2025 के इस गर्मी महोत्सव में भारतीय महिला क्रिकेट ने एक बड़ा मुकाम छू लिया। पाँच मैचों की टी20 श्रृंखला में पहले दो खेलों में क्रमशः 97 रन और 24 रन से जीत हासिल कर भारत ने 2-0 की बढ़त बना ली। यह जीत सिर्फ आँकड़ों की नहीं थी, बल्कि टीम की गहरी तैयारी और आत्मविश्वास का प्रमाण थी।
पहले मैच में स्मृति मांधाना ने अपना पहला टी20I शतक बनाया, जबकि श्री चारानी ने चार विकेट लेकर गेंदबाज़ी में खतरनाक प्रदर्शन किया। दूसरा मैच तब आया जब टीम ने शुरुआती दौर में गिरावट देखी, लेकिन अमंजोत कौर और जेमिमाह रोड्रिगेज की आधी सदी की दावत ने वह खोई हुई लहर वापस ले ली। इस तरह दो जीत के बाद भारत ने इंग्लैंड को अपने घर में हराने की राह पकड़ ली थी।
तीसरे टॉस के बाद शफाली वर्मा ने 47 रन केवल 25 गेंदों में चढ़ाया, जबकि स्मृति ने 56 का स्कोर बनाकर लक्ष्य 172 का पीछा किया। फिर भी इंग्लैंड ने पांच रन की नज़दीकी जीत हासिल की। यह छोटा सा झटका टीम को हतोत्साहित नहीं किया, बल्कि उन्हें और तेज़ी से आगे बढ़ने का इंधन मिला।
चौथे खेल में भारत ने दो विकेट से कम लेकर छह विकेट से जीत दर्ज की, जिससे श्रृंखला का परिणाम पहले ही तय हो गया। पांचवें और अंतिम खेल में इंग्लैंड ने फिर से मुकाबला किया, लेकिन भारत ने दृढ़ता बनाए रखी और 3-2 से श्रृंखला अपने नाम की। इस जीत ने 19 साल के अंतराल के बाद इंग्लैंड के खिलाफ पहला टी20I श्रृंखला विजय हासिल की, और यह भारत के लिए विदेश में जीतने की नई संभावनाओं का संकेत बन गया।
यह श्रृंखला सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि आगामी ICC महिला टी20 विश्व कप के लिये एक महत्त्वपूर्ण अभ्यास मंच थी। इंग्लैंड की पिच और मौसम की कठिनाई को समझते हुए भारतीय टीम ने अपने बैट्समैन और गेंदबाज़ी दोनों में संतुलन दिखाया। स्मृति मांधाना, शफाली वर्मा और जेमिमाह रोड्रिगेज के साथ-साथ नयी उभरती हुई खिलाड़ी जैसे अमंजोत कौर ने टीम की गहराई को स्पष्ट किया।
शांति से देखी जाए तो शफाली वर्मा के पहले दो मैचों में कम स्कोर (20 और 3) को लेकर कई लोग उनके फॉर्म पर सवाल उठाते रहे। लेकिन तीसरे खेल में उनका जबरदस्त प्रकट होना और चौथे में निरंतरता दिखाना यह साबित करता है कि तनाव की घड़ी में भी वह अपनी भूमिका निभा सकती हैं। इसी तरह की लचीलापन ही टीम को विश्व कप में आगे बढ़ाने की कुंजी होगी।
बीजिंग में आयोजित पिछले टूर की तुलना में इस इंग्लैंड दौरे ने भारतीय टीम को विदेशी पिचों पर कैसे खेले, इस पर गहरी सीख दी। गेंदबाज़ियों ने विभिन्न गति और स्पिन का मिश्रण अपनाया, जिससे इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को संभालना कठिन हो गया। इन अनुभवों को भारतीय महिला क्रिकेट ने अपने कोचिंग स्टाफ के साथ मिलकर विश्लेषण किया और अगले बड़े टूर्नामेंट की रणनीति में शामिल किया।
वर्ल्ड कप में भारत को किस प्रकार की चुनौतियां मिलेंगी, इसका अंदाजा अब इस श्रृंखला से ही लगाया जा सकता है। यदि टीम इस मनोबल को कायम रखे, तो इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और नईज़ीलैंड जैसे परंपरागत दिग्गजों के खिलाफ भी ऊँची जीत की संभावना बनी रहती है। इस जीत के बाद भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है, और युवा लड़कियों को भी इस सफलता की कहानियों से प्रेरणा मिल रही है।
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