झारखंड पुलिस द्वारा चंपई सोरेन की निगरानी: हिमंता बिस्वा सरमा का बड़ा दावा

झारखंड पुलिस द्वारा चंपई सोरेन की निगरानी: हिमंता बिस्वा सरमा का बड़ा दावा

चंपई सोरेन की निगरानी पर झारखंड पुलिस का बड़ा खुलासा

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है, जिससे भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है। उन्होंने दावा किया है कि चंपई सोरेन, जो कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में राज्य के कैबिनेट मंत्री हैं, उन पर झारखंड पुलिस द्वारा पिछले पांच महीनों से निगरानी रखी जा रही थी। यह खुलासा उस वक्त हुआ जब दिल्ली के एक होटल में झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के दो सब-इंस्पेक्टर पकड़े गए।

होटल में पकड़े गए सब-इंस्पेक्टर और निगरानी की बात

बताया जा रहा है कि ये दोनों सब-इंस्पेक्टर उसी होटल में ठहरे थे जहां सोरेन भी रुके हुए थे। जब सोरेन के साथियों ने इन्हें पकड़ा, तब उन्होंने स्वीकार किया कि वे सोरेन पर नजर रखने के लिए वहां मौजूद थे। इन अधिकारियों ने यह भी बताया कि उन्हें 'एक वरिष्ठ व्यक्ति' के आदेश से यह काम सौंपा गया था, जो कि झारखंड में 'संवैधानिक पद' पर हैं।

निगरानी के दौरान फोन टैपिंग और हनी ट्रैप की संभावना

निगरानी के दौरान फोन टैपिंग और हनी ट्रैप की संभावना

हिमंता बिस्वा सरमा ने इस मामले में अपनी चिंता जताई है और इसे भारतीय राजनीति के लिए दुर्लभ घटना बताया है। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत गोपनीयता और स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन है। यह भी शक जताया जा रहा है कि सोरेन के फोन टैप किए गए होंगे और उन्हें 'हनी ट्रैप' करने की योजना भी हो सकती है, क्योंकि एक महिला को भी इन अधिकारियों से मिलते हुए देखा गया था।

इस घटना के बाद सोरेन ने गृह मंत्री अमित शाह और हिमंता बिस्वा सरमा से मुलाकात की थी। इस बैठक के बाद सरमा ने घोषणा की कि सोरेन 30 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे। दोनों सब-इंस्पेक्टरों को अब दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया है ताकि मामले की और जाँच-पड़ताल की जा सके।

राजनीतिक जासूसी और स्वतंत्रता पर सवाल

यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यह घटना केवल भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं से ही नहीं जुड़ी है। सोरेन पर निगरानी इससे पहले से ही चल रही थी। राजनीतिक जासूसी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन का यह मामला मात्र झारखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देशभर में राजनीतिक माहौल को भी प्रभावित कर सकता है।

इस घटना ने बहुत से नेताओं और नागरिकों के बीच आक्रोश और चिंता को जन्म दिया है। व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन और राजनीतिक जासूसी के ऐसे मामलों ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ दे दिया है।

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