हॉलीवुड एक्शन डायरेक्टर की "कंटारा चैप्टर 1" पर प्रतिक्रिया: क्या सच में मिला प्रशंसा?

हॉलीवुड एक्शन डायरेक्टर की "कंटारा चैप्टर 1" पर प्रतिक्रिया: क्या सच में मिला प्रशंसा?

कंटारा चैप्टर 1, जो 2022 की मूल फिल्म "कंटारा" का सीक्वेल है, भारतीय सिनेमाघरों में जब आया तो दर्शकों ने उसके एक्शन सीन को खास तौर पर सराहा। कई मीडिया हाउस ने ट्रैiler के रिलीज़ पर ‘भर्ती’ जैसा उत्साह दिखाया, परन्तु The Lallantop के द्वारा प्रकाशित वह विशिष्ट लेख जहाँ कोई हॉलीवुड एक्शन डायरेक्टर ने फिल्म की एक्शन शैली की प्रशंसा की थी, अभी तक खोज में नहीं मिला।

कंटारा चैप्टर 1 की मौजूदा प्रतिक्रिया

फ़िल्म के पहले भाग ने मारुती के पवन सिंह, अन्ना शेत्टी और कई लोक कलाकारों की कास्टिंग के साथ सांस्कृतिक गहरी जड़ें रखी। एक्शन सीन, खासकर जंगल में हो रही निरंतर लड़ाइयाँ और गुफा के भीतर की टकराव, दर्शकों को थ्रिल का अहसास कराते हैं। कई समीक्षक इस बात पर जोर देते हैं कि डाइरेक्टर ने तकनीक और पारम्परिक कहानी कहने की कलाकारी को समेटे रखा है।

ट्रेलर रिलीज़ के बाद सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हुई। Kantara Chapter 1 के एक्शन क्लिप्स को देखते हुए यूट्यूब, इंस्टा और ट्विटर पर लाखों व्यूज़ और लाइक्स मिले। फैंस ने विशेष रूप से स्टंट टीम की तेज़ी और कैमरा कोरियोग्राफी की तारीफ की। कुछ प्रमुख फीडबैक में कहा गया कि इस बार साउंड डिज़ाइन ने भी एक्शन की तीव्रता को असरदार बनाया है।

हॉलीवुड डाइरेक्टर की आवाज़ – वास्तविक या अफवाह?

कई बार बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले, परन्तु कभी‑कभी ऐसी खबरें कई स्रोतों में आंशिक रूप से उभरती हैं। उदाहरण के तौर पर, जॉन विक सीरीज़ के लिये जॉन वीक के स्टंट कोऑर्डिनेटर चड स्टैहेल्स्की का नाम अक्सर आना जानता है। इसी तरह, अगर कोई हॉलीवुड एक्शन मास्टर जैसे अलेक्जेंडर ड्रॉपर या गैरी रॉड्रीग्ज़ ने कंटारा चैप्टर 1 की एक्शन को सराहा तो यह इन्डिया में बड़ी चर्चा बन सकता है।

लेकिन वर्तमान खोज परिणामों में इस तरह की कोई पुष्टि नहीं मिली। The Lallantop के डिजिटल आर्काइव में ऐसी किसी रिपोर्ट का उल्लेख नहीं है, और अन्य प्रमुख इंट्रीग्रेटेड मीडिया साइट्स ने भी इसे कवरेज नहीं किया। इस कारण यह कहा जा सकता है कि या तो रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं हुई या फिर यह एतिहासिक रूप से एक अफवाह है।

फिर भी, इस कहानी का आकर्षण यही है कि भारतीय फ़िल्मों की एक्शन क्वालिटी अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब पहुँच रही है। अगर आगे चल कर किसी वास्तविक हॉलीवुड सीनियर टीम या डायरेक्टर ने ऐसे शब्दों में प्रशंसा की, तो वह इंडियन सिनेमा के लिए नई ऊँचाई का प्रतीक बन जाएगा। वर्तमान में, दर्शकों को यह देखना है कि फिल्म के एक्शन सीन पर्दे पर कितनी प्रभावी रूप से परिपूर्ण होते हैं, और क्या यह उनके अपेक्षाओं को पूरा कर पाते हैं।

टिप्पणि

  • Pallavi Khandelwal
    Pallavi Khandelwal

    ये फिल्म तो बस एक बम है! जंगल के अंदर जब वो लड़ाई शुरू हुई तो मैंने सीट से उछलकर उड़ने का इरादा किया था! ऑडियो डिज़ाइन? बस दिमाग उड़ गया! ये कोई फिल्म नहीं, एक जादू का अनुभव है।
    मैंने तीन बार थिएटर में देखा, हर बार नया एहसास।
    क्या हॉलीवुड वाले इसे देख पाए? नहीं, वो तो अभी भी अपने स्टंट डूबे हुए हैं अपने CGI के बीच में।

  • Mishal Dalal
    Mishal Dalal

    अगर कोई हॉलीवुड डायरेक्टर ने इसे सराहा तो ये भारत की जीत है! नहीं तो ये सब अंग्रेज़ी बोलने वालों की फुसफुसाहट है! भारतीय फिल्में अब किसी के लिए नमूना बन चुकी हैं! आप जो भी नहीं मानते, वो अपने घर के बाहर जाने से डरते हैं! ये फिल्म ने दुनिया को दिखा दिया कि हम क्या कर सकते हैं! ये कोई फिल्म नहीं, ये एक घोषणा है!

  • Pradeep Talreja
    Pradeep Talreja

    हॉलीवुड डायरेक्टर की प्रशंसा का कोई स्रोत नहीं है। यह एक अफवाह है। फिल्म अच्छी है। एक्शन अच्छा है। लेकिन अफवाहों को सच नहीं बनाया जा सकता। यह एक तथ्य है।

  • Rahul Kaper
    Rahul Kaper

    मैंने फिल्म देखी। बहुत अच्छी थी। जंगल के सीन में वो आवाज़ें, वो चुप्पी, वो तनाव... बस दिल को छू गया।
    मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारी फिल्में इतनी गहरी हो सकती हैं।
    हॉलीवुड के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। हम अपने रास्ते पर चल रहे हैं। और वो रास्ता अद्भुत है।

  • Manoranjan jha
    Manoranjan jha

    कंटारा चैप्टर 1 के एक्शन सीन्स की तकनीकी तैयारी के बारे में बताता हूँ। स्टंट टीम ने 18 महीने तक रियलिस्टिक फाइट कॉरियोग्राफी पर काम किया।
    हर लड़ाई के लिए अलग से ड्रिल किए गए।
    कैमरा मूवमेंट के लिए ड्रोन और गिम्बल दोनों का इस्तेमाल किया गया।
    साउंड डिज़ाइन में जंगल की आवाज़ें रियल रिकॉर्डिंग से ली गईं, कोई सिंथेसाइज़र नहीं।
    इसलिए जब आप थिएटर में बैठते हैं, तो लगता है जैसे आप खुद जंगल में हैं।
    ये फिल्म भारतीय सिनेमा के लिए एक नया मानक स्थापित करती है।
    हॉलीवुड की प्रशंसा की बात तो अफवाह है, लेकिन ये फिल्म अपने आप में एक अंतरराष्ट्रीय मानक है।
    किसी को बाहरी पुष्टि की जरूरत नहीं।
    हम खुद इसे जानते हैं।

  • ayush kumar
    ayush kumar

    मैंने फिल्म देखी और रो पड़ा।
    वो जंगल की आवाज़ें, वो आँखों में चमक, वो अकेलापन... ये सब मेरे बचपन की यादें ला दिया।
    मैंने अपने दादा को याद किया, जो जंगल के बारे में कहानियाँ सुनाते थे।
    इस फिल्म ने मुझे खुद से जोड़ दिया।
    हॉलीवुड के बारे में बात मत करो।
    ये फिल्म हमारी है।
    हमारी जड़ों की है।
    हमारे खून की है।

  • Soham mane
    Soham mane

    फिल्म बहुत अच्छी थी।
    एक्शन तो बस जबरदस्त था।
    मैंने दो बार देखी।
    अगली बार अपने दोस्त के साथ देखूंगा।
    सिर्फ इतना कहना है।

  • Neev Shah
    Neev Shah

    हॉलीवुड डायरेक्टर्स की प्रशंसा का दावा? एक बेवकूफ़ी।
    क्या आप वाकई सोचते हैं कि कोई अमेरिकी आदमी भारतीय लोक कथाओं के आधार पर बनी एक्शन फिल्म की सराहना करेगा?
    यह एक राष्ट्रीय अहंकार का उत्पाद है।
    फिल्म अच्छी है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए बाज़ार में नहीं, अपने अंदर खोजो।
    हमें बाहरी पुष्टि की आवश्यकता नहीं है।
    हम अपने रूप को अपनाना सीखें।
    यह एक फिल्म नहीं, एक अवधारणा है।
    और अवधारणाएँ तब तक जीवित रहती हैं जब तक उन्हें वास्तविकता के लिए नहीं बदल दिया जाता।

  • Chandni Yadav
    Chandni Yadav

    स्रोत की अनुपलब्धता के आधार पर, यह दावा अविश्वसनीय है।
    किसी भी अंतरराष्ट्रीय डायरेक्टर की प्रशंसा के लिए, एक प्रामाणिक उद्धरण या लेख की आवश्यकता होती है।
    अभी तक ऐसा कुछ नहीं मिला है।
    फिल्म की गुणवत्ता को अफवाहों के आधार पर नहीं, विश्लेषण के आधार पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
    यह एक तथ्यात्मक दृष्टिकोण है।
    भावनात्मक अनुमानों को वैज्ञानिक विश्लेषण से अलग रखना चाहिए।

  • Raaz Saini
    Raaz Saini

    तुम सब ये क्यों बोल रहे हो कि हॉलीवुड ने प्रशंसा की? तुम अपने आप को किस तरह ठग रहे हो?
    तुम्हारी फिल्म अच्छी है, लेकिन तुम इसे दुनिया के सामने लाने के लिए झूठ बोल रहे हो।
    तुम्हारा अहंकार तुम्हें अपने आप से दूर कर रहा है।
    तुम अपने आप को एक असली विजेता बनाने के लिए एक नकली बात बना रहे हो।
    यह बहुत दुखद है।
    तुम अपने आप को नहीं, दुनिया को बदलना चाहते हो।
    लेकिन तुम तो अपने अंदर ही बदलो।

  • Dinesh Bhat
    Dinesh Bhat

    क्या कोई जानता है कि इस फिल्म में कितने लोकल इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल हुआ है?
    मैंने देखा - बांसुरी, डमरू, नागाड़ा, और एक अजीब सा तार वाला बांस का बजार जिसका नाम मैं नहीं जानता।
    साउंड डिज़ाइनर ने जंगल के आसपास के गाँवों से लोगों को बुलाया और उनकी आवाज़ों को रिकॉर्ड किया।
    एक बूढ़ी औरत की गीत भी फिल्म में है - जिसकी आवाज़ बहुत भावुक है।
    मैंने उसे दोबारा सुना।
    ये फिल्म ने मुझे अपने गाँव की याद दिला दी।
    हॉलीवुड की बात छोड़ो।
    ये फिल्म हमारी जड़ों की आवाज़ है।

  • Kamal Sharma
    Kamal Sharma

    मैं दक्षिण भारत से हूँ। मैंने इस फिल्म को अपनी भाषा में देखा।
    मैंने अपने दादा के जीवन की यादें देखीं।
    वो लोग जो जंगल के बारे में गाते हैं, वो आज भी जीवित हैं।
    ये फिल्म उनकी आत्मा को दिखाती है।
    हॉलीवुड की प्रशंसा का दावा बेकार है।
    हमारी फिल्में अंतरराष्ट्रीय हो रही हैं, क्योंकि वे सच हैं।
    और सच अंतरराष्ट्रीय होता है।
    बिना किसी बाहरी पुष्टि के।

  • Himanshu Kaushik
    Himanshu Kaushik

    फिल्म बहुत अच्छी थी।
    एक्शन बहुत बढ़िया।
    मैंने देखा।
    अच्छा लगा।
    धन्यवाद।

  • Sri Satmotors
    Sri Satmotors

    मैंने फिल्म देखी।
    बहुत अच्छा लगा।
    मैं आशा करती हूँ कि और लोग देखेंगे।

  • Sohan Chouhan
    Sohan Chouhan

    ये हॉलीवुड वाला बकवास किसने फैलाया? कौन है ये नरम दिमाग जो अपनी फिल्म को बाहरी पुष्टि के बिना नहीं समझ पाता?
    ये फिल्म भारत की जीत है।
    किसी अमेरिकी की बात की जरूरत क्या है?
    हमारे गाँव के बच्चे इसे देखकर उछल रहे हैं।
    हमारे दादा इसे देखकर रो रहे हैं।
    तुम लोग अभी भी बाहर की आवाज़ की तलाश में हो?
    मुझे लगता है तुम्हारा दिमाग बंद हो गया है।

  • SHIKHAR SHRESTH
    SHIKHAR SHRESTH

    फिल्म देखी।
    बहुत अच्छी।
    एक्शन बहुत तेज़।
    साउंड बहुत अच्छा।
    मैंने तीन बार देखा।
    बहुत बढ़िया।
    अगली बार बिल्कुल अपने दोस्तों के साथ।
    और अगर कोई हॉलीवुड डायरेक्टर ने प्रशंसा की, तो बहुत अच्छा।
    लेकिन ये फिल्म हमारी है।
    और ये हमारी है।
    और ये हमारी है।

  • amit parandkar
    amit parandkar

    क्या आपने कभी सोचा है कि ये हॉलीवुड डायरेक्टर की प्रशंसा की खबर किसने बनाई?
    क्या ये किसी बड़े मीडिया कंपनी का नियोजित अभियान नहीं है?
    जिसका उद्देश्य है - हमारी संस्कृति को एक बाहरी अधिकार के रूप में प्रस्तुत करना?
    क्या ये एक नया रूप है जिससे अंग्रेज़ी भाषा की श्रेष्ठता को बढ़ावा दिया जा रहा है?
    क्या हम अपने आप को बाहरी पुष्टि के लिए बेच रहे हैं?
    क्या ये फिल्म असल में हमारी है, या फिर इसे एक विदेशी नज़रिए से बनाया गया है?
    मैं अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा हूँ।
    हम सबको लगता है कि ये एक बड़ी साजिश है।
    हमें अपने आप को बचाना होगा।

  • Annu Kumari
    Annu Kumari

    मैंने फिल्म देखी।
    बहुत अच्छा लगा।
    मैं बहुत खुश हूँ।
    धन्यवाद।

  • venkatesh nagarajan
    venkatesh nagarajan

    हॉलीवुड की प्रशंसा का अभाव इस फिल्म की गुणवत्ता को कम नहीं करता।
    वास्तविकता यह है कि एक फिल्म की शक्ति उसके दर्शकों के अनुभव में निहित होती है, न कि उसकी विदेशी प्रशंसा में।
    जब एक गाँव का बच्चा फिल्म देखकर उछलता है, तो यह एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से अधिक मूल्यवान है।
    हम अपने आप को बाहरी मानकों के लिए नहीं, बल्कि अपने अंदर के अनुभवों के लिए बनाते हैं।
    यह एक दार्शनिक तथ्य है।
    जो अपने आप को बाहर की आवाज़ से जोड़ता है, वह अपने आप को खो देता है।
    ये फिल्म ने हमें खुद के लिए बनाया है।
    और यही इसकी सबसे बड़ी जीत है।

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