भारत के सबसे तेजी से बढ़ रहे फिनटेक प्लेटफॉर्म ग्रोउ का आईपीओ शुक्रवार, 7 नवंबर 2025 को 5 बजे तक बंद हुआ, जिसने निवेशकों की भीड़ को अपनी ओर खींच लिया। पूरा आईपीओ 16.95 गुना सब्सक्राइब हुआ — यानी एक रुपये के लिए लगभग 17 रुपये की मांग। रिटेल निवेशकों ने अपने आवंटन का 8.96 गुना, यानी 900% से ज्यादा आवंटन ले लिया। ये आंकड़ा न सिर्फ ग्रोउ के ब्रांड की शक्ति को दर्शाता है, बल्कि भारतीय निवेशकों के डिजिटल निवेश में भरोसे की नई ऊंचाई भी।
आईपीओ का आंकड़ा देखें तो यह एक बड़ी बात है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने 21.08 गुना सब्सक्राइब किया, जो बताता है कि बड़े निवेशक इस कंपनी पर भरोसा कर रहे हैं। एचएनआई (अमीर निवेशक) ने 14.03 गुना और रिटेल निवेशकों ने 8.96 गुना। रिटेल भाग में एक लॉट (150 शेयर) के लिए ₹15,000 की जरूरत थी — यानी छोटे निवेशक भी बड़े पैमाने पर शामिल हुए। ये एक ऐसा आंकड़ा है जो बताता है कि अब भारत में शेयर बाजार कोई शहर की बात नहीं, बल्कि एक गांव की बात भी बन चुका है।
ग्रोउ का यह आईपीओ ₹6,632.30 करोड़ का था। इसमें नए शेयर जारी करने का हिस्सा ₹1,060 करोड़ (10.60 करोड़ शेयर) और पुराने शेयर बेचने का हिस्सा ₹5,572.30 करोड़ (55.72 करोड़ शेयर) था। शेयर की कीमत ₹95 से ₹100 के बीच थी — एक बहुत ही सावधानी से तय किया गया बैंड। ये बैंड न केवल निवेशकों को आकर्षित करने के लिए था, बल्कि कंपनी के लिए भी एक संतुलन था। अगर कीमत बहुत ऊंची होती, तो रिटेल निवेशक भाग जाते। अगर बहुत कम होती, तो कंपनी को पैसा नहीं मिलता।
यहां एक छोटी सी बात जो बड़ी है: रिटेल निवेशकों ने अपने आवंटन का 900% सब्सक्राइब किया। यानी हर एक शेयर के लिए नौ निवेशक थे। ये आंकड़ा एक नए दौर की शुरुआत है — जहां एक ऐप के जरिए एक ग्रामीण युवक या महिला भी एक फिनटेक गायंट में निवेश कर सकती है। ग्रोउ ने इसे आसान बनाया: एक क्लिक, एक यूपीआई, और आप एक शेयर के मालिक हो गए। ये बदलाव किसी शहर के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए बड़ा है।
ग्रोउ के प्रोस्पेक्टस में दिए गए आंकड़े इस भरोसे को समझने में मदद करते हैं। एक्टिव यूजर्स में 47.84% की बढ़ोतरी, एनएसई के एक्टिव क्लाइंट्स में 35.46% की बढ़ोतरी, और कंट्रीब्यूशन मार्जिन 85.38% — ये सब बताते हैं कि ये कंपनी सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि एक बिजनेस मॉडल है जो लाभ कमा रहा है। प्रॉफिट मार्जिन 44.92% है — यानी हर ₹100 के रेवेन्यू पर ₹45 का मुनाफा। इतना अच्छा मार्जिन भारतीय टेक कंपनियों में दुर्लभ है। ज्यादातर फिनटेक कंपनियां अभी भी लॉस में हैं। ग्रोउ अलग है।
शेयरों का आवंटन 10 नवंबर, 2025 को पूरा होगा। उसी दिन डीमैट अकाउंट में शेयर जमा होंगे। अगर आपको शेयर नहीं मिले, तो पैसा 11 नवंबर तक आपके बैंक अकाउंट में वापस आ जाएगा — यूपीआई के जरिए। लिस्टिंग की तारीख 12 नवंबर, 2025 है — बीएसई और एनएसई दोनों पर। ग्रे मार्केट में शेयर की कीमत थोड़ी ऊंची थी, लेकिन एनालिस्ट्स कह रहे हैं कि इसकी वैल्यूएशन इतनी ऊंची है कि लिस्टिंग दिन के बाद बड़ी चढ़ाव नहीं आएगी। ये निवेशकों के लिए एक संदेश है: लंबी अवधि के लिए देखें, शॉर्ट-टर्म गेम में न उतरें।
2025 में भारत में कई फिनटेक आईपीओ आए — लेकिन ग्रोउ अलग है। ये कंपनी सिर्फ ट्रेडिंग ऐप नहीं है। ये एक डिजिटल वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म है। ये लोगों को सिर्फ शेयर नहीं, बल्कि म्यूचुअल फंड, एसआईपी, गोल्ड, और अब इंश्योरेंस तक दे रही है। इसकी रणनीति स्पष्ट है: ट्रस्ट बनाएं, प्रोडक्ट्स बढ़ाएं, और स्केल करें। ये एक ऐसा मॉडल है जो न सिर्फ लोगों को जोड़ता है, बल्कि उनके पैसे को भी समझता है।
अगर ग्रोउ लिस्टिंग के बाद भी अपने फाइनेंशियल परफॉर्मेंस को बनाए रखता है, तो ये भारत का अगला फिनटेक गायंट बन सकता है। इसकी लिस्टिंग दूसरी कंपनियों के लिए एक नया मानक बन सकती है — जहां लाभ कमाने की क्षमता, सिर्फ यूजर ग्रोथ से ज्यादा मायने रखती है। अगले छह महीने में देखेंगे कि क्या ये कंपनी अपने आईपीओ के वादों को पूरा कर पाती है।
रिटेल निवेशकों के लिए आईपीओ का केवल 10% हिस्सा आवंटित किया गया था। लेकिन 8.96 गुना सब्सक्रिप्शन के कारण, ज्यादातर निवेशकों को पूरा लॉट नहीं मिलेगा। आवंटन अनुपात के आधार पर निर्धारित होगा — जैसे कि 100 आवेदनों में से शायद केवल 10 को पूरा शेयर मिले।
कंट्रीब्यूशन मार्जिन बताता है कि एक उत्पाद या सेवा कितना लाभ देती है। 85.38% का मतलब है कि ग्रोउ के हर ₹100 के रेवेन्यू में से ₹85 उसकी ऑपरेशनल लागत के बाद बचता है। ये भारतीय टेक कंपनियों में अप्रत्याशित और बहुत मजबूत नंबर है — जो इसे लाभ कमाने की क्षमता रखता है।
ग्रे मार्केट में शेयर की कीमत ₹115-120 के आसपास थी, लेकिन एनालिस्ट्स का मानना है कि लिस्टिंग दिन के बाद तेज चढ़ाव नहीं आएगा। वैल्यूएशन पहले से ही ऊंचा है। लंबे समय में शेयर की कीमत कंपनी के कमाई और यूजर ग्रोथ पर निर्भर करेगी।
हां। ग्रोउ ने दिखाया है कि एक फिनटेक कंपनी सिर्फ यूजर्स बढ़ाकर नहीं, बल्कि लाभ कमाकर भी आईपीओ कर सकती है। इसका मॉडल — स्केल, सिम्प्लिसिटी, और स्ट्रॉन्ग प्रॉफिट मार्जिन — दूसरी कंपनियों के लिए एक नया रास्ता बन सकता है।
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