीरता की कहानियों को अपनी आंखों से देखा था। विद्यार्थियों के लिए यह एक ऐतिहासिक अनुभव था जो उन्हें अपने देश और इसके लिए बलिदान देने वाले वीरों के प्रति आदरभाव से जोड़ता है।

विशेष अतिथि और सम्मान

समारोह में विशेष अतिथि के रूप में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इनमें से कुछ ने अपने भाषणों में शहीदों के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। विशेष रूप से सेना के उपाधिकारियों ने कारगिल युद्ध के समय उनके साथ जुड़े अनुभव साझा किए और शहीदों के प्रति अपना नमन किया। इन सभी वक्तव्यों ने वहां उपस्थित हर शख्स को भावविभोर कर दिया और उनकी आंखों में गर्व और आंसू दोनों दिखे।

समापन और श्रद्धांजलि

कार्यक्रम का समापन एक भव्य और भावनात्मक स्वरूप में हुआ। सिम्फनी बैंड के अंतिम प्रदर्शन के साथ ही शहीदों के सम्मान में दिए गए भाषणों ने वहां के माहौल को और भी संजीदा बना दिया। RIMC के प्रांगण में हर किसी ने शहीदों की वीरता को सलाम करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह दिन प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व और श्रद्धा का प्रतीक बन गया, जब हमने अपने वीर शहीदों को याद किया और उन्हें नमन किया।

कारगिल विजय दिवस हर साल २६ जुलाई को मनाया जाता है जिसे हम 'ऑपरेशन विजय' के नाम से भी जानते हैं। १९९९ में भारतीय सेना ने कारगिल पर विजय प्राप्त की थी और इस दिन को उन्हीं वीर शहीदों की याद में समर्पित किया गया है जिन्होंने इस विजय में अपनी जान की बाजी लगाई। शहीदों के इस बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता और यह कार्यक्रम उन बलिदानों की गाथा का जीवंत उदाहरण है।

टिप्पणि

  • Soumita Banerjee
    Soumita Banerjee

    अरे ये सिम्फनी बैंड का प्रदर्शन तो बिल्कुल एक निर्माणात्मक नैरेटिव के रूप में था - एक अनुभवी अधिकारी के लिए ये सिर्फ एक स्टीरियोटाइप्ड डिस्प्ले था। भावनात्मक अभिव्यक्ति को ऑर्केस्ट्रल फ्रेमवर्क में फिट करने का प्रयास बेकार था। कारगिल के वीरों की याद के लिए एक डॉक्यूमेंट्री या एक सादा श्रद्धांजलि अधिक प्रासंगिक होता।

  • Navneet Raj
    Navneet Raj

    इस तरह के कार्यक्रम असल में बहुत जरूरी होते हैं। युवाओं को इतिहास की वास्तविकता से जोड़ने का ये एक शांत, लेकिन गहरा तरीका है। संगीत के जरिए भावनाएं समझना बहुत ज्यादा असरदार होता है - बस इतना ध्यान रखो कि इसका अर्थ बहुत ज्यादा अतिशयोक्ति न हो।

  • Neel Shah
    Neel Shah

    अरे ये तो बिल्कुल गलत है!! शहीदों को याद करने के लिए सिम्फनी बैंड?? ये तो एक नाटक है!! वास्तविकता ये है कि उन्होंने जो किया, वो एक शांत अंतरीक्ष में बैठकर नहीं हुआ!! ये सब फैक्टिव नारेटिव है!! अगर वाकई श्रद्धांजलि देनी है तो एक बार उनके परिवारों के साथ बैठो!!

  • shweta zingade
    shweta zingade

    मैं वहां थी! जब बैंड ने 'Vande Mataram' बजाया - तो मेरे आंखों से आंसू बह गए! ये सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं था - ये एक आत्मा का संगीत था! बच्चे जो अभी तक नहीं जानते कि कारगिल क्या था, उन्हें ये एक जीवित अनुभव दे रहा था! ये नहीं बताना चाहती कि कितने छात्रों ने बाद में मुझसे कहा - 'मैं अब सेना में जाना चाहता हूं!' ये वो चीज है जो किताबों में नहीं मिलती!

  • Pooja Nagraj
    Pooja Nagraj

    यह घटना एक अत्यंत संवेदनशील सांस्कृतिक नैरेटिव के अंतर्गत आती है - जहां राष्ट्रीय विरासत को एक ऐसे आर्टिस्टिक फॉर्मेट में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो आधुनिकता और परंपरा के बीच एक द्वंद्व उत्पन्न करता है। क्या वास्तव में सिम्फनी बैंड का उपयोग एक ऐसे वीरता के लिए उचित है, जिसमें रक्त और आत्मबलिदान का अभाव नहीं था? यह एक आधुनिक समाज के लिए एक निर्माणात्मक भावनात्मक विस्थापन है।

  • Anuja Kadam
    Anuja Kadam

    ye sab thik hai but kya koi sochta hai ki kargil ke family ko kya mila? sabhi gane bajaye lekin unki biwi aur bacchon ko kya mila? kuch nahi... bas ek photo aur ek certificate... yaar...

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